यूरोपिय महासंघ की बैठक में रशियन ईंधन की कीमत ६० डॉलर्स प्रति बैरल रखने के संकेत

ब्रुसेल्स/मास्को – रशिया से आयात हो रहे कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल ६० डॉलर्स निर्धारित करने के संकेत यूरोपिय महासंघ की बैठक में दिए गए हैं। इससे संबंधित प्रस्ताव अभी पारित नहीं हुआ है और पोलैण्ड ने यह कीमत न्यूनतम स्तर पर रखने की अड़िलय भूमिका अपनाने की जानकारी यूरोपिय सूत्रों ने साझा की। लेकिन, शुक्रवार देर रात तक इससे संबंधित निर्णय घोषित किया जाएगा, यह दावा यूरोपिय अधिकारियों ने किया है। पिछले हफ्ते ही रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने इसी मुद्दे पर सख्त चेतावनी दी थी।

रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पश्चिमी देशों ने रशियन ईंधन क्षेत्र को कमज़ोर करने के लिए बडे पैमाने पर प्रतिबंध लगाए थे, इसके बावजूद ईंधन क्षेत्र को नुकासन पहुँचाने की कोशिशें कामयाब नहीं हुईं। अमरीका, ब्रिटेन समेत यूरोप के कई देशों ने रशियन ईंधन का आयात बंद कर दिया। लेकिन, इनमें से कई देश विभिन्न मार्गों से रशियन ईंधन खरीद रहे हैं, यह बार-बार सामने आ रहा है। इसी बीच दूसरी ओर रशिया को भारत और चीन के अलावा एशियाई देशों में ईंधन निर्यात बढ़ाने में सफलता मिली है।

कुछ हफ्ते पहले विश्व के प्रगत देशों के ‘जी ७’ गुट ने रशियन ईंधन की कीमतों पर अंकुश लगाने का प्रस्ताव पेश किया था। अमरीका और यूरोप के कई पूर्व अधिकारी एवं अध्ययन मंडलों के विरोध के बावजूद यह प्रस्ताव लाया गया। लेकिन, रशियन ईंधन की कीमतें कितनी कम करनी हैं, इस पर अब तक सहमति नहीं हुई है। इस मुद्दे पर कुछ बैठकें असफल होने से यूरोपिय देशों में चिंता का माहौल बना था।

इस पृष्ठभूमि पर प्रति बैरल ६० डॉलर किमत रखने पर सहमति होने के संकेत ध्यान आकर्षित कर रहे है। अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें फिलहाल प्रति बैरल ८७ डॉलर्स के इर्दगिर्द हैं। इसी बीच रशियन ‘उरल्स’ वर्ग के तेल की कीमत प्रति बैरल ६७ से ६८ डॉलर्स है। ऐसी स्थिति में यह कीमत ६० डॉलर्स तक सीमित करके रशिया को झटका देना संभव होगा, यह दावा कुछ यूरोपिय देश कर रहे हैं। लेकिन, इस मुद्दे पर रशिया ने पहले ही सख्त चेतावनी दी थी।

रशियन ईंधन की कीमत पर अंकुश लगाने की कोशिश करने का अंतरराष्ट्रीय बाज़ार पर गंभीर परिणाम होगा, यह इशारा रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दिया है। जो देश ईंधन की कीमत पर अंकुश लगाने का निर्णय लेंगे, रशिया उन्हें ईंधन नहीं देगा, यह चेतावनी भी पुतिन ने दी। ईंधन उत्पादक देशों के ‘ओपेक’ संगठन ने भी रशियन ईंधन पर प्रतिबंध लगाने के प्रस्ताव पर तीव्र नाराज़गी जतायी है।

कुछ विश्लेषकों ने रशिया ईंधन बाज़ार में अपना निर्यात बहुत घटा कर सकती है और इससे कच्चे तेल की कीमतें फिर से बहुत उछलेंगे, यह ड़र व्यक्त किया है।

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