अमरीका-ब्रिटेन से भारत आश्वासन नहीं बल्कि अलगाववादियों पर कार्रवाई करने की उम्मीद – विदेश मंत्रालय की चेतावनी

बेंगलुरू – सैन फ्रान्सिस्को और लंदन में स्थित भारतीय दूतावास पर हुए हमलों का भारत ने गंभीरता से संज्ञान लिया है। अमरीका और ब्रिटेन ने इन हमलों के बाद भारत को दूतावास की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त करने की कोशिश की। लेकिन, भारत को आश्वासन नहीं बल्कि इन हमलों को अंजाम देनेवालों पर कार्रवाई होने की उम्मीद है, ऐसा भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है। ऐसें में खलिस्तानी अलगाववादियों की इन भारत विरोधी गतिविधियों को रोकने में असफल हुए अमरीका और ब्रिटेन को विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने बड़ी फटकार लगाई। अपनी और दूसरों की सुरक्षा को देखने का कुछ देशों का नज़रियां दोगला है, ऐसी फटकार विदेश मंत्री जयशंकर ने लगाई।

लंदन में खलिस्तानी अलगाववादी भारतीय उच्चायोग के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। इस उच्चायोग पर लगा भारत का राष्ट्रध्वज हटाने तक इन अलगाववादियों का साहस बढ़ा था। लेकिन, भारतीय उच्चायोग के सुरक्षा का ज़िम्मा होनेवाले ब्रिटेन के पुलिस बल ने अपना कर्तव्य नहीं निभाया है। इसका गंभीर संज्ञान लेकर भारत ने इसके विरोध में ब्रिटेन के साने राजनीतिक स्तर पर शिकायत दर्ज़ की थी। इसे ब्रिटेन ने अनदेखा करके भारत की प्रतिक्रिया सौम्य रहने का विचार मन में रखा था। लेकिन, नई दिल्ली में ब्रिटेन के उच्चायोग एवं ब्रिटेन के उच्चायुक्त को मुहैया की हुई सुरक्षा भारत ने कम करने के बाद ब्रिटेन की आंख खुलती दिख रही हैं।

भारत के इस सख्त निर्णय के बाद ब्रिटेन ने भारत विरोधी हिंसा बर्दाश्त नहीं करेंगे, यह घोषित किया। लेकिन, अभी भी ब्रिटेन में खास तौर पर लंदन पुलिस बल खलिस्तानी अलगाववादियों पर कार्रवाई करने में उत्सुक ना होने की बात स्पष्ट दिख रही हैं। इस मामले में एक की गिरफ्तारी होने की जानकारी साझा करके ब्रिटेन ने अपनी ज़िम्मेदारी झटकी देखी गई थी। इसके विरोध में भारत में तीव्र गुस्सा व्यक्त किया जा रहा था। लंदन पुलिस बद की सौम्य कार्रवाई के कारण वहां खलिस्तानियों का उत्साह अधिक बढ़ा हैं औ वह लगातार भारतीय उच्चायोग के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं। वहां के भारतीय भी इसपर प्रत्युत्तर देने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।

अमरीका ने भी सैन फ्रान्सिस्को स्थित भारतीय दूतावास में घुसकर खलिस्तानी अलगाववादियों ने किए तहस नहस के विरोध में बयान किए हैं, फिर भी इस हरकत में शामिल खलिस्तानियों पर कार्रवाई नहीं की हैं। यह अमरीका और ब्रिटेन की भारत विरोधी रणनीति का हिस्सा होने का दावा कुछ विश्लेषक कर रहे हैं। साथ ही दोनों देश भारत को हलके में ले रहे हैं, ऐसी आलोचना इन विश्लेषकों ने की है।

इस पृष्ठभूमि पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने भारत को आश्वासन दे रहे अमरीका और ब्रिटेन को दो टूक लगाई है। हमें इन देशों से आश्वासनों की नहीं, बल्कि भारत विरोधी ताकतों पर कार्रवाई करने की उम्मीद हैं, ऐसा बागची ने कहा हैं। ऐसें में बेंगलुरू में आयोजित समारोह में बोलते हुए विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने अमरीका और ब्रिटेन के दोगले रवैये पर पुख्ता ध्यान आकर्षित किया है। कुछ देशों की अपनी और दूसरों की सुरक्षा को लेकर दोगली नीति होती हैं, ऐसा तमाचा जयशंकर ने जड़ा। अमरीका के भारतीय दूतावास और लंदन के भारतीय उच्चायोग को सुरक्षा मुहैया करने का ज़िम्मेदारी नहीं निभायी गई, यह कहकर इसके लिए जयशंकर ने अमरीका और ब्रिटेन को ज़िम्मेदार बताया।

नई दिल्ली में ब्रिटेन के उच्चायोग की सुरक्षा कम करके भारत ने ब्रिटेन को परिणामों का अहसास कराया। इसके बावजूद ब्रिटेन ने अपनी नीति में बदलाव करके खलिस्तानी अलगाववादियों के प्रति सहानुभूति दिखाई तो इसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर होगा, ऐसा संदेश भारत ने दिया है। साथ ही खलिस्तान का मुद्दा उठाकर भारत पर दबाव बनाने की चाल सफल नहीं होगी, इसका स्पष्ट अहसास भारत अब अमरीका और ब्रिटेन को करा रहा हैं।

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