२६/११ के ‘मास्टरमाइंड’ को अभी तक सज़ा नहीं हुई – विदेशमंत्री एस.जयशंकर

मुंबई – मुंबई पर किया गया २६/११ का आतंकी हमला यानी सिर्फ भारत पर हुआ आतंकी हमला नहीं था। बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर किया गया हमला हैं। ऐसा होने के बावजूद इस आतंकी हमले के ‘मास्टरमांइंड’ अभी तक सुरक्षित घुम रहे हैं। उन्हें अबी तक सज़ा नहीं हुई है। उनपर कार्रवाई करने का प्रस्ताव का राजनीतिक मंशा से विरोध किया जा रहा हैं, यह बात अंतरराष्ट्रीय समुदाय की विश्वासार्हता को झ्ाटका देती हैं, इन शब्दों में विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने आतंकवाद का प्रायोजक पाकिस्तान और आतंकियों का बचाव कर रहें चीन की कड़ी आलोचना की। २६/११ के हमले का लक्ष्य बने मुंबई के ताजमहाल होटल में आयोजित किए गए आतंकवाद विरोदी परिषद में विदेशमंत्री जयशंकर बोल रहे थे।

‘मास्टरमाइंड’संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद की आतंकवादविरोधी बैठक शुक्रवार को ताजमहाल होटल में शुरू हुई। इस दौरान विदेशमंत्री ने २६/११के आतंकी हमले की याद ताज़ा की और इस हमले का प्लैन बनानेवाले इसके कार्यान्वयन का आदेश देनेवाले अभीतक सुरक्षित घुम रहे हैं, इस पर ध्यान आकर्िषत किया। राजनीतिक कारणों से इन आतंकियों पर कार्रवाई करना मुमकिन नहीं हुआ हैं, यह भात काफी अफसोस की हैं, ऐसा कहकर जयशंकर ने एक ही समय पर पाकिस्तान को और आतंकवादियों पर सुरक्षा परिषद की कार्रवाई रोक रहें चीन को निशाना बनाया। पिछले कुछ हफ्तों में चीन ने पाकिस्तान के प्रायोजित आतंकियों पर होनेवाली कार्रवाई के प्रस्ताव का विरोध किया था। इस वजह से सुरक्षा परिषद में इन आतंकियों पर कार्रवाई करने के लिए पेश किए गए प्रस्ताव पर कुछ नहीं हो सका। सीधे ज़िक्र ना किया हो फिर भी विदेशमंत्री जयशंकर ने इस बयान से पाकिस्तान और चीन को फटकार लगाई हैं, ऐसें दावे माध्यम कर रहे हैं।

आतंकी हमला यकिनन यकायक होनेवारी बात नहीं हैं। इसके लिए आतंकियों को पैसा एवं अन्य स्रोतों की ज़रूरत होती हैं। यह सभी स्रोत रोकने के लिए गतिविधियाँ करना आवश्यक हैं। मौजूदा समय में पुरे विश्व को आतंकी हमलों से खतरा बन सकता हैं। लेकिन, भारत ने इसकी सबसे ज्यादा कीमत चुकाई हैं। बारत कई सालों से सीमा के उस ओर से आ रहें आतंकवाद का मुकाबला कर रहा हैं। इससे हमारे आतंकवाद के खिलाफ लड़ने का हमारा निर्धार कम नहीं हुआ, ऐसा जयशंकर ने कहा। साथ ही सीध ज़िक्र करने से दूर रहकर पाकिस्तान में अभी भी २६/११के अपराधि खुलेआम घुम रहे हैं, उन्हें सुरक्षा प्रदान हो रही हैं, इसपर जयशंकर ने ध्यान आकर्िषत किया। इन आतंकियों पर कार्रवाई नहीं हुई, यह हमारे सबके आतंकवाद विरोधी जंग की विश्वासार्हतापर सवाल खड़ा करनेवाली बात हैं, इसका अहसास भी विदेशमंत्री जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को कराया।

२६/११का हमला सीर्फ मुंबई या भारत पर हुआ हमला नहीं था, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर हुआ हमला था। भारतीय लोगों के साथ करीबन २३ देशों के नागरिक इस हमले में मारे गए थे, यह कहकर इस हमले की तीव्रता जयशंकर ने फिर एक बार विश्व के सामने रखी। ऐसी स्थिति में आतंकियों को हो रही पैसों की आपूर्ति रोकने के लिए ‘फायनान्शियल ऐक्शन टास्क फोर्स’ (एफएटीएफ) जैसे संगठनों ने अधिक प्रभावी काम करने की आवश्यकता है, इसे स्पष्ट विचार जयशंकर ने व्यक्त किया। इसके लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ ने ‘एफएटीएफ’ से समन्वय बनाकर काम करें, ऐसी माँग भारतीय विदेश मंत्री ने रखी हैं।

इसी बीच, ‘एफएटीएफ’ की हाल ही में हुई बैठक में पाकिस्तान का नाम ‘ग्रे लिस्ट’ से हटाया गया हैं। आतंकियों के आर्थिक स्रोत रोकने के लिए संतोषजनक काम करने का प्रशस्ति पत्र देकर ‘एफएटीएफ’ ने पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ से रिहा किया। इस वजह से राजनीतिक मंशा के लिए आतंकवाद के विरोध में हो रही कार्रवाई को अनदेखा किया जाता हैं, यह भारतीय विदेश मंत्री ने की हुई आलोचना के दायरे में अमरीका भी आती हैं। क्योंकि, अमरीका ने दिखाई दयाबुद्धी के कारण ही पाकिस्तान को ‘एफएटीएफ’ की ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर होना मुमकिन हुआ, ऐसा दावा विश्लेषक कर रहे हैं।

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