रशिया के ताल्लुकात और जनतंत्र का मुद्दा बनाकर बायडेन प्रशासन भारत पर दबाब बढ़ाने की कोशिश में

वॉशिंग्टन – रशिया से भारी मात्रा में ईंधन खरीदने के बावजदू भारत पर प्रतिबंध लगाने का विचार अमरीका नहीं रखती, ऐसा अमरीका की उप-विदेश मंत्री कैरन डॉनफ्रिड ने स्पष्ट किया था। लेकिन, अमरीका की यह उदारता बेगड़ी होने की बात फिर से सामने आयी है। अमरिकी सिनेट की फॉरिन अफेअर्स कमेटी में डेमोक्रैट पार्टी ने रखी रपट से यह स्पष्ट हुआ है। इस रपट में भारत और रशिया के संबंध और जनतंत्र के मुल्यों की गिरावट इन दो मुद्दों पर चिंता जताई गई है। चीन के विरोध में इंडो-पैसिफिक नीति निर्धारित करते समय अमरीका ने भारत से जुड़े इन दो मुद्दों पर ध्यान देना होगा, ऐसी सलाह इस रपट मे दी गई है।

भारत ने रशिया से ईंधन खरीद की मात्रा काफी बढ़ाई है और पिछले कुछ महीनों में रशिया ही भारत को सबसे ज्यादा ईंधन तेल की आपूर्ति कर रहा देश बना है। इसके विरोध में अमरीका ने भारत को आगाह भी किया था। लेकिन, भारत ने इसे अनदेखा करके रशिया से ईंधन खरीद जारी रखी थी। यह मुद्दा अमरीका को चूभ रहा है। दुनिया भर के प्रमुख देश अपनी सूचना का पालन करके रशिया से ईंधन नहीं खरीद रहे हैं और कुछ देशों ने यह ईंधन खरीद कम की है। लेकिन, भारत ने ऐसा किए बिना अपनी विदेश नीति स्वतंत्र है, इसका अहसास पूरे विश्व को कराया है। इसकी गूंज सुनाई दे रही है और खाड़ी एवं अन्य देशो ने भी भारत की तरह अमरीका की मांग स्वीकार ने से इन्कार किया था। इसी वजह से अमरीका फिर से भारत को अपनी नीति बदलने के लिए मज़बूर करने की कोशिश करती दिख रही है।

अमरीका ने सिनेट की फॉरिन अफेअर्स कमेटी मे शासक डेमोक्रैट पार्टी ने रखी रपट से बायडेन प्रशासन की भूमिका का सच सामने आया है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए चीन विरोधी रणनीति निर्धारित करते समय अमरीका ने भारत से संबंधित चिंता दूर करनी होगी, ऐसा इस रपट मे सूचित किया गया है। भारत-रशिया संबंध और इस देश के जनतांत्रिक मुल्य और संस्थाओं की गिरावट प्रमुख चिंता होने का बयान इस रपट में किया गया है। रशिया के साथ जारी भारत के संबंध और साथ ही भारत के जनतंत्र को लक्ष्य करने की बायडेन प्रशासन की साज़िश इससे फिर से विश्व के सामने आयी है।

एक ओर अमरीका का रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए भारत के रक्षा क्षेत्र में बड़ा निवेश करने के लिए अमरीका तैयार होने के दावे कर रहा हैं। इसके अलावा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने के लिए भारत ही अमरीका का सबसे अहम साथीदार देश होने के दावे भी पेंटॅगॉन कर रहा है। साथ ही भारत अपने इशारों पर काम करे, ऐसी उम्मीद हम नहीं रखते, यह संदेश बायडेन प्रशासन लगातार दे रहा है। भारत को लेकर आक्रामक रवैया दिखाया तो इसपर प्रतिक्रिया आ सकती है, इसे ध्यान में रखकर बायडेन प्रशासन सीधे धमकाने ने के बजाय विभिन्न तरीके से संदेश देकर भारत को रशिया के साथ जारी संदेश से पीछे हटने के लिए दबाव बना रहा है। इसी बीच भारत के जनतंत्र पर सवाल करके बायडेन प्रशासन भारत की प्रतिमा मलिन करने की गतिविधियां करने में जुटा दिख रहा है।

इस रणनीति का अहसास का अहसास होने की वजह से ही भारत ने कुछ उपक्रम शुरू करने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इसके अनुसार भारत ही जनतंत्र की जननी होने का मुद्दा साबित करने की कोशिश शुरू है, यह जानकारी विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने हाल ही में साझा की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारत के जनतंत्र की परंपरा का इतिहास काफी बड़ा है, यह कहकर ऐतिहासिक स्तर पर भारत में प्राचिन समय से जनतांत्रिक व्यवस्था थी, इसकी याद दिलाई। विदेश में इस जानकारी का प्रचार किया जा रहा है, ऐसा भारत के विदेश मंत्री ने हाल ही में कहा था।

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