काबुल हवाई अड्डे पर हुए हमलों से अफ़गानिस्तान की स्थिति अधिक भयंकर हुई

वॉशिंग्टन – काबुल हवाई अड्डे पर हुए आत्मघाती हमलों का ज़िम्मा अभी किसी भी आतंकी संगठन ने नहीं स्वीकारी है। अमरीका के कुछ अधिकारी इसके लिए ‘आयएस-इस्लामिक स्टेट’ पर आशंका जता रहे हैं। तभी, अमरीका के रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन के पूर्व अधिकारियों ने यह अनुमान लगाया है कि, वर्णित हमला तालिबान ने या तालिबान के ही किसी गुट ने किया होगा। साथ ही अफ़गानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं होने देंगे, यह ऐलान तालिबान ने करने की वजह से अल कायदा और आयएस जैसे आतंकी संगठन नाराज़ हुई है, इस ओर भी विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

अमरीका, ब्रिटेन और जर्मनी ने काबुल हवाई अड्डे पर आतंकी हमला होने की संभावना जताकर इशारा भी दिया था। वहां पर उमड़ी भारी भीड़ की वजह से इस हवाई अड्डे की सुरक्षा खतरे में है। ऐसी स्थिति में वहां पर आत्मघाती हमले करके आतंकी संगठनों ने पूरे विश्‍व को झटका दिया है। लेकिन, हवाई अड्डे की सुरक्षा पूरी तरह से तालिबान या अमरीका के भी हाथों में ना होने से इसकी ज़िम्मेदारी तय करना काफी कठिन हुआ है। साथ ही इसके पीछे कौनसा आतंकी संगठन है, इसका पता लगाना भी आसान ना होने का दावा किया जा रहा है।

अफ़गानिस्तान की ज़मीन आतंकवाद के लिए इस्तेमाल नहीं की जाएगी, यह वादा तालिबान ने किया था। इस वजह से आयएस और अल कायदा इन आतंकी संगठनों में नाराज़गी फैली है। तालिबान को झटका देने के लिए इन संगठनों ने इस आत्मघाती हमल को अंज़ाम दिया होगा, ऐसी संभावना पेंटॅगॉन के पूर्व अधिकारी ने जताई। साथ ही तालिबान कोई एक संघ वाला संगठन नहीं है, ऐसा कहकर तालिबान के ही किसी गुट ने इस आतंकी हमले को अंज़ाम दिया होगा, इस संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता, यह बयान भी वर्णित पूर्व अधिकारी ने किया है।

इन हमलों की वजह से अगले दिनों में अफ़गानिस्तान में किस हद तक भयंकर स्थिति निर्माण हो सकती है, इसकी पूर्वसूचना मिल रही है, ऐसा बयान विश्‍वभर के विश्‍लेषक कर रहे हैं। अफ़गानिस्तान में तालिबान की हुकूमत स्थापित हुई तो आतंकी हमले नहीं होंगे, ऐसे दावे कुछ लोग कर रहे थे। लेकिन, काबुल हवाई अड्डे पर हुए इन आत्मघाती हमलों की वजह से यह दावे खोखले साबित हुए हैं। तालिबान अफ़गानिस्तान में सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकती, यही संदेश पूरे विश्‍व को मिला है। इसी वजह से अगले दिनों में अफ़गानिस्तान की सुरक्षा स्थिति अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने सबसे बड़ी चुनौती साबित होती है।

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