अफ़गानिस्तान में जारी गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर चीन के राष्ट्राध्यक्ष के संघर्ष के लिए तैयार रहने के संकेत

बीजिंग/काबुल – अफ़गानिस्तान से अमरीका वापसी करने में जुटी है और इसी बीच चीन लष्करी संघर्ष के लिए तैयार रहे, यह निवेदन राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने किया है। अमरीका की वापसी की वजह से झिंजियांग के उइगरवंशियों को स्थान मिलेगा, यह दावा चीनी हुकूमत कर रही है। इस पृष्ठभूमि पर चीन के राष्ट्राध्यक्ष का निवेदन ध्यान आकर्षित कर रहा है। लेकिन, चीन की यह भूमिका दोगली होने की बात सामने आ रही है और अफ़गान संघर्ष पर चिंता जता रहा चीन तालिबान को प्रगत मिसाइल प्रदान करने की तैयारी में जुटा होने की खबरें सामने आ रही हैं।

अमरीका ने बीते वर्ष तालिबान के साथ समझौता करके अफ़गानिस्तान में तैनात अपनी फौज हटाने का ऐलान किया था। डोनाल्ड ट्रम्प के बाद अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने भी अफ़गानिस्तान से सेना हटाने का निर्णय बरकरार रखा। लेकिन, मई के बजाय सितंबर तक यह सेना वापसी पूरी होगी, यह ऐलान उन्होंने किया। अमरीका और नाटो देशों की वापसी के बाद तालिबान फिर से पूरे अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करेगी, यह ड़र व्यक्त किया जा रहा है। अफ़गान प्रशासन और तालिबान ने किए दावों के अनुसार तालिबान 50 प्रतिशत से अधिक अफ़गान क्षेत्र पर कब्ज़ा करने में कामयाब हुई है।

इस पृष्ठभूमि पर चीन ने भी इस्लामधर्मी उइगरवंशियों का मुद्दा उठाकर अफ़गानिस्तान की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई। लेकिन, साथ ही तालिबान का समर्थन कर रहे पाकिस्तान के ज़रिये चीन ने अपने हित सुरक्षित करने की गतिविधियाँ शुरू की हैं। दूसरी ओर चीन ने लष्करी तैनाती और संघर्ष करने की तैयारी जुटाना भी शुरू किया है, यह बात राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के बयान से सामने आ रही है।

उइगरवंशियों के हमले और अस्थिरता का कारण बताकर चीन लष्करी तैयारी करने में जुटा है और इसके साथ ही तालिबान को सहायता प्रदान करने के लिए उसने पहल करने की बात भी स्पष्ट हो रही है। तालिबान के शिष्टमंडल ने हाल ही में चीन का दौरा करने का वृत्त प्रसिद्ध हुआ है। इसमें तालिबान के नेताओं ने चीन के विदेशमंत्री वैंग यी से मुलाकात की और इस बीच उनसे प्रगत मिसाइलों की माँग करने की बात कही जा रही है। अफ़गानिस्तान से बाहर निकलने के बाद भी तालिबान पर अमरीका के हवाई हमले जारी हैं और इसे प्रत्युत्तर देने के लिए चीन द्वारा ‘सरफेस टू एअर’ (सैम) मिसाइल प्रदान करने की माँग तालिबान ने की है।

हवाई हमले करने के लिए अमरीका इस्तेमाल कर रहे ‘बी-52 बॉम्बर’ विमानों के राड़ार ‘जैम’ करना और ‘इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेअर’ की क्षमता कमज़ोर करने की मंशा से ही तालिबान ने ‘सैम’ मिसाइल की माँग की है, ऐसा कहा जा रहा है। तालिबान को प्रदान होनेवाले यह मिसाइल बाद में पाकिस्तान के हाथों में लग सकते हैं, यह इशारा माध्यम दे रहे हैं। साथ ही चीन ने तालिबान को यह सहायता प्रदान की तो इस पर अमरीका की प्रतिक्रिया प्राप्त हो सकती है।

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