सौदी के साथ सहयोग पर पुनर्विचार करने की अमेरिका की धमकी – ओपेक प्लस देशों का सौदी को समर्थन

वॉशिंग्टन – अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाकार जेक सुलिवन ने ईंधन का उत्पादन घटाने का निर्णय लेने वाले सौदी अरेबिया के साथ सहयोग करने पर पुनर्विचार करने की धमकी दी। तथा आनेवाले जी20 की बैठक में राष्टाध्यक्ष बायडेन और सौदी के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान के बीच भेंट संभव ना होने की बात कहकर अमेरिका सौदी को अलग करने की कोशिश कर रही है। पर ’ओपेक प्लस’ की बैठक में ईंधन के उत्पादन में कटौती करने का निर्णय अकेले सौदा का नहीं है बल्कि, ईंधन उत्पादक देशों का संयुक्त निर्णय है, ऐसा कहकर अरब खाडी देश सौदी का साथ दे रहे हैं। 

इस महीने की शुरुआत में ’ओपेक प्लस’ की बैठक में ईंधन के उत्पादन में प्रतिदिन 20 लाख बैरल्स कटौती करने की बात तय हुई थी। अंतरराष्टीय बाजार की अस्थिरता के मद्देनज़र यह निर्णय लिए जाने की बात ओपेक प्लस ने घोषित की थी। पर ’ओपेक प्लस’ पर नियंत्रण वाला सौदी अरेबिया का यह निर्णय था ऐसा आरोप अमेरिकान ने लगाया था। अमेरिका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने भी ईंधन के उत्पादन में कटौती का निर्णय के लिए सौदी को गंभीर परिणामों के लिए तैयार रहने की धमकी दी थी। तथा रशिया के साथ मिलकर सौदी ने राजनैतिक खेल खेलने का कलंक अमेरिका ने लगाया है।

वैश्विक ईंधन बाजार में स्थैर्य निर्माण हो, सौदी की यही कोशिशें जारी है। इसी वजह से ईंधन के उत्पादन में कटौती करने का निर्णय लिया गया, ऐसा सौदी के राजा सलमान बिन अब्दुलाज़ीज़ अल सौद ने कहा है। तो सौदी के संरक्षणमंत्री प्रिन्स खालिद बिन सलमान ने सोशल मिडीया पर अमेरिका के इन आरोपों का उत्तर दिया। ’ईरान भी ओपेक का सदस्य देश है। ईंधन के उत्पादन में कटौती करने का निर्णय लेकर सौदी ने ईरान का समर्थन किया है, क्या इसका मतलब ऐसा होता है?’, यह सवाल प्रिन्स खालिद ने पूछा।

सौदी को लक्ष्य करने वाले अमेरिका के आरोपों के खिलाफ ओपेक प्लस के अरब खाडी देश सकेंद्रित हुए हैं। युएई, बाहरीन, ओमान, ईराक तथा अल्जेरिया ने खुलेआम ओपेक प्लस के निर्णय का समर्थन किया। ईंधन के उत्पादन में कटौती करने का निर्णय केवल सौदी का नहीं बल्कि वह संयुक्त होने की बात इन देशों ने कही है। ओपेक प्लस ने अमेरिका के खिलाफ ली हुई इस भूमिका की खबर ईरान के सरकारी चैनल ने जारी की है।

तो, नवम्बर के बाद ईंधन उत्पादन में कटौती शुरु की जाए, ऐसी मांग बायडेन प्रशासन ने की थी। 8 नवम्बर को अमेरिका में सिनेट के लिए महत्वपूर्ण मतदान होंगे। पिछले सालभर अनियंत्रित विदेश नीति और निर्णयों के कारण टीका किए जानेवाले राष्ट्राध्यक्ष बायडेन की वजह से डेमोक्रैट पक्ष का इन चुनावों में पराभव निश्चित माना जाता है। ऐसा हुआ तो अमेरिकन सिनेट एवं काँग्रेस सत्ताधारी डेमोक्रैट पक्ष के हाथों से छूट सकता है। 

इस पृष्ठभूमि पर, राजनैईक स्वार्थ के लिए सौदी पर दबाव डालकर ईंधन उत्पादन की कटौती रोकने की कोशिश बायडेन द्वारा किए जाने की चर्चा अमेरिकन माध्यमों में जारी थी। पर सौदी ने बायडेन प्रशासन की मांग खारिज कर दी। तथा, ईंधन उत्पादन के निर्णय में अन्य कोई भी देश दखलअंदाजी नहीं कर सकते, ऐसा सौदी द्वारा फटकार लगाए जाने पर बायडेन प्रशासन अधिक तमतमाया हुआ है। इसके बाद ही सिनेट के डेमोक्रैट पक्ष के सिनेटर्स से सौदी की लश्करी सहायता रोकने की और सैन्य तैनाती हटाने की मांग ज़ोर पकडने लगी।

पर नवम्बर के चुनावों के परिणामों तक सौदी के खिलाफ निर्णय नहीं लिए जा सकते, ऐसा अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सुलिवन सुझा रहे हैं। इसके बाद राष्ट्राध्यक्ष बायडेन सिनेट के सदस्यों से चर्चा करके निर्णय लेंगे। इसमें सौदी के साथ वाले लश्करी सहयोग से पलटने के निर्णय का भी समावेश हो सकता है, ऐसा इशारा सुलिवन ने दिया है।

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