भारत की बड़ी राजनितिक जीत ‘ब्रिक्स’ में पाकिस्तान पुरस्कृत आतंकवाद संगठन के खिलाफ अनुबंध

शिआमेन: ब्रिक्स परिषद में भारत आतंकवाद का मुद्दा उपस्थित न करे, ऐसी माँग करके पाकिस्तान का बचाव करने की कोशिश करने वाले चीन को पाकिस्तान पुरस्कृत आतंकवादी संगठनों के खिलाफ अनुबंध करना ही पड़ा। ‘लश्कर-ए-तोएबा’, ‘जैश-ए-मोह्म्मद’, ‘तालिबान’, ‘हक्कानी नेटवर्क’ इन पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों के खिलाफ ब्रिक्स में अनुबंध मतलब भारत को मिली हुई बहुत बड़ी राजनितिक जीत है, ऐसा माना जा रहा है।

रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन में दाखिल हुए। चीन की इस ब्रिक्स परिषद में आतंकवाद का मुद्दा उपस्थित करके इस परिषद की सफलता पर दाग न लगाए, ऐसी माँग चीन के विदेश मंत्रालय ने इससे पहले की थी। साथ ही आतंकवाद का मुद्दा उपस्थित करने के लिए यह उचित मंच नहीं है, ऐसा भी चीन के विदेश मंत्रालय ने इशारा दिया था। लेकिन भारत यहांपर आतंकवाद का मुद्दा उपस्थत करने ही वाला है, ऐसा भारत के विदेश मंत्रालय ने ठोस शब्दों में कहा था। इसके बाद सोमवार को ब्रिक्स परिषद में भारत ने आतंकवाद का मुद्दा उठाया और सभी देशों को इसे समर्थन देना पड़ा है।

भारत के साथ रशिया, ब्राझिल, दक्षिण अफ्रीका और चीन ने प्रसिद्ध किए हुए ४३ पन्नों के अनुबंध में आतंकवाद के खिलाफ कठोर भूमिका ली गई है। इसमें पहली बार पाकिस्तान पुरस्कृत आतंकवादी संगठनों का नाम के साथ जिक्र किया गया है।

इसमें ‘लश्कर-ए-तोएबा’, ‘जैश-ए-मोह्म्मद’, ‘तालिबान’, ‘हक्कानी नेटवर्क’, ‘हिज्ब-उल-तेहरिक’, ‘ईस्टर्न तुर्कमेनिस्तान इस्लामिक मूवमेंट’, ‘इस्लामिक मूवमेंट ऑफ़ उझबेकिस्तान’ इन आतंकवादी संगठनों का समावेश है। अल कायदा और आयएस इन आतंकवादी संगठनों का भी इसमें मुख्य रूप से समावेश किया गया है। लेकिन भारत में आतंक मचाने के लिए पाकिस्तान के इलाके से षडयंत्र रचने वाली लश्कर’ और ‘जैश’ जैसी संगठनों का इस अनुबंध में समावेश यह भारत की भूमिका को मिली हुई बहुत बड़ी राजनितिक जीत है।

इस परिषद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की आर्थिक सुधारनाएं और प्रगति का सबूत दिया है। भारत ने लागू किए हुए वास्तु और सेवा कर की वजह से १३० करोड़ जनसँख्या वाले भारत का रूपांतरण एक विशाल बाजार में हुआ है, इस बात की तरफ प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स ध्यान आकर्षित किया है। इसके साथ ही भारत में सन २०१६-१७ में करीब ६० अरब डॉलर्स से अधिक निवेश हुआ है और यह एक रिकोर्ड है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदीजी ने कहा।

ब्रिक्स परिषद ने सौर शक्ति का पुरस्कार करने के लिए भारत की पहल से स्थापित हुए ‘इंटरनेशनल सोलर अलायन्स’ (आयएसए) इस १२१ देशों के संगठनों के साथ सहायता करे, ऐसा आवाहन प्रधानमंत्री मोदीजी ने किया है। ब्रिक्स देशों की स्वतंत्र पत मानांकन संस्था होनी चाहिए, ऐसा प्रस्ताव भी इस समय मोदीजी ने रखा है।

दौरान, प्रधानमंत्री मोदी और चीन के राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की मंगलवार को सुबह द्विपक्षीय चर्चा होने की जानकारी चीन की मीडिया ने दी है। लेकिन भारतीय मीडिया ने ब्रिक्स के अनुबंध में पाकिस्तान पुरस्कृत आतंकवादी संगठनों स्पष्ट रूप से किए गए उल्लेख को विशेष रूप से प्रसिद्धि दी है। यह भारत के प्रयास को मिली हुई बहुत बड़ी जीत है, ऐसा मीडिया ने दावा किया है।

इतनाही नहीं ‘जैश-ए-मोहम्मद’ इस आतंकवादी संगठन के खिलाफ भी चीन को भूमिका लेनी पड़ी है। इसके पहले ‘जैश’ का प्रमुख मौलाना मसूद अझहर का संयुक्त राष्ट्रसंघ की कार्रवाई से बचाव करने वाले चीन की इस वजह से परेशानी बढ़ गई है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद में मसूद अझहर पर कार्रवाई, चीन तकनिकी वजह बताकर आगे टालता आया है। ब्रिक्स के इस अनुबंध के बाद चीन अझहर पर किए जाने वाली कार्रवाई का विरोध न करे, ऐसी माँग सामने आ रही है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बारे में पूछे गए सवालों को टाला है। आतंकवाद के खिलाफ चीन की भूमिका सुस्पष्ट और सातत्यपूर्ण होने की बात, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कही है।

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