१५. ‘एक्झोडस्’ – लाल समुद्र में से रास्ता

अब ईश्‍वर ने ग़ुलामी में से मुक्त किये हुए और ‘प्रॉमिस्ड लँड’ की ओर निकल पड़े ज्यूधर्मीय अच्छेख़ासे कैची में फ़ँसे थे। उन्हें पुनः ग़ुलामी में फ़ँसाने की इच्छा से ख़ौल उठा क्रूर फारोह अपनी सेना के साथ उनका पीछा करते हुए नज़दीक आ रहा था और आगे जाने के लिए रास्ता ही नहीं था – सामने लाल समुद्र फ़ैला हुआ था।

इन ज्यूधर्मियों में से कुछ लोग फारोह से लड़ने के लिए तैयार थे; कुछ लोगों ने ‘हम हारने ही वाले हैं’ यह यक़ीन होने के कारण, पुनः ग़ुलामी की नरकयातनाओं में फ़ँसने की अपेक्षा समुद्र में जान देने की तैयारी की थी; वहीं, इन दोनों में से कुछ भी करने की तैयारी न होनेवाले कइयों में घबराहट फैलकर, वे ‘क्यों इस झंझट में हमें बेवजह फ़ँसाया’ ऐसा कहते हुए मोझेस को दोष दे रहे थे।

लेकिन मोझेस ने उनका ज़रा भी तिरस्कार न करते हुए शान्ति से अपने इन बांधवों को समझाना शुरू किया। सबसे अहम बात यानी – ‘वे ईश्‍वर पर से अपना भरोसा ढलने ना दें और सर्वशक्तिमान् ईश्‍वर इस संकट में से हमारी रक्षा करने ही वाले हैं इस बात का यक़ीन रखें। ऐसा दृढ़ विश्‍वास रखा, तो आज के बाद इजिप्शियन लोगों का भय तुम्हें नहीं रहेगा’ ऐसा वह उन्हें अनुरोधपूर्वक कह रहा था। यह बात जब चल रही थी, उसी समय मोझेस मन ही मन, अपने ज्यूबांधवों की फारोह की सेना से रक्षा करने के लिए ईश्‍वर से प्रार्थना कर रहा था।

इतने में ईश्‍वर ने मोझेस से बात करनी शुरू की। पहले उन्होंने मोझेस को अभय दिया और मोझेस से, अपनी लाठी समुद्र की दिशा में उठाने और उसके बाद अपनी दोनों बाहें फैलाकर दोनों तरफ़ ले जाने के लिए कहा।

इसके साथ ही चमत्कार हुआ….! मोझेस द्वारा उपरोक्त इशारा किया जाते ही ज़ोर की हवाएँ बहने लगीं और समुद्र में बड़ीं बड़ीं पर्वतप्राय लहरें उठने लगीं। लेकिन कुछ ही पल में, सामने फैला हुआ वह लाल समुद्र विभाजित हुआ और बीचोंबीच एक रास्ता तैयार हुआ! तूफ़ानी हवाओं के कारण उठनेवालीं अतिप्रचंड लहरें उस रास्ते की दोनों तरफ़ अक्षरशः दीवार जैसीं आकर थमीं थीं, ऐसा वर्णन इस कथा में आता है।

यह चमत्कार देखकर सभी ज्यूधर्मीय अवाक् हो चुके थे कि तभी ईश्‍वर ने मोझेस से, इस तैयार हुए रास्ते पर से ज्यूबांधवों को समुद्र के पार ले जाने के लिए कहा।

The Map of Exodus

मोझेस द्वारा इशारा किया जाते ही सभी ज्यूधर्मीय इस रास्ते पर से चलने लगे। पीछा करते हुए आनेवाले फारोह के डर से वे अपनी चीज़वस्तुओं के साथ, जानवरों के साथ, उस रेती के रास्ते पर से जितनी हो सके उतनी तेज़ी से जा रहे थे।

फारोह तथा उसकी सेना हालाँकि रथों में से तेज़ रफ़्तार के साथ उनका पीछा करते आ रहे थे, मग़र फिर भी उनकी रफ़्तार केवल समतल बड़े रास्तों पर ही बढ़ती थी। जब भी कभी जंगलों के उबड़खाबड़ कच्चे रास्तों पर से, सँकरे रास्तों पर से या पर्वत-खाइयों के बीच के रास्तों पर से गुज़रना पड़ता था, तब इस सेना की नाक में दम आ जाता था और उनकी रफ़्तार बहुत ही धीमी पड़ जाती थी। इसी कारण, यह ज्यूधर्मियों का समूह पैदल जा रहा होने के बावजूद भी, लाल समुद्र की क़िनारे तक उनसे बहुत पहले पहुँच सका था।

जब इन ज्यूधर्मियों के समूह के आख़िरी गुटों ने उस लालसमुद्र में तैयार हुए रास्ते पर चलना शुरू किया, उसी दौरान फारोह की सेना, ये लोग दिखायीं दे सकें इतनी दूरी पर आ पहुँची।

