बिना सबूत भारत पर आरोप लगा रहे कनाड़ा को भारतीय विदेश मंत्री ने लगाई फटकार

न्यूयॉर्क – दूसरे देश में हत्या करवाना भारत की नीति नहीं है। इस वजह से कनाड़ा से निज्जर की हुई हत्या के मामले में लगाए आरोपों के पुख्ता सबूत यदि हाथों में हैं तो उसे भारत को सौंपे। भारत इसकी जांच किए बिना नहीं रहेगा, यह भारत ने पहले ही कनाड़ा को बताया है। यह कहकर विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने पहली बार कनाड़ा ने लगाए आरोपों को लेकर स्पष्ट बयान किया। साथ ही कनाड़ा में अलगाववादियों की हिंसक गतिविधियां शुरू है और भारतीय राजनीतिक अधिकारी और राजनीतिक दफ्तरों पर हमले होने की बात पर भी विदेश मंत्री जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया। भारत विरोधी कार्रवाई कर रहे कनाड़ा स्थित आतंकवादियों की पहचान बताकर भारत ने उनके खिलाफ प्राप्त सबूत भी कनाड़ा को दिए थे। लेकिन, कनाड़ा ने इसे अनदेखा किया था, इसकी याद भी जयशंकर ने ताज़ा की।

बिना सबूत भारत पर आरोप लगा रहे कनाड़ा को भारतीय विदेश मंत्री ने लगाई फटकारअमरीका की ‘कौन्सिल ऑन फॉरिन रिलेशन्स – सीएफआर’ नामक प्रसिद्ध अभ्यास गुट ने आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत की भूमिका स्पष्ट की। कनाड़ा ने ‘फाईव्ह आईज्‌’ (अमरीका, कनाड़ा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड) संगठन ने हमें निज्जर को भारतीय गुप्तचर यंत्रणाओं ने खत्म करने की खुफिया जानकारी साझा करने का दावा किया था। यह जानकारी यानी सबूत होने का ढ़कोसला खड़ा करके अमरीका और कनाड़ा अब इस मामले की जांच में भारत ही सहयोग करें, ऐसी मांग कर रहे हैं। कनाड़ा की ज़मीन पर हुई हत्या की जांच और इसके सबूत कनाड़ा से भारत को प्राप्त होने की उम्मीद हैं। इसके बावजूद उल्टा भारत पर आरोप लगाकर निज्जर की हत्या की जांच में भारत सहयोग करें, ऐसी फिजूल मांग कनाड़ा कर रहा है। वहीं, अमरीका इस मांग का साथ दे रही हैं। इस ढ़कोसले पर विदेश मंत्री जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया है।

निज्जर की हत्या से जुड़े कोई सबूत हैं तो उसे कनाड़ा पेश करें, भारत इनकी गंभीरता से जांच करेगा, ऐसा जयशंकर ने सीआरएफ के कार्यक्रम में स्पष्ट किया।

साथ ही कनाड़ा में खलिस्तानवादी एवं भारत विरोधी गुटों की बड़ी मौजुदगी है और कनाड़ा में पहले भी ऐसे अपराध हुए हैं, उन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता इसका अहसास भी भारत के विदेश मंत्री ने कराया। फाईव्ह आईज्‌ ने पेश की हुई भारत विरोधी जानकारी यानी सबूत नहीं होते, ऐसा इशारा इस मामले को लेकर किए सवाल पर जवाब देते हुई विदेश मंत्री ने दिया।

इसी बीच, पहले कनाड़ा के प्रधानमंत्री ने भारत पर बेताल आरोप लगाना और इसपर अमरीका ने चिंता जताना यह दोनों बाते इन देशों की भारत विरोधी नीति की साक्ष देती है, ऐसी चर्चा भारतीय माध्यमों में शुरू हुई है। उपरी भारत के विभिन्न क्षेत्र में हुई प्रगति की कितनी भी सराहना की तो भी भारत की कामयाबी इन देशों को चूभ रही है। इसके अलावा भारत की स्वतंत्र विदेश नीति भी इन देशों को मंजूर नहीं है। खास तौर पर ग्लोबल साउथ यानी लैटिन अमरिकी, अफ्रीकी और एशियाई क्षेत्र के विकासशील एवं गरीब देशों का नेतृत्व भारत को प्राप्त हो रहा हैं और यह मुद्दा भी पश्चिमी देशों को परेशान कर रहा हैं। इसी वजह से भारत पर दोष लगाकर भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि मलिन करने की कोशिश इन देशों ने शुरू की है।

पिछले कुछ सालों से भारत में जनतंत्र फिसल रहा हैं, ऐसा आरोप पश्चिमी देश और उनके माध्यम लगाने लगे हैं। भारत में अभिव्यक्ति और धार्मिक स्वतंत्रता का दमन होने की बयानबाजी इन देशों ने उनके अंकित माध्यमों ने शुरू की थी। कुछ संस्थाओं ने भारत की स्थिति को गंभीर करार देकर वैश्विक क्रम में भारत को निचला स्थान प्रदान किया था। ऐसे सर्वेक्षण की विश्वासार्हता पर विदेश मंत्री जयशंकर ने सवाल किए थे। ‘सीआरएफ’ के कार्यक्रम में एक पत्रकार ने इस मामले में सवाल करने के बाद भारत के विदेश मंत्री ने इसके जवाब में इन संस्थाओं के फिजूल दुष्प्रचार पर प्रहार किया और उनकी विश्वासार्हता पर वाल किए। भारत को लेकर किए जा रहे ऐसे फिजूल दावे यानी भारत विरोधी दुष्प्रचार करने के अभियान का हिस्सा है, ऐसी फटकार भी विदेश मंत्री जयशंकर ने इस दौरान लगायी।

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