एलएसी पर तनाव कायम रखकर भारत-चीन संबंध नहीं सुधरेंगे – विदेश मंत्री जयशंकर की चीन को फटकार

नई दिल्ली – ‘पिछले ४० साल भारत और चीन की सीमा पर शांति और सौहार्द कायम रहा था। लेकिन पिछले साल ये हालात बदल गए। बिना किसी के उकसाने के, चीन ने भारत की सीमा पर भारी मात्रा में लष्करी तैनाती की। सीमा पर तनाव बढ़ाकर द्विपक्षीय संबंध अच्छे रहेंगे, ऐसी उम्मीद कोई भी रख नहीं सकता’, ऐसे शब्दों में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन को फिर एक बार फटकार लगाई है। वहीं, भारत के चीन में नियुक्त राजदूत विक्रम मिस्री ने, सीमा पर शांति और सौहार्द कायम रखने पर दोनों देशों के नेताओं की सहमति हुई थी, इसकी याद चीन को करा दी। इस सहमति से मुकरकर, सीमा पर जारी चीन की हरकतों को छोटी बात मानकर नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता, ऐसा राजदूत मिस्री ने जताया है।

लद्दाख की एलएसी के गोग्रा, हॉट स्प्रिंग और डेप्सांग इन क्षेत्रों से अभी भी चीन ने वापसी नहीं की है। लद्दाख की एलएसी पर बना विवाद सुलझाने के संदर्भ में अब तक हुई प्रगति पर भारत संतोष ज़ाहिर करें, ऐसा चीन द्वारा बताया जा रहा है। उसके बाद भारत चीन को बार-बार परिणामों का एहसास करा दे रहा है। पिछले हफ्ते नई दिल्ली में आयोजित ‘रायसेना डायलॉग’ को संबोधित करते समय, रक्षाबलप्रमुख जनरल बिपीन रावत ने चीन को कड़ी चेतावनी दी थी। अपना लष्कर सामर्थ्यशाली है इस भ्रम में रहकर चीन ने भारत को झटका देने की कोशिश करके देखी। लेकिन भारतीय लष्कर के निर्धार के कारण, चीन एलएसी पर एकतरफ़ा बदलाव नहीं कर सका, ऐसा जनरल रावत ने कहा था। साथ ही, चीन के साथ बने एलएसी के विवाद में अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय भारत के समर्थन में खड़ा है, इसपर भी जनरल रावत ने गौर फरमाया था। उसके बाद विदेश मंत्री जयशंकर और भारत के चीन में नियुक्त राजदूत विक्रम मिस्री ने, चीन को फिर एक बार हालातों का एहसास करा दिया है।

‘पिछले ४० सालों से भारत और चीन की सीमा पर शांति और सौहार्द कायम रहा था। उसका फायदा दोनों देशों के संबंधों को हुआ और ये संबंध विकसित हुए। इसका अर्थ ऐसा नहीं है कि दोनों देशों के बीच का सीमा विवाद सुलझ गया। मग़र इस सीमा विवाद का असर भारत और चीन के संबंधों पर नहीं हुआ था। लेकिन पिछले साल से ये हालात बदले। चीन ने कोई भी वजह ना होते हुए, लद्दाख की एलएसी पर भारी मात्रा में लष्करी तैनाती की। सीमा पर तनाव बढ़ाकर द्विपक्षीय संबंधों को अच्छा नहीं रखा जा सकता, यह स्पष्ट है। इसी कारण भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंध, सहयोग कायम रहने के लिए, सीमा पर शांति और सौहार्द आवश्यक है, ऐसा मैं बार-बार कहता आया हूँ। अभी भी इस भूमिका में बदलाव नहीं हुआ है’, ऐसा विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया। एक कार्यक्रम में बात करते समय जयशंकर ने इस संदर्भ में होनेवाली भारत की भूमिका डटकर रखी।

‘इंडियन काऊन्सिल ऑफ वर्ल्ड अफेअर्स’ (आसीडब्ल्यूए) और चीन की पिपल्स इन्स्टीट्युट ऑफ फॉरिन अफेअर्स’ (सीपीआयएफए) ने संयुक्त रूप में आयोजित किए एक कार्यक्रम में राजदूत विक्रम मिस्री ने भी, सीमाविवाद को लेकर चीन को खरी-खरी सुनाई। भारत और चीन की सीमा पर घटित घटनाओं को छोटी बात समझकर हरगिज़ नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के बीच, सीमा पर शांति और सौहार्द कायम रखने पर सहमति हुई थी। उसे दोनों देश नजरअंदाज नहीं कर सकते, ऐसा मिस्री ने जताया। चीन की एलएसी पर चल रहीं हरकतें, दोनों देशों के सहयोग के लिए उपकारी साबित होनेवालीं नहीं हैं, उल्टा उससे एक-दूसरे पर का विश्वास नष्ट होगा, ऐसी चेतावनी राजदूत मिस्री ने दी है।

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