प्रधानमंत्री ने दीं दलाई लामा को शुभकामनाएँ – इसके द्वारा भारत ने चीन को संदेश दिया होने का विश्लेषकों का दावा

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दलाई लामा को उनके ८६ वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में शुभकामनाएँ दीं। प्रधानमंत्री ने दलाई लामा को फोन करके दीं हुईं इन शुभकामनाओं का संबंध, भारत और चीन के बीच के तनाव के साथ जोड़ा जा रहा है। तिब्बती बौद्ध धर्मियों के सर्वोच्च नेता माने जानेवाले दलाई लामा के प्रति, दुनिया भर में आदर और सम्मान की भावना है। लेकिन सात दशक पहले तिब्बत पर अवैध रूप में कब्ज़ा करनेवाले चीन को, दलाई लामा का महज़ उल्लेख भी सहन नहीं होता। इस कारण भारत के प्रधानमंत्री ने दलाई लामा के साथ फोन पर चर्चा करके, चीन को संदेश दिया होने के दावे किए जाते हैं। हम शरणार्थी के रूप में भारत आए और यहीं पर बस गये, भारत की स्वतंत्रता और धार्मिक सहिष्णुता का हमने पूरा लाभ उठाया, ऐसा बताकर दलाई लामा ने कृतज्ञता ज़ाहिर की है। 

सन १९५० में चीन ने लष्कर घुसाकर तिब्बत पर कब्ज़ा किया था। चीन से होनेवाले खतरे के कारण सन १९५९ में दलाई लामा को तिब्बत छोड़कर भारत में आश्रय लेना पड़ा। उनके सहित कई तिब्बतियों ने भारत में आश्रय लिया। तिब्बत पर चीन ने किए आक्रमण को और चीन तिब्बतियों पर कर रहे अत्याचारों को दुनिया के सामने लाने का काम दलाई लामा भारत में रहकर समर्थ रूप में करते आए हैं। उसपर चीन ने समय-समय पर ऐतराज़ जताया था। दलाई लामा तिब्बत में दरार पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, यह बताकर चीन ने, इस मामले में भारत पर दबाव डालने की हर संभव कोशिशें करके देखीं। लेकिन दलाई लामा ये भारतीयों के लिए आदरणीय व्यक्तित्व हैं, ऐसा बताकर भारत ने चीन के ऐतराज़ों को ठुकराया था।

इस पृष्ठभूमि पर, प्रधानमंत्री मोदी ने दलाई लामा को फोन करके ८६ वें जन्मदिन की शुभकामनाएँ दीं। दलाई लामा को प्रदीर्घ और स्वास्थ्यमय जीवन प्राप्त हों, ऐसी सदिच्छा प्रधानमंत्री ने व्यक्त की। वहीं, हमने भारत की स्वतंत्रता तथा धार्मिक सहिष्णुता इनका पूरा लाभ उठाया, ऐसा दलाई लामा ने कहा है। भारत की धर्मनिरपेक्षता का और भारत की प्रामाणिकता, करुणा और अहिंसा इन मूल्यों का हम आदर करते हैं, ऐसा भी दलाई लामा ने आगे कहा। प्रधानमंत्री मोदी की दलाई लामा के साथ फोन पर हुई चर्चा को, भारत-चीन संबंधों के साथ जोड़ा जा रहा होकर, इसके जरिए भारत ने चीन को चेतावनी दी है, ऐसा विश्लेषकों का कहना है।

चीन पर तानाशाही जतानेवाली कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के सौ साल पिछले हफ्ते पूरे हुए। उसकी शुभकामनाएँ प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को नहीं दीं। इसका तिब्बतियों ने स्वागत किया था। इस पृष्ठभूमि पर, प्रधानमंत्री की दलाई लामा के साथ चर्चा गौरतलब साबित होती है। वर्तमान दौर में चीन अपने झिंजियांग प्रांत के उइगरवंशियों पर कर रहे अत्याचारों का मुद्दा दुनियाभर में चर्चित है। हॉंगकॉंग का लोकतंत्रवादी आंदोलन कुचलने के लिए चीन इस्तेमाल कर रहे दमनतंत्र पर अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय से तीव्र प्रतिक्रियाएँ आ रहीं हैं। उसी समय, चीन जिस तरह तिब्बती जनता की आवाज़ दबा रहा है, वह मुद्दा भी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उपस्थित किया जा रहा है।

इस कारण दलाई लामा के बारे में प्रकाशित हुईं खबरें चीन को बेचैन करनेवालीं साबित हो सकतीं हैं।

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