सोमवार से भारतीय सेना की कमांडर्स कॉन्फरन्स शुरू

नई दिल्ली – सोमवार से भारतीय सेना के कमांडर्स की परिषद शुरू हो रही है। नई दिल्ली में आयोजित इस परिषद में, देश की सीमा पर बन रही चुनौतियों के साथ ही, युक्रेन के युद्ध के हालातों का भी जायज़ा लिया जाएगा। साथ ही, सेना की क्षमता विकसित करने पर भी इस परिषद में विचारविनिमय किया जाएगा। लष्करप्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे की अध्यक्षता में 18 से 22 अप्रैल के बीच संपन्न होनेवाली इस चर्चा पर सामरिक विश्लेषकों की नजरे गड़ी होंगी।

सोमवार से भारतीय सेना की कमांडर्स कॉन्फरन्स शुरूबहुत ही प्रोफेशनल होनेवाली भारतीय सेना ने शुरू से ही युक्रेन के युद्ध पर ध्यान केंद्रित किया था। युक्रेन पर रशिया ने किया हमला और उसके बाद दोनों देशों की सेनाओं में हुए संघर्ष का संज्ञान भारतीय सेना द्वारा लिया गया था। युक्रेन के युद्ध ने भारत को बहुत बड़ा सबक सिखाया, ऐसा लष्करप्रमुख जनरल नरवणे ने कुछ दिन पहले कहा था। इसके आगे के युद्धों में, हथियारों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना मुनासिब नहीं होगा, यह युक्रेन के युद्ध में भारत को दिखा दिया, ऐसा लष्करप्रमुख ने कहा था।

भारतीय सेना द्वारा युक्रेन के युद्ध में इस्तेमाल किए जा रहे हथियार, दाँवपेंच तथा अन्य भी कई बातों का निरीक्षण किया जा रहा है, यह बात इससे अधिक स्पष्ट रूप से सामने आई थी। खासकर युक्रेन के हमलों में रशियन टैंक्स का हुआ नुकसान भारतीय सेना ने मुख्य रूप से दर्ज किया है। इसके बाद भारत ने टैंक्स की रचना और बनावट इसपर पुनर्विचार शुरू किया होने के दावे किए जा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर, नई दिल्ली में संपन्न होनेवाली कमांडर्स कॉन्फरन्स में युक्रेन के युद्ध में इस्तेमाल हो रहे दाँवपेचों पर तथा हथियारों पर चर्चा संपन्न होगी, ऐसा बताया जाता है।

इसी बीच, भारतीय सेना की क्षमता अधिक बढ़ाने के लिए इस परिषद में गहराई से चर्चा अपेक्षित है। 13 लाख इतनी सेना होनेवाले भारत को, आनेवाले समय में सुरक्षा के मोरचे पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इसके लिए अपनी क्षमता बढ़ाने के अलावा और कोई चारा नहीं है, ऐसा संदेश लष्करप्रमुख जनरल नरवणे ने इससे पहले भी दिया था। इस कारण क्षमता बढ़ाने के संदर्भ में हो रही इस चर्चा का महत्त्व अधिक ही बढ़ा है।

सीमावर्ती भाग में बुनियादी सुविधाओं का विकास कराके, सेना की गतिविधियों को अधिक तेज़ करने के लिए सेना तथा केंद्र सरकार प्राथमिकता दे रहे हैं। उसके परिणाम दिखाई देने लगे होकर, इस परिषद में इन बुनियादी सुविधाओं के विकास पर भी ज़ोर दिया जाएगा, ऐसा बताया जाता है। जम्मू और कश्मीर में जारी आतंकवादविरोधी कार्रवाइयों का जायज़ा भी इस चर्चा में लिया जाएगा। इस परिषद में रक्षामंत्री राजनाथ सिंग भी सहभागी होनेवाले होकर, वे इस परिषद को संबोधित करनेवाले हैं। साथ ही, रक्षामंत्री वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चर्चा करेंगे।

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