स्वतंत्र, महान शक्ति बना भारत अमरीका का आम सहयोगी देश नहीं है – अमरीका के वरिष्ठ राजनीतिक अधिकारी का सूचक बयान

वॉशिंग्टन – रणनीतिक स्तर पर काफी अलग भूमिका अपना रहा भारत यह अमरीका का अन्य देशों की तरह आम सहयोगी नहीं हैं, बल्कि अमरीका जैसी दूसरी महान शक्ति बनता है, ऐसा बयान अमरिकी व्हाईट हाऊस के वरिष्ठ अधिकारी ने किया है। लेकिन, अन्य सहयोगी देशों की तरह भारत अमरीका को जैसी चाहिये वैसी भूमिका अपनाता नहीं, फिर भी भारत के साथ अमरीका का जारी सहयोग पिछले दो दशकों में प्रचंड़ मात्रा में बढ़ा है। इसपर भी व्हाईट हाउस के एशियाई विभाग के समन्वयक कर्ट कैम्प्बेल ने ध्यान आकर्षित किया। पहले कभी भी नहीं था, मौजूदा समय में उतने मज़बूत सहयोग भारत और अमरीका के बीच स्थापित होने का दावा कैम्प्बेल ने किया है।

‘ऐस्पेसन सिक्युरिटी फोरम’ में बोलते हुए व्हाईट हाऊस के एशियाई विभाग के समन्वयक कर्ट कैम्पबेल ने अमरीका के भारत से हो रहे सहयोग की अहमियत रेखांकित की। रशिया ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध घोषित करने के बाद भारत ने अपना कहना स्वीकार करके रशिया विरोधी भूमिका अपनाए, ऐसी अमरीका की उम्मीद ती। लेकिन, भारत ने इस पर स्पष्ट इन्कार किया। भारत यदि चीन के विरोध में अमरीका और पश्चिमी देशों के सहयोग की उम्मीद रखता हैं तो रशिया का विरोध करना ही होगा, ऐसी धमकियां भी अमरीका ने विभिन्न मार्ग से भारत को दी थी। इसकी भी भारत ने परवाह नहीं की। इस पृष्ठभूमि पर भारत की स्वतंत्र विदेश निती का प्रभाव विश्व पर होता दिख रहा है। कुछ खाड़ी देशों ने भारत का अनुकरण करके अमरीका की मांग के अनुसार रशिया विरोधी भूमिका अपनाने से इन्कार किया था।

अमरीका के दबाव का भारत की विदेश नीति पर प्रभाव नहीं हो रहा है, इस पर गौर करके अमरीका के कूटनीतिक, राजनीतिक अधिकारी भारत के स्वतंत्र नीति का खास संज्ञान लेते दिख रहे हैं। कर्ट कैम्बेल ने किया बयान इसी की साक्ष देते हैं। अमरीका और भारत सहयोग की अहमियत स्पष्ट करते हुए कर्ट कैम्बेल ने दोनों देशों के यह ताल्लुकात सिर्फ चीन से उबरे खतरे से संबंधित ना होने का खुलासा भी किया। अन्य कई मोर्चो पर भारत और अमरीका के संबंध बड़े अहम साबित होते हैं, यह कहकर कैम्बेल ने दोनों देशों ने अपने सहयोग के मुद्दे पर अधिक महत्वाकांक्षी होना चाहिये, ऐसी सलाह दी हैं। खास तौर पर शिक्षा, अंतरिक्ष, मौसम के बदलाव, प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत और अमरीका के सहयोग के लिए बड़े अवसर होने के मुद्दे पर कैम्बेल ने ध्यान आकर्षित किया

साथ ही अमरीका में प्रभावी बने भारतीय समुदाय का दोनों देशों को करीब लाने में काफी बड़ा योगदान होने का दावा भी कर्ट कैम्बेल ने किया। भारत और अमरीका के खुले, मुक्त एवं स्वतंत्र इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से संबंधित नीति एक समान है। क्वाड की वजह से भारत और अमरीका का सहयोग बढ़ रहा हैं और अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने क्वाड सहयोग को गति प्रदान करने के लिए किए पहल का भी संज्ञान कैम्बेल ने इस दौरान दिया। अमरीका द्वारा भारत के सहयोग और क्वाड संबंधित ऐसे दाखिले दिए जा रहे हो, फिर भी वास्तव में अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने क्वाड का सहयोग चर्चा तक ही सीमित रहने का प्रावधान किया दिख रहा है।

अमरीका ने ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथ ‘ऑकस’ गुट का निर्माण किया है। साथ ही ऑस्ट्रेलिया के साथ स्वतंत्र द्विपक्षीय सैन्य सहयोग स्थापित करके इसमें जापान को भी शामिल होने का आवाहन अमरीका और ऑस्ट्रेलिया कर रहे हैं। इस सहयोग में क्वाड सदस्य भारत को शामिल करने के लिए अमरीका तैयार नहीं हैं। इसी वजह से भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के समावेश के क्वाड को अमरीका दे रही अहमियत सीर्फ घोषणा तक सीमित रही हैं।

इसके साथ ही भारत के आर्थिक एवं व्यापारी स्तर की अहमियत ध्यान में रखकर सीधे विरोध ना करने की नीति बायडेन प्रशासन ने फिलहाल अपनाई हैं।लेकिन, पाकिस्तानी वायु सेना के ‘एफ-१६’ लड़ाकू विमानों के लिए पैकेज घोषित करके बायडेन प्रशासन ने अपना भारत विरोध दिखाया है। इस तरह की हरकत कर रही थी, तभी बायडेन प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी समय समय पर भारत के साथ होने वाली रणनीतिक सहयोग पर बड़े बड़े दावे करके अपनी भारत संबधित नीति में बदलाव नहीं हुआ है, यही दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।

सीर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अमरीका के करीबी सहयोग देश इस्रायल, सौदी अरब समेत अन्य खाड़ी देशों के विषय में और चीन के हमले का खतरा होने वाले ताइवान पर भी बायडेन प्रशासन ने इसी तरह की नीति अपनाई हैं। इसका अमरीका के हितसंबंधों को काफी बड़ा नुकसान पहुंचा है और चीन जैसा मतलबी देश इसका पुरा लाभा उठा रहा हैं। अमरीका और सौदी के संबंधों में बने तनाव का लाभ उठाकर  चीन ने हाल ही में सौदी अरब के साथ ३० अरब डॉलर्स के समझौते किए थे। यह बायडेन प्रशासन की बेताल नीति के कारण ही हुआ, ऐसी आलोचना अमरिकी विश्लेषकों ने की थी।

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