पृथ्वी का मॅग्नेटिक फ़ील्ड़ कमज़ोर होने के कारण अत्यावश्यक सेवाएँ बंद पड़ने का डर – सॅटेलाईट्स, विमान और मोबाईल सेवाएँ प्रभावित होंगी ऐसी वैज्ञानिकों की चेतावनी

पॅरिस – पृथ्वी पर की सजीवसृष्टि के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण साबित होनेवाला मॅग्नेटिक फ़ील्ड़ (चुंबकीय क्षेत्र) कमज़ोर हो रहा होकर, इससे सॅटेलाईट्स, विमान तथा मोबाईल सेवा बंद पड़ने का डर है, ऐसी चेतावमी वैज्ञानिकों ने दी है। चुंबकीय क्षेत्र अर्थात् ‘मॅग्नेटिक फिल्ड’ अधिक कमज़ोर होने पर पृथ्वी के उत्तर और दक्षिण ये दोनों ध्रुव (पोल्स्) अपनी जगहें बदल सकते हैं; इस बदलाव का बड़ा असर पृथ्वी का वातावरण और सजीवसृष्टि पर हो सकता है। ढ़ाई लाख वर्षों में एक बार पृथ्वी पर इस प्रकार का बदलाव होता है, ऐसी जानकारी ‘युरोपियन स्पेस एजन्सी’ के वैज्ञानिकों ने दी।

‘युरोपियन स्पेस एजन्सी’ ने अंतरिक्ष में भेजे ‘स्वार्म’ प्रकार के सॅटेलाईट्स ने प्राप्त की जानकारी के अनुसार चुंबकीय क्षेत्र के संदर्भ का यह निष्कर्ष निकाला गया है। अफ़्रीका और लॅटिन अमरीका इन दो महाद्वीपों में होनेवाले भाग का चुंबकीय क्षेत्र कमज़ोर हो रहा है। वैज्ञानिकों ने इसे ‘साऊथ अटलांटिक ऍनामॉली’ ऐसा नाम दिया होकर, चुंबकीय क्षेत्र कमज़ोर होनेवाले भाग की व्याप्ति पिछले कुछ सालों से बढ़ रही है, ऐसा कहा है। चुंबकीय क्षेत्र की क्षमता २४ हज़ार ‘नॅनोटेस्लाज’ से २२ हज़ार ‘नॅनोटेस्लाज’ तक कम हुई है, ऐसा ‘स्वार्म’ सॅटेलाईट्स ने दी जानकारी से सामने आया है।

इस प्रक्रिया के पीछे के कारण का हालाँकि अभी तक पता नहीं चला है, लेकिन पृथ्वी के दोनों ध्रुवों की स्थिति में होनेवाला बदलाव यही सबसे बड़ी संभावना होनी चाहिए, ऐसा वैज्ञानिकों का कहना है। पृथ्वी के दोनों ध्रुवों ने अपना स्थान बदलने के प्रकार को ‘जिओमॅग्नेटिक रिव्हर्सल’ ऐसा कहा गया है। इसके लिए पृथ्वी के भीतरी भाग के रूप से जाने जानेवाले ‘आयर्न अर्थ कोअर’ में होनेवालीं गतिविधियाँ कारणीभूत होतीं हैं।

पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र पूरी सजीव सृष्टि के लिए किसी संरक्षक ढाल की तरह कार्य करता है। इस चुंबकीय क्षेत्र के कारण, सूर्यकिरणों में से होनेवाले हानिकारक किरणोत्सर्ग से पृथ्वी पर स्थित सजीवसृष्टि की रक्षा होती है। उसी समय, अंतरिक्ष में बहनेवालीं हवाएँ तथा अन्य बातों से भी पृथ्वी का बचाव होता है। इस कारण, फिलहाल होनेवाले बदलाव चिंताजनक हैं, ऐसा मत युरोपियन वैज्ञानिकों ने व्यक्त किया है।

पृथ्वी के दोनों ध्रुवों ने अपना स्थान बदलने पर अंतरिक्ष में विचरण करनेवाले सॅटेलाईट्स तथा अंतरिक्षयान बंद पड़ सकते हैं। इसका बहुत बड़ा असर दुनियाभर की संपर्क यंत्रणा तथा हवाई सेवाओं पर भी हो सकता है और ये दोनों ठप पड़ सकतीं हैं। चुंबकीय क्षेत्र कमज़ोर पड़ने के पीछे पृथ्वी के मध्य में अर्थात् ‘अर्थ कोअर’ में निश्चित रूप से क्या बदलाव हो रहे हैं, यह समझ लेने की चुनौती अब वैज्ञानिकों के सामने है, ऐसा मत ‘जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जिओ सायन्सेस’ के वैज्ञानिक जुर्गन मॅट्स्का ने ज़ाहिर किया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.