दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार वायुसेना अंदमान निकोबार में लडाकू विमान तैनात करेगी

नई दिल्ली: दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार अंदमान-निकोबार में स्थित भारतीय वायुसेना के अड्डों पर लडाकू विमान तैनात किए जाने वाले हैं। बदलती वैश्विक परिस्थिति और हिन्द महासागर में चीन की बढती गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर यह फैसला लिया गया है। इस वजह से मलाक्क्का, सुन्दा, लोम्बोक इन सामुद्रधुनियों के साथ साथ हिन्द महासागर के पश्चिम में स्थित क्षेत्र में भारत की रक्षा सिद्धता बढने वाली है।

लड़ाकू विमानों की तैनाती के लिए ‘कार निकोबार’ और ‘कॅम्पबेल’ खाड़ी के पास स्थित वायुसेना के अड्डों को चुने जाने की खबर है। इन द्वीपों पर अब तक ‘एमआई१७-व्ही५’ यह लड़ाकू हेलिकॉप्टर्स और निगरानी के लिये उपयुक्त डॉर्नियर विमान तैनात थे। इन अड्डों पर स्थित छोटे रनवेज की वजह से यहाँ पर आधुनिक विमानों को लैंड करना संभव नहीं था। लेकिन अब इन रनवेज के विस्तारीकरण का काम शुरू किया गया है।

लडाकू विमान

इससे पहले ही अंदमान निकोबार क्षेत्र में भारतीय नौसेना ने अपने युद्धपोतों को तैनात किया है और यहाँ लगभग १९ युद्धपोत तैनात हैं। इन युद्धपोतों द्वारा मलाक्का, सुन्दा, लोम्बोक और ओम्बाई इन सामुद्रधुनियों के क्षेत्र में भारत की कड़ी नजर होती है। यह सामुद्रधुनियाँ छोटे रास्ते से ‘साउथ चाइना सी’ को हिन्द महासागर के साथ जोडती हैं। इसी सामुद्रधुनी से चीन के युद्धपोत, पनडुब्बियां हिन्द महासागर में दाखिल होती हैं।

हिन्द महासागर में मित्र देशों की सदिच्छा भेंट और एडन की खाड़ी में डकैती के खिलाफ मुहीम के अंतर्गत चीन की नौसेना कार्रवाइयां कर रही है। चीनी नौसेना की यह गतिविधियाँ बड़े पैमाने पर बढती जा रही हैं। हिन्द महासागर में वर्चस्व प्रस्थापित करके यहाँ के भारत के प्राकृतिक प्रभाव को चुनौती देने के षडयंत्र को ध्यान में रखकर भारत ने भी हिन्द महासागर क्षेत्र में अपने नौसेना की तैनाती और पहरा बढ़ाया है। साथ ही चीन के प्रभाव क्षेत्र के निचे वाले देशों के साथ सहकार्य शुरू किया है।

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