भारत और फ्रान्स मिलकर यूक्रेन युद्ध रोक सकते हैं – फ्रान्स के राजदूत का दावा

नई दिल्ली – यूक्रेन के मुद्दे पर भारत और फ्रान्स एक-दूसरे के संपर्क में हैं और इस युद्ध को रोकने के लिए दोनों देश कोशिश कर रहे हैं, ऐसा भारत में नियुक्त फ्रेंच राजदूत इमैन्युएल लिनय ने कहा है। भारत और फ्रान्स दोनों बिल्कुल स्वतंत्र नीति वाले देश हैं। यह दोनों देश मिलकर काफी कूछ कर सकते हैं। यूक्रेन युद्ध रोकने से इस युद्ध का अनाज और ईंधन सुरक्षा पर होनेवाले बुरे असर कम करने तक भारत और फ्रान्स का सहयोग अहम साबित होगा, ऐसा राजदूत लिनय ने कहा।

उज्बेकिस्तान के समरकंद में आयोजित ‘एससीओ’ की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युद्ध का दौर खत्म हुआ है, यह अहसास रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन को कराया था। इसका दाखिला देकर फ्रान्स के राजदूत ने भारत और फ्रान्स मिलकर यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं, ऐसा विश्वास व्यक्त किया। ‘पीटीआई’ को साक्षात्कार के दौरान फ्रान्स के राजदूत ने अपनी नीति को स्वतंत्र रखनेवाले भारत और फ्रान्स जैसे लोकतांत्रिक देशों की कोशिशों को काफी बड़ी सफलता मिल सकती है, यह भी कहा। इसके लिए दोनों देशों ने कोशिश शुरू की है और यूक्रेन के मुद्दे पर भारत और फ्रान्स एक-दूसरे के संपर्क में होने की जानकारी फ्रेंच राजदूत ने साझा की।

तथा रशिया ने यूक्रेन पर किए हमले की फ्रान्स के राजदूत ने कड़ी आलोचना की। किसी भी वजह के बिना रशिया ने यूक्रेन पर हमला किया है, ऐसा आरोप फ्रेंच राजदूत ने लगाया। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में ऐसे हमले ना दोहराए जाएं, यही भारत की भी भूमिका है। चीन रशिया के नक्शेकदम पर चलकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में ऐसे हमले कर सकता है, ऐसे संकेत फ्रान्स के राजदूत ने दिए। भारत को यह मंजूर हो ही नहीं सकता। इससे भारत और फ्रान्स की भूमिका एकसी ही है, इससे समान भूमिका वाले लोकतांत्रिक भारत और फ्रान्स यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए बड़ा योगदान देंगे। रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन को राजनीतिक चर्चा के लिए दोनों देश मना सकते हैं, यह विश्वास फ्रेंच राजदूत ने व्यक्त किया है।

इसी बीच, फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रशिया के राष्ट्राध्यक्ष पुतिन से समय-समय पर चर्चा की थी। इस युद्ध में यूक्रेन और अमरीका की भूमिका ज्यों कि त्यों स्वीकारे बिना फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने इस युद्ध को रोकने के लिए काफी कोशिशें की थीं। इसके लिए उन पर यूरोपिय देश एवं अमरीका ने भी आलोचना की थी। लेकिन, यूक्रेन के चार प्रांतों पर रशिया के निर्णय के बाद राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने भी रशिया एवं रशियन राष्ट्राध्यक्ष पुतिन की कड़ी आलोचना शुरू की है।

आनेवाले समय में यूक्रेन युद्ध जारी रहा तो इसका यूरोपिय देशों को भयंकर परिणाम भुगतना पड़ेगा। अमरीका को इसकी परवाह करने की ज़रूरत महसूस नहीं हो रही है, यह स्पष्ट दिखने लगा है। ऐसी स्थिति में यूरोप के अहम देश फ्रान्स अब भारत की सहायता से और रशिया पर होनेवाले भारत के प्रभाव का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए गतिविधियाँ कर रहा है, ऐसा फ्रेंच राजदूत के बयानों से सामने आ रहा है।

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