अरब स्प्रिंग क्रांति की शुरुआत ठहरे ट्युनिशिया मे सरकार विरोधी आंदोलन भड़का

ट्यूनिस: ७ वर्षों पूर्व ‘अरब स्प्रिंग’ आंदोलन का मूल ठहरे ट्यूनीशिया में फिर एक बार सरकार विरोधी आंदोलन भड़क उठा है। सरकार ने जारी किए नए कर, खर्च कटौती के धारणाओं की वजह से वेतन में हुई गिरावट एवं भड़की महंगाई की वजह से शुरू हुए प्रदर्शन में पिछले २ दिनों में हिंसक मोड़ लिया है। सोमवार को प्रदर्शन के दौरान एक आंदोलक की मृत्यु के लिए जिम्मेदार ठहरी है और भड़के प्रदर्शनकर्ताओ ने सरकारी इमारत, पुलिस स्टेशन एवं गाड़ियों को जलाना शुरु किया है। पुलिस ने प्रत्युत्तर में किए कार्रवाई के बाद हिंसा अधिक भड़की है और बुधवार से महत्वपूर्ण शहरों में लष्कर तैनात किए गए।

अरब स्प्रिंग क्रांति

सन २०१० में ट्यूनीशिया में सिदी बौझिद इस शहर में मोहम्मद बौअझिझी इस फल विक्रेता ने आत्मदहन किया था। इस आत्मदहन के बाद ट्यूनीशिया में सरकार विरोधी आंदोलन भड़का था। २०११ में शुरू हुए इस आंदोलन में ट्यूनीशिया में लगभग २४ वर्षों के बाद सत्ता पर आए हुकुमशाह झीने एल बिदीन बेन अली को सत्ता छोड़ने पर विवश किया था। बेन अली ने सत्ता छोड़ने के बाद ट्यूनीशिया में अस्थिरता कायम होकर, पिछले ७ वर्षों में लगभग ९ सरकार गिरे हैं। फिलहाल ट्यूनीशिया में उदारमतवादी निदा तुनेस एवं इस्लामी विचारधारा के एन्नाहदा के साथ यूपीएल एवं अफेक तुनेस पक्ष की संघठित सरकार है।

सन २०१५ में अंतरराष्ट्रीय वित्त व्यवस्था में सुधार के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने ट्यूनीशिया को लगभग ३ अब्ज डॉलर्स का कर्ज दिया था। इस के बदले में देश के आर्थिक सुधार करने के नियम जारी किए थे। इन शर्तों के अनुसार ट्यूनीशिया सरकार ने प्रशासकीय खर्च में कटौती, कर में बढ़ोतरी, वेतन कटौती जैसे उपाय योजना हाठ लिए है। सन २०१८ के अर्थ संकल्प में इस संदर्भ में प्रावधान किए हैं और उसे १ जनवरी से कार्यान्वित किया गया है।

सरकार के इन धारणाओं की वजह से महंगाई बढ़ी है और जनता में असंतोष बढ़ने लगा है। पिछले हफ्ते में राजधानी ट्यूनिस के साथ कई भागों में सरकार विरोधी प्रदर्शन में असंतोष बढ़ता दिखाई दे रहा है। राजधानी ट्यूनिस के पास होने वाले टेबोर्बा शहर में मोर्चे के दौरान बुधवार को एक आंदोलक की मृत्यु हुई है। पुलिस ने यह मृत्यु सांस लेने में तकलीफ के होने का कारण दिखाने का दावा किया है। पर बलि गए आंदोलक के पोस्टमार्टम रिपोर्ट उजागर करने से बात से इंकार किया है।

इस की वजह से नाराज हुए स्थानीय समुदाय ने इस आंदोलक के अंतिम यात्रा के दौरान आक्रामक भूमिका ली है। इस आक्रामकता का प्रभाव देश के अन्य भागों में उमड़ा है और लगभग २० से अधिक शहरों में प्रदर्शन भड़के हैं। पुलिस ने प्रदर्शन के विरोध में आंसू धुँआ एवं लाठीमार का प्रयोग करने के बाद भी प्रदर्शन रोकने में भी असफलता आने की बात सामने आई है। हिंसक जमाव द्वारा पुलिस को किए मारकाट में ५० पुलिस जख्मी हुए हैं।

आंदोलक पुलिस से नहीं डर रहे हैं, इसीलिए सरकार ने राजधानी ट्यूनिस के साथ अन्य शहरों में लष्कर तैनात किए हैं और सरकारी इमारत एवं आस्थापना के पास अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था तैनात की है। ट्यूनीशिया के प्रधानमंत्री यूसुफ चाहेद ने आंदोलकों के विरोध में आक्रामक कार्रवाई का इशारा दिया है और विरोधी पक्ष के लोग प्रदर्शनकर्ताओ को भड़का रहे हैं, ऐसा आरोप किया है। लष्कर एवं स्थानीय सुरक्षा यंत्रणा में हिंसा करने वाले ३०० से अधिक प्रदर्शनकर्ताओ को कब्जे में लेने की बात कही गई है।

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