शरणार्थियों की अवैध घुसपैठ रोकने के लिए ब्रिटेन और फ्रान्स की नए समझौते पर सहमति

लंदन – ब्रिटेन और फ्रान्स के बीच की खाड़ी से हो रही शरणार्थियों की अवैध घुसपैठ रोकने के लिए नया समझौता किया जा रहा हैं। यह समझौता करने पर सहमति होने की जानकारी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषी सुनाक ने साझा की। इजिप्ट में शुरू ‘कॉप २७’ परिषद की पृष्ठभूमि पर फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन से हुई चर्चा के दौरान यह सहमति होने की बात सुनाक ने कही। इस समझौते के अनुसार ब्रिटेन के ‘बॉर्डर फोर्स’ के दल फ्रान्स में तैनात होंगे और इस तरह से हुई यह पहली तैनाती है।

ब्रिटेन और फ्रान्सब्रिटेन और फ्रान्स के बीच की खाड़ी ‘चैनल क्रॉसिंग’ नाम से जानी जाती हैं और इस समुद्री क्षेत्र से शरणार्थियों की भारी मात्रा में घुसपैठ जारी है। इस साल ‘चैनल क्रॉसिंग’ से लगभग तीन लाख शरणार्थियों ने अवैध ढ़ंग से ब्रिटेन में प्रवेश करने की बात सामने आयी है। शरणार्थियों के इस घुसपैठ के पीछे कुछ अपरधिक गिरोह होने की बात पहले ही स्पष्ट हुई थी। इस मामले मे फ्रान्स से सहयोग करके इन गिरोहों पर नकेल कसने के लिए एवं शरणार्थियों के झुंड़ रोकने की कोशिश हो रही थी। पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन के कार्यकाल मे भी फ्रान्स के साथ समझौता करने की गतिविधियां हुई। लेकिन, आखरी पल में यह कोशिश नाकाम हुई थी।

ब्रिटेन और फ्रान्सऋषी सुनक ने बागड़ोर संभालने के बाद इस मुद्दे को प्राथमिकता देने के संकेत दिए थे। फ्रान्स के साथ समझौता करने पर हुई सहमति इसकी पुष्टी करता है। नए समझौते के अनुसार ब्रिटेन फ्रान्स को करीबन आठ करोड़ युरो प्रदान करेगा। साथ ही फ्रान्स में शरणार्थियों के लिए लगाए जा रहे ‘कंट्रोल सेंटर्स’ में ब्रिटेन के ‘बॉर्डर गार्ड’ का हिस्सा होने वाले दलों की भी तैनाती की जाएगी। यह दल फ्रान्स के रास्ते ब्रिटेन पहुँच रहें शरणार्थियों को रोकने के लिए कदम बढ़ाएँगे, ऐसा कहा गया है। ब्रिटेन और फ्रान्स ने समुद्री क्षेत्र की गश्त का दायरा और मात्रा भी बढ़ाने का तय किया है।

फ्रान्स के साथ हुए समझौते के बाद अवध घुसपैठ रोकने के लिए यूरोप के अन्य देशों से भी समझौता करने के संकेत प्रधानमंत्री सुनाक ने दिए हैं। कुछ महीने पहले ब्रिटेन ने अफ्रीका के रवांडा देश के साथ शरणार्थियों को रखने के मुद्दे पर समझौता किया था। इसके अनुसार ब्रिटेन पहुँचे अवैध घुसपैठियों को प्रक्रिया पूरी होने तक रवांड़ा में रखना तय हुआ था। लेकिन, इस समझौते की भारी आलोचना हुई थी।

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