बढ़ती मांग और आपूर्ति की कमी के कारण कच्चे तेल की कीमत तीन महीनों के सर्वोच्च स्तर पर – एक महीने में प्रति बैरल १० डॉलर का उछाल

लंदन/वॉशिंग्टन – कच्चे तेल के उत्पादन कर रहे प्रमुख देशों के ‘ओपेक प्लस’ गुट ने जून महीने में ईंधन उत्पादन की कटौती दिसंबर, २०२४ तक जारी रखने का आक्रामक निर्णय किया था। इसका असर अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में होना शुरू हुआ है और सोमवार को कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल ८५ डॉलर का स्तर पार गई। यह पिछले तीन महीनों का उच्चतम स्तर समझा जा रहा है। अमरीका में कच्चे तेल की कीमत उछाल के साथ प्रति बैरल ८० डॉलर पार हुई है और इस वर्ष के अगले महीनों में भी यह उछाल कायम रहेगा, ऐसा दावा विश्लेषकों ने किया है।

बढ़ती मांग और आपूर्ति की कमी के कारण कच्चे तेल की कीमत तीन महीनों के सर्वोच्च स्तर पर - एक महीने में प्रति बैरल १० डॉलर का उछालमई महीने ‘ओपेक प्लस’ ने कच्चे तेल के उत्पादन में कुल ११ लाख, ५० हजार बैरल्स कटौती करने का ऐलान किया था। इससे पहले रशिया ने भी स्वतंत्र तौर पर पांच लाख बैरल्स की अतिरिक्त कटौती घोषित की थी। वहीं, जून महीने में सौदी अरब ने अपनी इच्छा से कच्चे तेल के उत्पादन की कटौती अस्थायी समय के लिए जारी रखने का निर्णय किया था। इसके अनुसार जुलाई महीने में कच्चे तेल के उत्पादन प्रति दिन १० लाख बैरल्स कम किया था।

‘ओपेक प्लस’ के यह निर्णय और अफ्रीका के ईंधन उत्पादक देशों की अस्थिरता के कारण तेल का उत्पादन और आपूर्ति की बड़ी कमी हुई है। साथ ही दूसरी ओर वैश्विक स्तर पर ईंधन की मांग फिर से बढ़ना शुरू हुआ है। बढ़ती मांग और आपूर्ति की कमी के कारण कच्चे तेल की कीमत तीन महीनों के सर्वोच्च स्तर पर - एक महीने में प्रति बैरल १० डॉलर का उछालअंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था गोल्डमन सैक्स ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार कच्चे तेल की औसतन मांग १०.२८ करोड़ बैरल्स थी। यह वर्ष २०१९ के बाद का सर्वोच्च स्तर समझा जा रहा है।

अमरीका और यूरोपिय देशों में कच्चे तेल के आरक्षित भंड़ार में गिरावट हो रही हैं और इसका असर ईंधन की मांग पर हो रहा है, ऐसा विश्लेषकों का दावा है। इसी बीच चीन और जापान जैसे देश अपने कच्चे तेल के आरक्षित भंड़ार भारी मात्रा में बढ़ा रहे हैं। अकेले चीन ने जून महीने में तेल की आयात ४५ प्रतिशत ज्यादा की है। जून महीने में चीन ने हर दिन औसतन १.२६ करोड़ बैरल्स तेल आयात करने की जानकारी सामने आयी है।बढ़ती मांग और आपूर्ति की कमी के कारण कच्चे तेल की कीमत तीन महीनों के सर्वोच्च स्तर पर - एक महीने में प्रति बैरल १० डॉलर का उछाल

चीन और जापान के अलावा अन्य एशियाई देशों की ईंधन की मांग भी बढ़ रही है और इस वर्ष के अन्त तक यह बढ़ोतरी जारी रहने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस वजह से अगले कुछ महीनों में कच्चे तेल की कीमत १०० डॉलर प्रति बैरल तक जाएगी, ऐसा विशेषज्ञों का दावा है। ‘गोल्डमन सैक्स’ ने पहले ही यह अनुमान व्यक्त किया था कि, इस वर्ष के अन्त तक कच्चे तेल की कीमत उछल कर प्रति बैरल १०७ डॉलर होगी और यह बढ़ोतरी आगे भी जारी रहेगी।

इसी बीच, रशिया ने ईंधन उत्पादन की बढ़ोतरी करने का दावा ‘ब्लूमबर्ग’ ने किया है। रशियन कंपनियों ने पिछले साल की तुलना में आठ प्रतिशत अधिक ‘ऑईल रिग्ज’ का खनन किया होने का बयान ब्लूमबर्ग के दावे मे किया गया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ईंधन कटौती जारी होने के बीच में रशिया में ‘ऑईल ड्रिलिंग’ बढ़ना चौकाने वाला है, ऐसा अमरिकी वेबसाईट ने कहा है।

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