इसी बीच, इन ज्यूबांधवों के पीछे बादलों के स्तंभ के रूप में खड़े रहकर, उनके पीछे घने अँधेरे का निर्माण करते हुए ज्यूधर्मियों की रक्षा करनेवाले ईश्‍वर अब वहाँ से आगे निकल चुके थे। इसी कारण, फारोह की सेना के सामने होनेवाला अँधेरा दूर होकर उन्हें आगे का सबकुछ बिल्कुल साफ़ दिखायी दे रहा था। इसी कारण, विभाजित हुए लाल समुद्र में तैयार हुए रास्ते पर चलनेवाले ये सभी ज्यूधर्मीय दूर से फारोह के सैनिकों को दिखायी दिये और जोश में आकर उन्होंने अधिक ही रफ़्तार के साथ ज्यूधर्मियों का पीछा करना शुरू किया।

फारोह की सेना जब लाल समुद्र में तैयार हुए उस रास्ते तक पहुँची, उस समय तक अधिकांश ज्यूधर्मियों ने उस रास्ते को पार किया था और कुछ बचेकुचे आख़िरी गुट अब धीरे धीरे पार हो रहे थे।

उन्हें पुनः ग़ुलाम बनाने की दारुण इच्छा से बाकी सारा भान छुट चुके फारोह की सेना ने अब इस रास्ते पर प्रवेश किया और जोश में आकर उनके पीछे दौड़ने की शुरुआत की। लेकिन उनके रथों के पहिये बीच बीच में रेती में धस रहे थे, घोड़े फिसल रहे थे। फिर भी वे जितनी हो सके उतनी तेज़ी से ज्यूधर्मियों का पीछा कर रहे थे।

….ईश्‍वर की योजना अब अंतिम चरण में आ पहुँची थी!

ज्यूधर्मियों के आख़िरी गुट लाल समुद्र के पार हुए। वे मुड़कर, अपना पीछा करते हुए तेज़ी से नज़दीक आनेवाली इस इजिप्शियन सेना की ओर साँस थामकर, भयभीत होकर देख रहे थे और अचानक….

….अचानक, अब तक इस समुद्र के विभाजित होने के कारण तैयार हुए रास्ते की दोनों ओर, दोतरफ़ा दीवारों की तरह स्तब्ध हो चुकीं लहरों ने अपनी स्तब्धता त्याग दी!

इससे पहले कि फारोह की सेना की कुछ भी समझ में आ जायें, उन पर्वतप्राय लहरों ने उन्हें घेर लिया। थोड़े ही समय में, ज्यूधर्मियों के लिए तैयार हुए उस रास्ते का नामोनिशान तक मिट चुका था। फारोह की सारी सेना को उनके रथों समेत समुद्र ने अपने पेट में समा लिया था।

The Pillar of Cloud

आख़िरकार ईश्‍वर ने ज्यूधर्मियों को इजिप्शियन लोगों से बचाया था। उस दिन ईश्‍वर की यह अपार ताकत देखकर ईश्‍वर की महानता सभी ज्यूधर्मियों की समझ में आयी। ‘ईश्‍वर ही सर्वोच्च हैं’ यह बात हर एक ने अपने मन पर अंकित कर दी। मोझेस को भी ज्यूबांधव ‘ईश्‍वर का प्रेषित’ (प्रोफेट) मानने लगे।

अपने पर आया यह संकट टल गया, यह देखकर ज्यूधर्मियों ने ईश्‍वर की जयजयकार करते हुए एक ही जल्लोष किया। उस समय मोझेस ने उत्स्फूर्ततापूर्वक ईश्‍वर की प्रशंसा करनेवाला एक गीत (‘साँग ऑफ द सी’, ‘साँग ऑफ मोझेस’) रचा, ऐसा उल्लेख इस कथा में आता है। मोझेस, उसकी बहन मिरियम तथा भाई आरॉन का साथ देते हुए सभी ने यह गीत गाया। ज्यूधर्मियों ने एक ‘एकसंध समूह’ के रूप में, ‘उस एक’ सर्वोच्च ईश्‍वर की प्रशंसा करते हुए गाया हुआ यह पहला ही गीत था और बायबल के गीतों में से भी यह पहला ही गीत है।

‘ईश्‍वर महान हैं। घोड़ों समेत घुड़स्वारों को समुद्र में फेंक देनेवालें सर्वोच्च ईश्‍वर का मैं गुणगान करता हूँ। ईश्‍वर ही मेरी शक्ति और ईश्‍वर ही मेरा गीत है। मुझे पापों से मुक्ति दिलानेवाले ईश्‍वर ही हैं। वे मेरे ईश्‍वर हैं और मैं उनकी लीलाओं का संकीर्तन करूँँगा; वे मेरे पूर्वजों के ईश्‍वर हैं और मैं उनके चरणों में विनम्र हो जाऊँगा। ज्यूधर्मियों के विनाश की इच्छा सिर पर हावी हुए फारोह की ताकतवर सेना को, समुद्र में एक फ़ूँक से जलसमाधि दिलानेवाले ईश्‍वर सर्वोच्च योद्धा हैं। ईश्‍वर जैसा सर्वोच्च पवित्र, सर्वोच्च लीलाधारी और हो भी कौन सकता है? सदैव ईश्‍वर का ही राज था, है और रहेगा’ ऐसा आशय कुल मिलाकर व्यक्त करनेवाला यह गीत मोझेस के साथ गाते हुए ज्यूधर्मिय गद्गद हो उठे थे।(क्रमश:)

– शुलमिथ पेणकर-निगरेकर

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