भारत विरोधी, हिंदू धर्म द्वेषी जॉर्ज सोरस

अपने बयान और हरकतों के जरिये हम भारत के शत्रु, हिंदू धर्म द्वेषि और अनीति के प्रायोजक होने की बात जॉर्ज सोरस ने समय-सयम पर कही है। अपनी उम्मीद अनुसार भारत में गतिविधियां नहीं हो सकती, इसका गुस्सा सोरस कभी भी छुपा नहीं सके। इसकी वजह से भारत का नेतृत्व और व्यवस्था को सोरस बार-बार लक्ष्य करते रहे हैं। लेकिन, दूसरों पर आरोप लगाने वाले जॉर्ज सोरस के खिलाफ ही अब तक कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

साल १९३० में हंगरी में जन्मे जॉर्ज सोरस ८.५ अरब डॉलर्स संपत्ति के मालिक है, ऐसा दावा किया जाता है। प्रसिद्ध निवेशक और सामाजिक कार्य के लिए बडे दिल से निधि देने वाले दानवीर के तौर पर जॉर्ज सोरस की पहचान कराई जाती है। लेकिन, जिस देश में सोरस का जन्म हुआ उसी हंगरी की सरकार ने ‘एण्टी सोरस ऐक्ट’ पारित किया है। क्योंकि, स्वयंसेवी संस्था और दिखावे के लिए समाजकार्य करने का दावा करने वाले जॉर्ज सोरस से जुड़ी कई संस्थाएं असलम में हंगरी में राजनीतिक दखलअंदाज़ी कर रही थीं। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन ने ही आरोप लगाकर साल २०१८ में ‘एण्टी इमिग्रंट स्टॉट कोरस लॉ’ नामक कानून पारित करवाया था।

सीरिया और खाड़ी के अन्य देशों में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद वहां के शरणार्थियों की यूरोपिय देशों में घुसपैठ कराने के लिए सोरस से आर्थिक सहायता पानेवाली संस्था कार्यरत थी। जिन देशों ने इन शरणार्थियों का स्वीकार करने से इन्कार किया, ऐसे हंगरी जैसे देशों की सरकार गिराकर उनकी पसंदीदा सरकार बनाने की सोरस ने कोशिश शुरू की थी। इस कोशिश को विफल करने के लिए यह कानून बनाना पड़ा, ऐसा बयान प्रधानमंत्री ऑर्बन ने किया था। साथ ही शरणार्थियों की यूरोप में घुसपैठ करवाने के पीछे जॉर्ज सोरस के हित की बात होने का आरोप भी ऑर्बन ने लगाया था। इसी लिए सोरस शरणार्थियों को लेकर इतनी सहानुभूति दिखाते हैं, ऐसा ऑर्बन ने कहा था।

इसके अलावा रशिया और यूक्रेन युद्ध लंबा चलाने में भी जॉर्ज सोरस की अधिक रूचि होने की बात ऑर्बन ने साल २०२२ के जून में कही थी। रशिया जैसे ताकतवर देश के साथ टकराव करने की क्षमता यूक्रेन में नहीं है, इसके बावजूद जॉर्ज सोरस ने यूक्रेन की रशिया विरोधी गतिविधियों का समर्थन किया। इसके पीछे उनके हित छुपे हैं। क्योंकि, युद्ध से लाभ उठाने वाले उद्यमियों में सोरस का समावेश है, ऐसी तीखी आलोचना हंगरी के प्रधानमंत्री ने की थी। अपनी उदारतावादी पहचान बताने वाले निवेशक ने यूक्रेन युद्ध में अपनाई हुई भूमिका ऑर्बन के आरोप साबित करती है।

जॉर्ज सोरस विश्व का सबसे बड़ा भ्रष्ट इंसान है और दुनियाभर के राजनीतिक नेता, न्यायाधीश, प्रशासकीय अधिकारी, पत्रकार और सिविल सोसायटी का नकाब पहननेवाले राजनीतिक प्रदर्शनकारियों की बड़ी सूचि सोरस के वेतन पर काम करती है, यह दावा हंगरी के प्रधानमंत्री ने साल २०२० में ही किया था।

यूरोपिय देश सीरिया एवं इराक जैसे देशों से आए हुए शरणार्थियों को अपनाकर मानवता दिखाए, ऐसी मांग सोरस और उनकी संस्था लगातार बड़ी तीव्रता से कर रही थी। लेकिन, जिन देशों में गृहयुद्ध हो रहा था उन सीरिया और इराक से अधिक संख्या में, लाखों शरणार्थी अन्य देशों से यूरोप पहुँचे हैं, इस पर ध्यान आखर्षित करके सोरस के दावों पर कुछ लोगों ने सवाल उठाए थे।

यूरोप में शरणार्थियों को पहुंचाने के पीछे सोरस का स्वार्थ होने का आरोप इससे अधिक तीव्र हुआ था। जिन यूरोपिय देशों की जनसंख्या घट रही है, वहां बड़ी संख्या में शरणार्थी भेजे जाते हैं, इससे उन देशों की मूल पहचान ही मिट जाएगी, ऐसी चिंता जताई जा रही थी। लेकिन, सोरस जैसे भ्रष्ट उद्यमी को इसी की उम्मीद है, यह दावा उनके विरोधी कर रहे थे। इसकी वजह से कुछ देशों ने सोरस की ओपन सोसायटी फाऊंडेशन पर पाबंदी लगाई थी।

ऐसी पाबंदी लगाने वाले देश प्रतिगामी और सुधार विरोधी होने का आरोप लगाकर उनके खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दुष्प्रचार का अभियान चलाने की कोशिश सोरस और उनकी संस्थाओं ने की थी। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की सोरस कड़ी आलोचना करते रहे हैं। यूक्रेन युद्ध के लिए पूरी तरह से रशिया ही ज़िम्मेदार है, ऐसा कहकर सोरस ने आवाहन भी किया था कि, रशिया के खिलाफ सभी यूरोपिय देश खड़े हों।

उदारवाद का पुरस्कार करने वाले सोरस ने यूक्रेन युद्ध रोकने की और रक्तपात टालने की कोशिश किए बिना यूरोपिय देशों से यूक्रेन को युद्ध में सहायता मुहैया कराने के लिए हथियार और आर्थिक सहायता प्रदान करे, ऐसा आवाहन भी किया था। इसके अलावा यूक्रेन के लिए बाण्ड जारी करके यूरोपिय देश रशिया को सबक सिखाएं, ऐसा सोरस का कहना था। इस पर यूरोपिय देशों से प्रतिक्रिया नहीं आई। लेकिन, सोरस शांतिप्रिय नहीं, बल्कि युद्ध वादि हैं, यह बात इससे साबित हुई थी।

ऐसी विवादित छबि वाले सोरस ने पूरे विश्व के प्रमुख देशों में अपनी यंत्रणा विकसित की है और यह यंत्रणा सोरस के हितों की रक्षा करने का काम करती है, ऐसे दावे किए जाते हैं। विश्वभर में अराजकता, अशांति और अस्थिरता से लाभ उठाने वाले कुछ धनिकों में सोरस का नाम सबसे आगे पाया जाता है। ओपन सोसायटी यानी मुक्त समाज के नाम से अपने हित पाने की कोशिश में जुटे सोरस सही मायने में अपने वर्चस्व वाला विश्व बनाने का इरादा रखते हैं। इसमें बाधा डालने वाले देश, नेता और व्यवस्था की सोरस कड़ी से कड़ी आलोचना करते हैं और भारत के नेता और व्यवस्था पर सोरस की आलोचना भी इसी का ही हिस्सा लगती है।

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