जागतिक उत्पादन क्षेत्र को आकर्षित कर रहे देशों की सूचि में भारत को प्राप्त हुआ दूसरा स्थान

नई दिल्ली – जागतिक उत्पादन के केंद्र के तौर पर भारत का उदय होने का और एक संकेत प्राप्त हुआ है। ‘कुशमन ऐण्ड वेकफिल्ड’ नामक संपत्ति क्षेत्र की कंपनियों के ‘ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग रिस्क इंडेक्स’ की सूचि में अमरीका को पीछे छोड़कर भारत को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ है। किसी देश में उत्पादन के लिए आवश्‍यक क्षमता और इसके लिए अनुकूल माहौल का विचार करके जागतिक उत्पादन क्षेत्र को आकर्षित कर रहे देशों का क्रम तय किया जाता है। बीते वर्ष इस सूचि में तीसरा स्थान प्राप्त करनेवाले भारत ने इस वर्ष दूसरा स्थान प्राप्त किया है।

चार बुनियादी मुद्दों का विचार करके यह सूचि तैयार की जाती है। इसमें उत्पादन नए से शुरू करने की क्षमता और औद्योगिक माहौल का विचार होता है। इस माहौल में कुशल कामगारों की उपलब्धता एवं बाज़ार के संपर्क का विचार होता है। उपक्रम चलाने के लिए आवश्‍यक खर्च और कारोबार से संबंधित खतरों का भी विचार यह क्रम तय करते समय किया जाता है। राजनीतिक और आर्थिक एवं पर्यावरण से जुड़ी स्थिति का भी इसमें समावेश है। इन मुद्दों पर भारत के परफॉर्मन्स में सुधार हुआ है और बीते वर्ष इस सूचि में तीसरे स्थान पर रहा भारत इस वर्ष दूसरे स्थान पर पहुँचा है।

इस सूचि के पहले स्थान पर चीन है और तीसरे स्थान पर अमरीका और उसके पीछे कनाड़ा, ज़ेक गणराज्य, इंडोनेशिया, लिथुआनिया, थायलैण्ड, मलेशिया और पोलैण्ड हैं। बीते कुछ वर्षों से भारत ने अपना उत्पादन क्षेत्र विकसित करने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। इसी का असर दिखाई दे रहा है और उत्पादन क्षेत्र से जुड़ी सुविधाओं एवं अन्य ज़रूरतों का भी विकास हो रहा है। इस वजह से भारत में हो रहा विदेशी निवेश बढ़ा है। साथ ही कोरोना की महामारी फैलने के बाद मौजूदा स्थिति में जागतिक सप्लाई चेन का केंद्र बने चीन के लिए विकल्प की आवश्‍यकता होने का अहसास वैश्‍विक उद्योग क्षेत्र को हुआ है। भारत, उत्पादन क्षेत्र में चीन के लिए अच्छा विकल्प साबित हो रहा है, इसका अहसास प्रमुख देशों को हुआ है।

इसी कारण फिलहाल ‘ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग रिस्क इंडेक्स’ में चीन पहले स्थान पर होने के बावजूद इस क्षेत्र में भारत ने प्राप्त की हुई सफलता ध्यान आकर्षित करती है। इसके बावजूद भारत को जागतिक उद्योग क्षेत्र के लिए उत्पादन केंद्र के तौर पर विकसित होने के लिए काफी दूरी तय करनी पड़ेगी, ऐसा इशारा ‘कुशमन ऐण्ड वेकफिल्ड’ की रपट ने दिया है। खास तौर पर कोरोना की दूसरी लहर के दौरान भारत का उद्योग क्षेत्र प्रभावित हुआ था, इसका दखिला देकर ऐसी चुनौतियों पर हावी होने की क्षमता भारत ने रखी होगी, यह सलाह भी इस रपट में दी गई है।

कोरोना की वैश्‍विक महामारी के बाद चीन के विश्‍वभर के प्रमुख देशों के साथ संबंधों में तनाव निर्माण हुआ है। रशिया के अलावा चीन के सबसे बड़े व्यापारी भागीदार अमरीका, जापान, यूरोपिय महासंघ और ऑस्ट्रेलिया पर चीन नाराज़ है। इनमें से कुछ देशों के साथ चीन का व्यापार युद्ध शुरू हुआ है। इससे चीन की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग रहा है। निर्यातक अर्थव्यवस्था चीन के प्रमुख देशों के साथ निर्माण हुए मतभेद अगले दिनों में अधिक तीव्र हो सकते हैं। इससे विश्‍व की फैक्टरी के तौर पर पहचाने जानेवाले चीन से बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ बाहर निकल रही हैं। इससे भारत को लाभ प्राप्त हो सकता है। चीन से निकल रही कंपनियों के लिए भारत अनुकूल माहौल निर्माण कर रहा है और इस मोर्चे पर भारत को अब तक बढ़ियां रिस्पान्स प्राप्त होता दिख रहा है।

यह अच्छी शुरूआत है, लेकिन भारत को उत्पादन का जागतिक केंद्र बनने के लिए अभी काफी सुधार करने पड़ेंगे, ऐसा आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है। ‘कुशमन ऐण्ड वेकफिल्ड’ की रपट में भी यह मुद्दा रेखांकित किया गया है।

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