चीन की ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी के कारण उत्पादन कम हुआ – नैशनल ब्युरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स का दावा

बीजिंग – कोरोना की महामारी रोकने का कारण बताकर चीन ने ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ लागू की थी। इस वजह से चीनी शहर और प्रांत के नागरिकों को घरों से बाहर निकलने पर रोक लगाकर एक ही स्थान पर बंदी बनाकर रखा जा रहा है। इसका चीन के उत्पादन क्षेत्र पर बुरा असर हुआ है। किसी समय विश्‍व के फैक्टरी के तौर पर पहचाने जाने वाले चीन में अब उत्पादन काफी कम हुआ है। इसे पूरे विश्‍व में कम हुई माँग ज़िम्मेदार होने का बयान ‘नैशनल ब्युरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स-एनबीएस’ ने किया है।

जिनपिंग की हुकूमत ने पिछले तीन सालों से थोपी ज़ीरो कोविड पॉलिसी चीन की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर करनेवाली साबित हुई है। पिछले महीने से कोरोना का नया वेरियंट फैलने का ऐलान करके चीन ने झिंजियांग, शांघाय समेत ३१ शहरों में सख्त लॉकडाऊन लागू करके नागरिकों को घरों में बंदी किया है। इस वजह से २३ करोड़ से भी अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। इसी बीच चीन में उत्पादन और रोज़गार मे भा कमी होने की बात ‘एनबीएस’ नेअपनी नई रपट मे कही है। इस वजह से साल २०२२ के अन्त में चीन की आर्थिक गति धीमी होगी, यह दावा किया जा रहा है।

चीन की अर्थव्यवस्था को इस संकट से बाहर निकालने के लिए राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने अपने नए पोलिटब्यूरो के भरोसेमंद सहयोगी ‘हे लिफेंग’ पर ज़िम्मेदारी सौपी हैं। लिफेंग यह जिनपिंग के मर्जी के और उनके सहायक जाने जाते है। अगले मार्च महीने में लिफेंग चीन के नए उप-प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त होंगे। लेकिन, लिफेंग को आर्थिक नीति या प्रशासकीय अनुभव ना होने की बात पर चीन संबंधी विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। इस वजह से जिनपिंग ने अर्थव्यवस्था का ज्ञान रखने वालों को बाजू में रखकर करीबी सहयोगियों की नियुक्ति की है और इस वजह से चीन की अर्थव्यवस्था को इससे बिल्कुल भी लाभ नहीं होगा, यह दावा विश्लेषक कर रहे हैं।

इसी बीच चीन का वित्तीय घाटा एक ट्रिलियन डॉलर्स के करीब पहुँचा हैं। इस साल के पहले नौ महीनों में चीन का वित्तीय घाटा विक्रमी स्तर पर पहुँचने का दावा अमरीका के अग्रिम समाचार चैनल ने किया। कम्युनिस्ट हुकूमत ने रिअल इस्टेट के संकट से बचने के लिए अरबों डॉलर्स का किया प्रावधान इस वित्तीय घाटे के अन्य कारणों में से एक होने का दावा किया जा रहा है।

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