भारत-ऑस्ट्रेलिया द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर १०० डॉलर्स होगा

नई दिल्ली – भारत और ऑस्ट्रेलिया ने मुक्त व्यापारी समझौता किया है। लेकिन, दोनों देशों का व्यापारी सहयोग इस समझौते से आगे अधिक व्यापक करने का निर्धार दोनों देशों ने व्यक्त किया। इसके अनुसार आनेवाले समय में भारत और ऑस्ट्रेलिया का द्विपक्षीय व्यापार कुल १०० अरब डॉलर्स तक बढ़ाने का ध्येय दोनों देशों ने तय किया है। भारत के व्यापार मंत्री पियुष गोयल और ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री डॉन फैरेल ने संयुक्त वार्ता परिषद में यह अहम ऐलान किया।

भारत-ऑस्ट्रेलिया का द्विपक्षीय व्यापार फिलहाल सालाना ३० अरब डॉलर्स है। इस पर संतोष नहीं कर सकते। ऑस्ट्रेलिया को भारत के साथ इतने बड़े पैमाने में व्यापार करना है। अगले पांच सालों में इस द्विपक्षीय व्यापार का दायरा बढ़ाकर ४० से ५० अरब डॉलर्स करने की मंशा ऑस्ट्रेलिया की है, ऐसा इस देश के व्यापार मंत्री डॉल फैरेल ने कहा। भारत के व्यापार मंत्री पियुष गोयल ने भी इसकी पुष्टि की है।

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच व्यापारी समझौता और इसके आगे के व्यापक समझौते पर फिलहाल बातचीत जारी है। इस पर दोनों देशों के व्यापार मंत्रियों ने संतोष व्यक्त किया। दोनों देश अपने सामने इससे भी अधिक महत्वाकांक्षी ध्येय रखे, ऐसी उम्मीद व्यापार मंत्री गोयल और फैरेल ने व्यक्त की। दोनों देशों का व्यापार बढ़ाकर १०० अरब डॉलर्स करने का ध्येय हमें तय करना पडेगा और भारत-ऑस्ट्रेलिया मिलकर यह ध्येय निश्चितरूप से प्राप्त कर पाएंगे, ऐसा विश्वास ऑस्ट्रेलिया के व्यापार मंत्री ने व्यक्त किया है।

ऑस्ट्रेलिया के पास प्रगत तकनीक, अच्छे दर्जे की शिक्षा प्रदान करने वाली संस्थाएं, क्रिड़ा क्षेत्र का तजुर्बा है, भारत इसका लाभ उठा सकता है, ऐसा फैरेल ने कहा। वहीं, भारत अपने कुशल और गुणवत्तापूर्ण मनुष्यबल, औद्योगिक नींव और स्टार्टअप्स से मोर्चे की अनुकूल व्यवस्था खड़ी करने के लिए ऑस्ट्रेलिया को सहायता मुहैया करा सकता है, ऐसा दावा फैरल ने किया।

इसी बीच, ऑस्ट्रेलिया में प्रचंड़ मात्रा में दुर्लभ खनिजों के भंड़ार हैं और कोयला एवं अन्य खनिजों की आपूर्ति भारत को करने के लिए ऑस्ट्रेलिया उत्सुक दिख रहा है। साथ ही भारत के साथ रक्षा सहयोग मज़बूत करने की तैयारी भी ऑस्ट्रेलिया ने की है। इस रणनीतिक सहयोग का सकारात्मक प्रभाव भारत और ऑस्ट्रेलिया के अन्य क्षेत्रों के सहयोग पर होता दिख रहा है।

पहले के समय में चीन ही ऑस्ट्रेलिया का अहम व्यापारी भागीदार था। लेकिन, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में वर्चस्ववादी हरकतें शुरू करके चीन ने सीधे ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा को चुनौती दी थी। साथ ही ऑस्ट्रेलिया के पड़ोसी छोटे द्वीप देशों पर अपना वर्चस्व स्थापित करके चीन ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा को झटका देने की तैयारी कर रहा था। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने चीन विरोधी आक्रामक भूमिका अपनाई। इसका असर दोनों देशों के व्यापारी संबंधों पर पडा। चीन ने ऑस्ट्रेलिया से आयात घटाकर उसे सबक सिखाना शुरू किया था। चीन ने हमारे खिलाफ व्यापार युद्ध ही शुरू किया है, ऐसा ऑस्ट्रेलिया ने कहा था। भारत के साथ व्यापारी सहयोग बढ़ाकर हम चीन के व्यापार युद्ध का प्रत्युत्तर देंगे, ऐसे संकेत ऑस्ट्रेलिया ने दिए थे। भारत और ऑस्ट्रेलिया के व्यापारी सहयोग की यह रणनीतिक पृष्ठभूमि है।

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