वैश्विक अर्थव्यवस्था की संरचना में बड़ी उथल-पुथल होने का ड़र – वरिष्ठ आर्थिक विशेषज्ञ मोहम्मद अल-एरियन की चेतावनी

वॉशिंग्टन – ‘विश्व केवल नई आर्थिक मंदी की दहलीज पर है, इस भ्रम में ना रहें। वैश्विक अर्थव्यवस्था की संरचना में बड़ी उथल-पुथल होने के संकेत मिल रहे हैं’, ऐसी चेतावनी अमरीका के वरिष्ठ आर्थिक विशेषज्ञ मोहम्मद अल-एरियन ने दी। आम तौर पर मंदी के दौर में आर्थिक बढ़ोतरी का एक चक्र पूरा होता है और दूसरा शुरू होता है, लेकिन, फिलहाल वैश्विक अर्थव्यवस्था की संरचना में हो रहे बदलाव आर्थिक बढ़ोतरी के चक्र से अधिक समय तक असर दिखाएंगे, ऐसा इशारा एरियन ने दिया। कुछ महीने पहले रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन एवं जर्मन चान्सलर ओलाफ शोल्ज़ ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की पुरानी आर्थिक संरचना टूट रही है, ऐसा कहा था।

‘फॉरेन अफेयर्स’ नामक वेबसाईट के लिए लिखे लेख में अल-एरियन ने वैश्विक अर्थव्यवस्था की बड़ी उथल-पुथल के संकेत दिए हैं। ‘अर्थव्यवस्था की चुनौतियां अस्थायी या तुरंत पलटने योग्य होती हैं, यह सोच स्थिर हुई है। फेडरल रिज़र्व ने महंगाई का विस्फोट और मंदी को लेकर लगाए हुए अनुमान इसका नमूना हैं’, इन शब्दों में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय यंत्रणां के निर्णयों पर नाराज़गी व्यक्त की। लेकिन, वैश्विक अर्थव्यवस्था को सिर्फ मंदी से खतरा नहीं है, बल्कि पूरी व्यवस्था की संरचना में बदलाव हो रहा है, इस ओर एरियन ने ध्यान आकर्षित किया।

वैश्विक स्तर की कुछ घटनाएं इसके संकेत देती हैं, ऐसा अमरिकी आर्थिक विशेषज्ञ ने कहा। ‘पहले के दौर की अपर्याप्त मांग का स्थान अब अपर्याप्त सप्लाई ने लिया है। दूसरी ओर सेंट्रल बैंकों ने अमर्यादित पैसा अर्थव्यवस्था में लगाने पर प्रतिबंध लगाए हैं। साथ ही वित्त और निवेश बाज़ारों की स्थिति बड़ी नाज़ूक और कमज़ोर हो चुकी है। पिछले कुछ सालों से वैश्विक अर्थव्यवस्था में हो रही विभिन्न और असाधारण घटनाओं के पीछे यही मुद्दे हैं, इस पर ध्यान देना पडेगा’, इन शब्दों में एरियन ने अर्थव्यवस्था में बदलावों पर ध्यान आकर्षित किया।

‘आर्थिक स्तर पर लगातार अधिक बड़े झटके लग रहे हैं। अनिश्चितता बढ़ रही है लेकिन, विश्व के कई विश्लेषक इसे मानने के लिए तैयार नहीं हैं’, यह दावा अमरिकी आर्थिक विशेषज्ञ ने किया। पिछले दशक तक कार्यरत वैश्विक सप्लाई चेन की संरचना को झटके लगे हैं और शीर्ष कंपनियां विदेशों के बजाय देश में ही उत्पादन शुरू करने का विकल्प अपना रही हैं। इससे वैश्विकीकरण का स्वरूप बदल गया है, इसका अहसास एरियन ने कराया। यह बदलाव हो रहा था तब विश्वभर की सेंट्रल बैंकों ने भी अपनी नीति में बदलाव किए और इसका असर वित्त एवं निवेश क्षेत्र पर पडा, यह दावा उन्होंने किया।

कुछ दिन पहले अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा जारी किए गए ‘वर्ल्ड इकोनॉमिक आऊटलुक’ में वैश्विक अर्थव्यवस्था का भविष्य अधिकाधिक अंधकारमय होने की चिंता जताई गई थी। ऐसे में मुद्राकोष की प्रमुख, क्रिस्तालिना जॉर्जिवा ने वैश्विक अर्थव्यवस्था का विभाजन होने का ड़र जताया था। इसके बाद ‘ओईसीडी’ गुट ने भी वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी से नुकसान होगा, यह इशारा दिया था।

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