अमरीका के साथ जारी तनाव की पृष्ठभूमि पर चीन और रशिया ने किया लष्करी सहयोग बढ़ाने का ऐलान

बीजिंग/मास्को – चीन और रशिया ने लष्करी सहयोग बढ़ाने का ऐलान किया है। शुक्रवार के दिन दोनों देशों के रक्षामंत्रियों की बैठक में इस मुद्दे पर बातचीत होने की जानकारी संबंधित देशों के सूत्रों ने प्रदान की। अमरीका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत के ‘क्वाड’ गुट के वरिष्ठ अधिकारीयों की बैठक के बाद तूरंत यह बैठक ध्यान आकर्षित करती है। चीन और रशिया के बीच हुई इस बैठक की पृष्ठभूमि पर यह दोनों देश अमरीका एवं मित्रदेशों के लिए सामरिक नज़रिये से बड़ी चुनौती होने का इशारा अमरीका के ‘स्ट्रैटेजिक कमांड’ के प्रमुख एडमिरल चार्ल्स ए. रिचर्ड ने दिया।

china-russia-military-exercise-1चीन और रशिया के खिलाफ फिलहाल अमरीका और पश्‍चिमी देशों ने बड़ा मोर्चा खोलने का चित्र सामने आ रहा है। साउथ चायना सी, व्यापारी लूट, सायबर हमले, हाँगकाँग एवं कोरोना जैसे मुद्दों पर पश्‍चिमी देशों ने चीन पर प्रतिबंध लगाए हैं। तभी, क्रिमिया, आक्रामक लष्करी तैनाती, ऐलेक्सी नैवेल्नी, सायबर हमलों जैसे मुद्दों पर रशिया के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। पश्‍चिमी देशों की इन गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर चीन और रशिया अधिक करीब आते दिख रहे हैं।

जून में चीन और रशिया के राष्ट्राध्यक्षों की ‘वर्चुअल कान्फरन्स’ हुई थी। उस समय रशिया और चीन की ‘फ्रेंडशिप ट्रीटि’ के विस्तार से दोनों देशों के संबंधों को अभूतपूर्व उंचाई प्राप्त हुई है, यह दावा रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने किया था। तो, रशिया-चीन के संबंध अंतरराष्ट्रीय संबंधों की नई रचना का उदाहरण साबित होते हैं, ऐसा चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने कहा था। इसके बाद इस महीने में दोनों देशों के बीच हुआ व्यापक लष्करी अभ्यास रक्षा क्षेत्र के बढ़ते सहयोग के संकेत देनेवाली बात साबित हुई है।

चीन में हुए ‘झैपड/इंटरैक्शन-२०२१’ नामक इस युद्धाभ्यास में दोनों देशों के हज़ारों सैनिकों के साथ लड़ाकू विमान, हेलिकॉप्टर्स, टैंक शामिल हुए थे। इस युद्धाभ्यास के आखिरी दिवस पर रशिया के रक्षामंत्री सर्जेई शोईगु न लष्करी शिष्टमंडल के साथ चीन की यात्रा की। इस दौरान उन्होंने चीन के रक्षामंत्री वेई फेंगहे समेत दोनों देशों के रक्षा सहयोग से संबंधित चर्चा की। इस दौरान चीन और रशिया के बीच एक-दूसरे के साथ रक्षा सहयोग अधिक मज़बूत करने पर एकमत होने की जानकारी संबंधित देशों के सूत्रों ने प्रदान की। चीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने चीन और रशिया का यह युद्धाभ्यास यानी पश्‍चिमी देशों को दिया हुआ सख्त संदेश होने का इशारा दिया है।

रशिया और चीन के इस बढ़ते सहयोग की पृष्ठभूमि पर अमरीका के वरिष्ठ अफसरों ने यह दोनों देश बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं, यह इशारा भी दिया। ‘चीन की विश्‍व की सबसे बड़ी नौसेना है और विश्‍व में तीसरे क्रमांक की बड़ी वायुसेना भी है। चीन अपनी परमाणु क्षमता और परंपरागत रक्षाबल बड़ी मात्रा में बढ़ा रहा है। चीन हायपरसोनिक मिसाइलों का भी तेज़ी से निर्माण कर रहा है। रशिया ने भी अपने परंपरागत एवं परमाणु क्षमता का तेज़ी से आधुनिकीकरण करना शुरू किया है और सायबर क्षमताओं के माध्यम से अन्य देशों पर दबाव ड़ालने के लिए अलग अलग माध्यमों का विकल्प अपना रही है’, इन शब्दों में अमरीका के ‘स्ट्रैटेजिक कमांड’ के प्रमुख एडमिरल चार्ल्स ए. रिचर्ड ने दोनों देश बड़ी चुनौती होने की बात स्पष्ट की।

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