‘ग्लोबल साऊथ’ का पश्चिमियों से ज्यादा चीन ने ही अधिक नुकसान किया – विदेश मंत्री एस.जयशंकर

थिरूवनंतपूरम – भारत के साथ अन्य विकासशील देशों पश्चिमी देशों से नहीं, बल्कि चीन से अधिक खतरा हो सकता है। इसका अहसास विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कराया। एक वृत्तसंस्था को दिए साक्षात्कार में चीन का स्पष्ट ज़िक्र किए बिना जयशंकर ने पश्चिमियों के कारण नहीं, बल्कि चीन की वजह से विकासशील देशों का अधिक नुकसान होने का इशारा दिया है। पश्चिमी देशों ने प्रचंड़ मात्रा में उत्पादन करके एशिया और अफ्रीकी देशों के बाज़ार भर नहीं दिए हैं। इस वजह से पश्चिमी खराब हैं, यह विचार अब हमने छोड़ देना चाहिये, ऐसा विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा।

‘ग्लोबल साऊथ’ का पश्चिमियों से ज्यादा चीन ने ही अधिक नुकसान किया - विदेश मंत्री एस.जयशंकरपिछले १५ से २० सालों में वैश्विकीकरण के दुष्परिणाम हमारे ही हिस्से आए हैं। दूसरे देश की आर्थिक प्रगति के लिए हमारा इस्तेमाल हुआ, यह सोच ग्लोबल साउथ के दशों में बढ़ने लगी है। इसी कारण से कुछ देशों ने प्रचंड़ मात्रा में उत्पादन करके अपने उत्पादनों से एशिया और अफ्रीकी महाद्वीप के बाज़ार भर दिए। इसकी वजह से इन देशों का उत्पादन क्षेत्र बाधित हुआ और इसके दुष्परिणाम इन देशों की अर्थव्यवस्था को भुगतने पड़े। कोरोना का दौर और यूक्रेन युद्ध के बाद की समस्या अधिक तीव्रता से सामने आयी है। लेकिन, इस समस्या के लिए पश्चिमी देश ज़िम्मेदार नहीं हैं, ऐसा कहकर विदेश मंत्री जयशंकर ने इस स्थिति के लिए चीन ज़िम्मेदार होने के संकेत दिए।

मौजूदा दौर में पहले की तरह पश्चिमी देश विकासशील देशों के खिलाफ होने की रचना करना उचित नहीं होगा। हम सभी ने इस सोच से बाहर निकलना चाहिये। मौजूदा समय बड़ा जटिल हैं और सि दौर की समस्याएं भी उतनी ही जटिल हैं। इसे ठिक से समजना होगा, ऐसा जयशंकर ने कहा। साथ ही भारत इन समस्याओं को परस्त करके अपने उत्पादन, कृषी क्षेत्र का विकास करने की कोशिश में लगा हैं। ‘चांद्रयान-३’, टीकाकरण अभियान कामयाब करके भारत ने विकासशील देशों को दिशा दिखाई हैं। इसी कारण से ग्लोबल साउथ का हिस्सा होने वाले देश भारत की इस कामयाबी को बड़े उत्साह से देख रहे हैं। इस वजह से उन्हें नया जोश मिला हैं। साथ ही दूसरें किसी भी देश से ज्यादा ग्लोबल साउथ के यह देश भारत से अधिक दृढ़ता से जुड़ गए हैं, ऐसा दावा जयशंकर ने किया।

हाल ही में आयोजित ‘जी २०’परिषद में भारत ने अफ्रीकी महासंघ को इस गुट की सदस्यता बहाल की। इस वजह से अफ्रीकी देशों पर भारत का प्रभाव काफी बढ़ा है। साथ ही भारत ने चीन के ‘बेल्ट ॲण्ड रोड इनिशिएटिव’ (बीआरआई) परियोजना को विकल्प देने की तैयारी दर्शायी हैं और इसके लिए भारत से सहयोग कर रहे हैं। चीन के ‘बीआरआई’ का हिस्सा हुए देश चीनी कर्जे के जाल में फंसे हैं। चीन की इस शिकारी अर्थनीति के खिलाफ पश्चिमी देशों से सहायता पाकर भारत ग्लोबल साउथ के गरीब देशों को बचाने के लिए पहल कर रहा हैं। इसी कारण से मौजूदा समय पर पश्चिमी देशों को अपने शत्रु के नज़रिये से न देखें, क्यों कि इन देशों से ज्यादा चीन ही आपको अधिक नुकसान पहुंचा रहा हैं, ऐसा संदेश भारत के विदेश मंत्री दे रहे हैं। आगे के समय में इस संदेश का काफी बड़ा प्रभाव विकासशील देशों पर हो सकता हैं।

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