नाटो में शामिल होने के बाद फिनलैण्ड और स्वीडन रशियन हमलों का लक्ष्य बनेंगे – स्वीडन स्थित रशियन राजदूत की चेतावनी

स्टॉकहोम/मास्को – ‘फिनलैण्ड और स्वीडन यह दोनों देश नाटो के सदस्य हुए तो रशिया और नाटो की सीमा बढ़कर दोगुनी हो जाएगी। इन देशों का समावेश यूरोप की सुरक्षा में सुधार करेगा, ऐसा विचार कई लोग रखते हैं। लेकिन, नाटो में शामिल होने के बाद फिनलैण्ड और नाटो दोनों भी रशिया के लक्ष्य बनेंगे। इसमें सैन्य स्तर के हमलों का भी समावेश होगा’, ऐसी चेतावनी स्वीडन स्थित रशिया के राजदूत विक्टर तातारिन्तसेव ने दी।

पिछले साल रशिया ने यूक्रेन पर हमला करने के बाद अमरीका और नाटो ने यूरोपिय देशों में काफी तैनाती बढ़ाने का निर्णय किया था। साथ ही रशिया की आक्रामकता को प्रत्युत्तर देने के हिस्से के तौर पर स्वीडन और फिनलैण्ड इन देशों को नाटो की सदस्यता प्रदान करने का प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव का रशिया ने तीव्र विरोध किया है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दोनों देशों का निर्णय दुर्भाग्यवश होने का बयान करके यह देश रशियन रक्षा बलों का लक्ष्य होंगे, यह चेतावनी भी दी थी।

लेकिन, फिर भी अमरीका और नाटो ने दोनों यूरोपिय देशों को नाटो का हिस्सा बनाने की दिशा में तेज़ गतिविधियां शुरू की हैं। अन्य नाटो सदस्य देश फिनलैण्ड और स्वीडन का समावेश करने के लिए मंजूरी प्रदान करे, इशके लिए उनपर दबाव बनाने की जानकारी भी सामने आयी है। तुर्की और हंगरी जैसे देश नाटो सदस्यता के लिए मंजूरी दे, इस मंशा से धमकाए जाने की बात भी स्पष्ट हुई है। फिर भी हंगरी जैसे देश ने स्वीड़न को सदस्य के तौर पर स्वीकारने से इन्कार किया है और इसपर अधिक चर्चा आवश्यक होने का बयान किया है।

दूसरी ओर तुर्की ने भी अपना विरोध पुरी तरह से खत्म नहीं हुआ हैं, ऐसे सकेत दिए हैं। यूरोप में हुई कुछ घटनाओं का मुद्दा उठाकर तुर्की ने अपना विरोध जारी रखने के संकेत दिए हैं।

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