अमरीका की फेडरल रिज़र्व के बाद ‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’ ने किया किया ब्याजदर बढ़ोतरी का ऐलान – अंतरराष्ट्रीय शेअर बाज़ारों की गिरावट

वॉशिंग्टन/लंदन – बुधवार को अमरीका के ‘फेडरल रिज़र्व’ ने ब्याजदर बढ़ोतरी का ऐलान करने के बाद ब्रिटेन की सेंट्रल बैंक ने भी यह निर्णय दोहराया हैं। विश्व के प्रमुख अर्थव्यवस्था के इन देशों ने ०.७५ प्रतिशत बढ़ोतरी की हैं। अमरीका ने ब्याजदर बढ़ाकर चार प्रतिशत किया है और ब्रिटेन में ब्याजदर अब ३ प्रतिशत हुआ है। यह २००८ के बाद का सर्वोच्चांक बना है। पिछले २४ घंटों में हुए इन ऐलान के बाद अंतरराष्ट्रीय शेअर बाज़ारों में तीव्र प्रतिक्रिया देखी गई। अमरीका के साथ यूरोप और एशिया के शेअर निर्देशांक की १ से ३.५ प्रतिशत गिरावट हुई।

रशिया-यूक्रेन संघर्ष औ वैश्विक सप्लाई चेन मे बनी बाधाओं के कारण विश्व के अग्रिम अर्थव्यवस्थाओं को लगातार नुकसान पहुँच रहे हैं। अमरीका और यूरोप समेत विश्व के प्रमुख देशों में महंगाई का बड़ा उछाल हुआ हैं। ईंधन की कीमतें उच्चांकी स्तर पर पहुँची हैं और आम जनता को ‘कॉस्ट ऑफ लीविगं क्राइसिस’ का सामना करना पड़ रहा हैं। विश्व की सैकड़ों कंपनियों ने कर्मचारियों की संख्या कम करना शुरू किया हैं और आर्थिक मंदी के आसार होने के इशारें विश्व की प्रमुख वित्तसंस्थाओं ने दिए हैं।

इस पृष्ठभूमि पर देश में महंगाई रोकने का कारण बताकर विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्था लगातार ब्याजदर बढ़ोतरी कर रही हैं। अमरिकी फेडरल रिज़र्व ने बुधवार को की हुई ०.७५ प्रतिशत बढ़ोतरी पिछले आठ महीनों में छठीं बढ़ोतरी हैं। इसके अलावा ०.७५ प्रतिशत ब्याजदर बढ़ोतरी करने का यह लगातार चौथा अवसर बना है। लगातार ब्याजदर बढ़ोतरी करने के बावजूद भी अमरीका में महंगाई का दर अभी भी आठ प्रतिशत से अधिक होने से ब्याजदर बढ़ोतरी का असर ना होने का दावा किया जा रहा है। फेडरल रिज़र्व ने ब्याजदर बढ़ाने से सीर्फ अमरिकी डॉलर मज़बूत हुआ हैं और इसके गंभीर परिणाम अन्य देश भुगत रहे हैं।

अमरीका के बाद ‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’ ने भी ब्याजदर मे ०.७५ प्रतिशत बढ़ोतरी घोषित की। इसके बाद ब्रिटेन में ब्याजदर तीन प्रतिशत हुआ है। यह साल २००८ के बाद ब्याजदर का सबसे उपरी स्तर बना है। महंगाई को रोकने के लिए यह बढ़ोतरी आवश्यक होने का समर्थन ब्रिटेन की सेंट्रल बैंक ने किया है। साथ ही ब्रिटेन को सदी के सबसे लंबे आर्थिक मंदी का सामना करना होगा, ऐसा इशारा भी बैंक ऑफ इंग्लैण्ड ने दिया।

अमरीका और ब्रिटेन की ब्याजदर बढ़ोतरी का असर शेअर बाज़ारों पर हुआ हैं। अमरिकी शेअर निर्देशांक की १.५ से ३.५ प्रतिशत गिरावट हुई। यूरोप के शेअर निर्देशांक की भी १ प्रतिशत से अधिक गिरावट हुई। इसके अलावा एशियाई शेअर निर्देशांक भी ०.५ से ३ प्रतिशत फिसलते देखें गए। मुद्रा बाज़ार में डॉलर को मज़बूती प्राप्त हुई हैं और जापानी येन, पोण्ड, युरो एवं लिरा के मुल्य की गिरावट हुई है।

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