विश्व में आर्थिक स्तर पर बने अनिश्चितता के दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था मज़बूती से खड़ी हैं – रिज़र्व बैंक की रपट का निष्कर्ष

मुंबई – डुबे कर्ज की मात्रा कम होने के साथ पर्याप्त मात्रा में पूंजी हाथ में हो की वजह से देश की बैंकिंग व्यवस्था बड़ी मज़बूती से खड़ी हैं, ऐसा बयान रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने किया है। अर्थव्यवस्था सबसे अधिक विकास दर से प्रगति कर रही हैं और इस बीच देश की आर्थिक स्थिरता को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं हो सकता। इस वजह से देश के व्यवस्था का बड़ी सख्ती से निरिक्षण किया जा रहा हैं और सभी मानकों पर देश की वित्तीय व्यवस्था मज़बूत होने की बात सामने आ रही है, ऐसा शक्तिकांता दास ने कहा हैं।

विश्व में आर्थिक स्तर पर बने अनिश्चितता के दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था मज़बूती से खड़ी हैं - रिज़र्व बैंक की रपट का निष्कर्षरिज़र्व बैंक का ‘फाइनान्शिअर स्टेबिलिटी रिपोर्ट’ (एफएसआर) प्रसिद्ध की गई। रिज़र्व बैंक की सब कमिटी ने तैयार किए इस रपट में देश की आर्थिक स्थिरता एवं क्षमता का परीक्षण किया गया। इससे संबंधित रपट संतोषजनक होने की बात रिज़र्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांता दास ने स्पष्ट की। वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता का सामना कर रही है और कुछ देशों में बैंकिंग व्यवस्था को झटके लग रहे हैं। भू-राजनीतिक तनाव से वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा हैं। इससे महंगाई का बड़ा उछाल हुआ है। ऐसे अनिश्चितता से परेशान वैश्विक स्थिति में भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय व्यवस्था सक्षम हैं और इसके आर्थिक आधार भी मज़बूती से खड़े हैं, ऐसा ‘एफएसआर’ की रपट में कहा गया है।

भारतीय बैंक व्यवस्था सक्षम ह ैं और डुबे कर्ज की मात्रा पिछले कुछ सालों से लगातार कम हो रही हैं। बैंकों में पर्याप्त पूंजी मौजूद हैं और इस वजह से देश के बैंकों का मुनाफा बढ़ रहा है। साथ ही खतरे का सामना करने के लिए भारतीय बैंक क्षेत्र की क्षमता भी काफी बढ़ रही हैं, यह दावा ‘एफएसआर’ की रपट में किया गया है। बैंकों की स्थिति सुधरने की वजह से विभिन्न उद्योगों के लिए कर्ज की उपलब्धता बढ़ी है। विश्व में आर्थिक स्तर पर बने अनिश्चितता के दौर में भारतीय अर्थव्यवस्था मज़बूती से खड़ी हैं - रिज़र्व बैंक की रपट का निष्कर्षइससे आर्थिक गतिविधियां अधिक गतिमान हो रही हैं, यह दावा रिज़र्व बैंक ने किया है। ऐसे में देश के बैंकों में जमा पूंजी आर्थिक वर्ष २०२२-२३ के दौरान १० प्रतिशत अधिक बढ़ने की जानकारी ‘एफएसआर’ की रपट में है।

विश्व के धनिक और प्रगत कहे जा रहे देशों के सामने मौजूदा समय में काफी बड़ा आर्थिक संकट खड़ा होता दिख रहा है। अमरिकी अर्थव्यवस्था के सामने मंदी का संकट खड़ा हुआ है और विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बने जर्मनी को मंदी ने परेशान किया है। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था भी मंदी के भंवर में फंस रही है, ऐसा दावा किया जा रहा है।

ऐसे में चीन की अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी चुनौतियां अधिक से अधिक बढ़ रही हैं। ऐसी स्थिति में भारत की अर्थव्यवस्था अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश में होने का दिख रहा चित्र बड़ा भरोसा दे रहा है। विकसित देशों के बैंक दिवालिया हो रहे हैं और इसी दौरान भारत का बैंकिंग क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा हैं। इससे भारत को बड़ा लाभ प्राप्त होगा और इससे अंतरराष्ट्रीय निवेषकों का भारत पर अधिक विश्वास बढ़ेगा।

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