आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध के दौरान ईरान में जा गिरा ड्रोन

येरेवान/बाकु – आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच दो सप्ताह से अधिक समय से जारी युद्ध प्रति दिन तीव्र होता जा रहा है। रशिया की पहल से थोड़े समय के लिए किया गया युद्धविराम भी नाकाम साबित हुआ है और दोनों ओर से एक-दूसरे पर हमले बढ़ाने की जानकारी सामने आ रही है। आर्मेनिया के प्रधानमंत्री निकोल पाशनियान ने तुर्की की भूमिका में बदलाव हुए बिना अज़रबैजान के जारी हमले बंद नहीं होंगे, यह कहकर यह युद्ध भड़कने के पीछे तुर्की का ही हाथ होने के संकेत दिए हैं। इसी पृष्ठभूमि पर मंगलवार के दिन अज़रबैजान का एक ड्रोन ईरान के सरहदी क्षेत्र में जा गिरने की बात सामने आयी है।

मध्य एशिया के आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच २७ सितंबर से युद्ध हो रहा है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय के आवाहन के बाद भी दोनों देशों के नेताओं ने पीछे हटने से इन्कार किया है। युद्धविराम करने की कोशिश करने के बाद भी यह युद्ध अधिक तीव्र होने की बात सामने आ रही है। अज़रबैजान के पीछे ड़टकर खड़े होनेवाले तुर्की ने अपनाई आक्रामक भूमिका ही इसके लिए ज़िम्मेदार होने की बात समझी जा रही है।

दोनों ओर बड़ी मात्रा में तोप, रॉकेटस्‌, मिसाईल्स एवं ड्रोन्स का इस्तेमाल हो रहा है और हज़ारों लोग मारे गए हैं। आर्मेनिया ने युद्ध में अपने ५४० से अधिक सैनिक युद्ध में मारे गए हैं, यह जानकारी प्रदान की है। लेकिन, अज़रबैजान ने अपनी सेना का हुआ नुकसान घोषित करना टाल दिया है। इसी पृष्ठभूमि पर अज़रबैजान का एक ड्रोन ईरान की सीमा में जाकर गिरने की घटना सामने आयी है। वायव्य कोण ईरान के अर्देबिल प्रांत में यह ड्रोन गिरने की बात कही गई है। इसमें ईरान का किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ है और यहां पर गिरा हुआ ड्रोन इस्रायल निर्मित होने का दावा किया गया है।

इसी बीच, अमरीका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने आर्मेनिया एवं अज़रबैजान दोनों देशों को युद्धविराम का पालन करने का आवाहन किया है। दोनों देश एक दूसरे के नागरी क्षेत्र में हमले करना बंद करें, यह आवाहन भी उन्होंने किया है। युद्ध के दौरान हो रहे जीवित नुकसान पर तीव्र खेद व्यक्त करके अमरीका शांति के राह से हल निकालने के लिए वचनबद्ध होने की बात विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने कही। साथ ही तुर्की ने फिर एक बार आर्मेनिया-अज़रबैजान युद्ध बंद करने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही बातचीत में अपना समावेश करने के लिए कोशिश शुरू की है। तुर्की के विदेशमंत्री मेवलुत कावूसोग्लु ने मिन्स्क ग्रुप के सभी देशों ने एक साथ मिलकर हल निकालने की सलाह भी दी है।

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