नौसेना के लिए ‘नेक्स्ट जनरेशन मिसाईल व्हेसल्स’ का निर्माण तेज़ – ‘कोचिन शिपयार्ड’ को १० हज़ार करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट

नई दिल्ली – ब्रह्मोस और निर्भय जैसे स्वदेशी बनावट के आधुनिक क्षेपणास्त्रों से लैस होनेवाले प्रगत युद्धपोतों के निर्माण के लिए तेज़ी से गतिविधियाँ शुरू हुईं हैं। जहाज निर्माण क्षेत्र में अग्रसर सरकारी कंपनी होनेवाली ‘कोचिन शिपयार्ड’ के पास ‘नेक्स्ट जनरेशन मिसाईल व्हेसल्स’ (एनजीएमव्ही) के निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्वदेशी बनावट के इन युद्धपोतों के लिए कोचिन शिपयार्ड को १० हज़ार करोड रुपयों का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है, ऐसा घोषित किया गया।

पिछले साल रक्षा राज्यमंत्री श्रीपाद नाईक ने, नौसेना को अधिक सामर्थ्यशाली बनाने के लिए अगले १० वर्षों में भारत सरकार ५१ अरब डॉलर का प्रावधान करनेवाली है, यह जानकारी दी थी। इसके तहत नये युद्धपोत, पनडुब्बियाँ और अन्य प्रगत रक्षा यंत्रणाओं का निर्माण तथा खरीद की जाएगी, ऐसा रक्षा राज्यमंत्री नाईक ने बताया था। ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘आत्मनिर्भर भारत’ अंतर्गत स्वदेशी बनावट के युद्धपोतों पर ज़ोर दिया जाएगा, ऐसा यकीन भी नाईक ने दिलाया था।

‘कोचिन शिपयार्ड’ को दिया गया ‘नेक्स्ट जनरेशन मिसाईल व्हेसल्स’ का कॉन्ट्रैक्ट भी उसी का भाग माना जाता है। कॉन्ट्रैक्ट में ‘एनजीएमव्ही’ की संरचना के संदर्भ में जानकारी दी गई है। उसके अनुसार, ये प्रगत विध्वंसक दो से ढाई हजार टन वज़न के होंगे और उसपर ११ अधिकारियों समेत ९० नौसैनिक कार्यरत होंगे। इन विध्वंसकों की रफ्तार २५ से ३५ नॉटस् इतनी होगी और पहुंच लगभग तीन हज़ार नॉटिकल मील होगी, ऐसे संकेत दिए गए हैं।

‘एनजीएमव्ही’ पर आठ ‘सरफेस टू सरफेस मिसाईल्स’, ‘सरफेस टू एअर मिसाईल सिस्टिम’(सॅम), ‘१५ केएम रेंज एमआर गन सिस्टिम’, ‘इलेक्ट्रोऑप्टिकली गायडेड क्लोज-इन वेपन्स सिस्टिम’ (सीआयडब्ल्यूएस) और राडार तैनात होंगे। स्वदेशी बनावट के इस प्रगत विध्वंसक पर ब्रह्मोस और निर्भय जैसे प्रगत सुपरसॉनिक क्षेपणास्त्र तैनात किए जा सकते हैं। भारत द्वारा ये विध्वंसक अन्य देशों को निर्यात करने के भी संकेत दिए गए हैं। खासकर चीनी नौसेना की दहशत में होनेवाले आग्नेय एशियाई देशों को भारत इन विध्वंसकों की सप्लाई कर सकता है।

आनेवाले समय में, रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता यह देश के सामने प्रमुख ध्येय होगा और उसी के साथ, रक्षा विषयक निर्यात बढ़ाने के लिए खास प्रयास किए जाएंगे, ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषित किया है। उसके अनुसार देश की बनावट के अत्याधुनिक युद्धपोत और विध्वंसकों के निर्माण के साथ ही उनकी निर्यात करने का लक्ष्य सामने रखा जा रहा है।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के बढ़ते सामर्थ्य के कारण निर्माण हुआ असमतोल, अस्थिरता और असुरक्षितता को मद्देनजर रखते हुए, भारत इस क्षेत्र का लोकतंत्रवादी देश होने के कारण सुरक्षा के लिए योगदान दें, ऐसी उम्मीद दुनिया के प्रमुख देश जाहिर कर रहे हैं। उसे प्रतिसाद देने की तैयारी भारत ने की है। लेकिन उसके लिए भारतीय नौसेना को अपने सामर्थ्य में वृद्धि करनी होगी और इसके लिए भी भारत ने पिछले कुछ वर्षों से योजनाबद्ध प्रयास शुरू किए हैं। चीन जैसे ताकतवर देश की नौसेना के वर्चस्व का मुकाबला करते समय, भारत को अपनी नौसेना की क्षमता में लगातार वृद्धि करनी होगी, इसका एहसास देश को हुआ है।

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