भारत लोकतंत्र की जननी है – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली – प्राचीन समय से भारतीय जनता अपने नेता का चयन करती रही है। अपने नेता का चयन करना नागरिकों का प्रथम कर्तव्य होने का दाखिला महाभारत में है। इसके अलावा हमारे पावन वेदों में यह भी कहा है कि, राजनीतिक ताकतों का इस्तेमाल सर्वसमावेशक गुटों की चर्चा के बाद ही करें, यह साझा करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत ही प्राचीन समय से लोकतंत्र का पालन करने वाला देश होने की बात सूचित की। ‘द समिट फॉर डेमोक्रसी २०२३’ में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी यह बयान करके भारत के लोकतंत्र पर बयानबाज़ी कर रहे अमरीका और अन्य पश्चिमी देशों के कान खींचते नज़र आए।

अमरीका विश्व का सबसे पुराना लोकतंत्र होने के दावे यह देश करता रहता है। साथ ही दुनियाभर के अन्य देशों को खास तौर पर भारत जैसे विकासशील देश को जनतंत्र के पाठ सिखाने का अधिकार हमें प्राप्त हैं, इस समझ में अमरीका है। इस वजह से अमरीका के नेता बार बार भारत के लोकतंत्र पर बयानबाजी करते रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों से अमरीका के विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर किए बयानों पर भारत से दर्ज़ हुई प्रतिक्रियाओं में भारी गुस्सा जताया जा रहा है। इस पृष्ठभूमि पर इस परिषद में बोलते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने प्राचीन समय से भारत में रही लोकतंत्र की परंपरा का दाखिला देकर भारत विश्व से कई आगे था, इसकी याद दिलायी।

कठिन चुनौतियां सामने होने के बावजूद भारत मौजूदा दौर में सबसे तेज़ आर्थिक प्रगति कर रहा हैं। यह एक ही मुद्दा भारत के लोकतंत्र का सम्मान करने के लिए काफी होगा। लोकतंत्र लाभदायी साबित हो सकता हैं, यही संदेश इससे प्राप्त होता है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा। इसके साथ ही कोरोना की महामारी के दौर में भी भारत ने अपनी जनता को कोरोना के दो सौ करोड़ टीके लगवाएं और भारत की कोरोना विरोधी जंग जनकेंद्रीत था, इसका अहसास कराके सशक्त लोकतंत्र के बिना यह मुमकिन ही नहीं हो सकता, इसपर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्षित किया।

लोकतंत्र यानी सीर्फ व्यवस्था नहीं, बल्कि लोकतंत्र यह हर एक मानव के विचार करने की प्रेरणा हैं। भारत की ‘सबका साथ, सबका विकास’ नीति के पीछे यही आधार है। इसी वजह से भारत ने ‘वैक्सिन मित्रता’ योजना के तहत दुनियाभर के अन्य देशों को भी भी कोरोना के टीके प्रदान किए थे। यह भारत के ‘वसुधैव कुटुंबकम्‌’ और ‘वन अर्थ वन फैमिली ॲण्ड फ्युचर’ यानी ‘एक ही वसुंधरा, एक ही परिवार और समान भविष्य’ इस व्यापक नीति का हिस्सा हैं, ऐसा प्रधानमंत्री ने बड़े गर्व से कहा।

इसी बीच, लोकतंत्र को लेकर भारत विरोधी बयानबाजी कर रहे अमरीका और यूरोपिय देशों को प्रत्युत्तर देना मौजूदा समय में आवश्यक होने का अहसास भारत को हुआ है। इसी वजह से भारत के विदेश मंत्रालय ने प्राचीन समय से चले आ रही लोकतंत्र की परंपरा की जानकारी पुरे विश्व में साझा करने के लिए विशेष कोशिश शुरू की हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार नहीं, बल्कि कई बार भारत ही लोकतंत्र की जननी होने का बयान किया था। ‘द समिट फॉर डेमोक्रसी २०२३’ के अपने संबोधन में इसका फिर से ज़िक्र करके प्रधानमंत्री पश्चिमी देशों के भारत विरोधी प्रचार पर जोरदार तमाचा जड़ते दिखाई दिए।

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