चीन पर निर्भरता घटाने पर भारत ध्यान दे – नीति आयोग के उपाध्यक्ष की सलाह

नई दिल्ली – भारतीय बाज़ार से बड़ा लाभ पाने वाला चीन अपना खुदका बाज़ार भारत के लिए खोलना नहीं चाहता। इसका असर भारत-चीन व्यापार पर पड रहा है। भारत-चीन व्यापार में भारत का घाटा १०० अरब डॉलर्स तक पहुँचा है। ऐसी स्थिति में यह घाटा कम कैसे किया जा सकता है, यह सोचने के बजाय कौनसे क्षेत्र में चीन पर निर्भरता कम करना मुमकिन होगा इस पर भारत अधिक ध्यान दे, ऐसी सलाह नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने दी। वैद्यकीय दवांईयों के लिए सामान एवं अक्षय उर्जा की सप्लाईचेन के क्षेत्र में चीन पर निर्भरता कम करने पर सोचा जाए, यह सुझाव भी बेरी ने दिया है।

भारत और चीन का सालाना द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर १३५ अरब डॉलर्स से अधिक हुआ है। लेकिन, इसमें भारत को काफी घाटा सहना पड़ता है। भारत ने पूरे विश्व में कृषि, दवाईयां और आयटी क्षेत्र का बड़ा बाज़ार प्राप्त किया है। लेकिन चीन इन्हीं क्षेत्रों का अपना बाज़ार भारतीय कंपनियों के लिए खुला करने के लिए तैयार नहीं है। तथा भारतीय उत्पादों पर कर में रियायत देने के लिए भी चीन तैयार नहीं है। इसका प्रभाव दोनों देशों के व्यापार पर हो रहा है। चीन भारत को कुल ११८.५ अरब डॉलर्स का निर्यात करता है। वहीं, भारत से चीन को महज १७.४८ अरब डॉलर्स का निर्यात होने की बात साल २०२२ के आँकड़े बयान कर रहे हैं।

आनेवाले समय में चीन से आयात घटाना हो तो भारतीय उद्योग क्षेत्र के लिए जरुरी कच्चे सामान की उपलब्धता देश में ही कराने की दिशा में कदम उठाने पडेंगे, ऐसा इशारा विशेषज्ञ दे रहे हैं। नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने भी बिल्कुल इसी मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया है। दवाईयों के क्षेत्र के लिए आवश्यक ‘ऐक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडियन्टस्‌‍’ (एपीआईज्‌) और अक्षय उर्जा की सप्लाईचेन में चीन विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक है। इस क्षेत्र में चीन की एकाधिकार भारत को तोड़ना पडेगा, यह सुझावा बेरी ने दिया। पिछले कुछ सालों से अमरीका और चीन ने व्यापार में एक-दूसरे पर निर्भरता को हथियार की भांती इस्तेमाल किया है, यह बड़ी दुर्भाग्य की बात होने का बयान बेरी ने किया।

कोरोना के दौर में चीन ने अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा खोया है। इससे भी चीन के उद्योग क्षेत्र को नुकसान हो रहा है। बड़ी-बड़ी कंपनियां चीन से निकल रही हैं और इस देश में बेरोजगारी का संकट बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में चीन की कंपनियां भारत को बाज़ार के तौर पर देख रही है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार चीन से मूंह मोड़ रहे हैं और ऐसे में चीनी कंपनियां भारतीय बाज़ार हाथ में रखने के लिए मज़बूर हैं। भारत इसका लाभ उठाए और संबंधित क्षेत्र में चीन एकाधिकार तोड़ दे, इस पर बेरी ने जोर दिया।

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