अब्राहम समझौते के कारण इस्रायल से अरब देशों को हो रही हथियारों की निर्यात बढ़ी – इस्रायल के रक्षा मंत्रालय की जानकारी

जेरूसलम –  पिछले वर्ष इस्रायल के हथियारों की निर्यात १२.५४ अरब डॉलर के विक्रमी स्तर पर पहुंची। लगातार दूसरे वर्ष इस्रायल के हथियारों की निर्यात में वृद्धि देखी गई हैं और अब्राहम समझौते के बाद अरब देशों से हथियारों की मांग बढ़ी हैं, यह जानकारी इस्रायली रक्षा मंत्रालय ने साझा की। इनमें से लगभग २४ प्रतिशत हथियारों की निर्यात अब्राहम समझौते का हिस्सा बने यूएई और बहरीन इन देशों को ही होने का बयान इस्रायली रक्षा मंत्रालय ने किया है। रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस्रायली ड्रोन की मांग काफी बढ़ी हैं और यूएई ने इस्रायल से हवाई सुरक्षा यंत्रणा खरीदी है, यह दावा भी हो रहा है। 

हथियारों की निर्यातइस्रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने यूएई, बहरीन इन अरब देशों के साथ अब्राहम समझौता किया है। इसके बावजूद नेत्यान्याहू ने पैलेस्टिन के मुद्दे पर अपनाई नीति की वजह से यह समझौता लंबे समय तक नहीं चलेगा, ऐसी चेतावनी अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने दी थी। अमरीका से सैन्य सहायता पाने के लिए अरब देशों ने इस्रायल के साथ अब्राहम समझौता किया, ऐसे दावे किए जा रहे थे। लेकिन, इस्रायली रक्षा मंत्रालय के ‘इंटनैशनल डिफेन्स को-ऑपरेशन डायरेक्टोरेट’ यानी सिबात ने जारी की हुई रपट के अनुसार अब्राहम समझौता इस्रायल के हथियारों की निर्यात बढ़ाने के लिए सहायक साबित होने की बात सामने आयी है।

वर्ष २०११ से २०१६ के पांच सालों में इस्रायल के हथियारों की निर्यात ६ से ७.५ अरब डॉलर थी। इसमें इस्रायल से हथियार खरीद करने में भारत सबसे आगे था। लेकिन, वर्ष २०२० के अब्राहम समझौते के बाद इस्रायल के हथियारों की मांग बढ़ने की जानकारी सिबात की जानकारी से सामने आयी है। वर्ष २०२१ में इस्रायल के हथियारों की निर्याओ ११.४ अरब डॉलर थी। वहीं, पिछले वर्ष रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद इस्रायल की शस्त्र निर्यात बढ़कर १२.५४६ अरब डॉलर तक जा पहुंची है, ऐसा सिबात ने कहा है। 

हथियारों की निर्यातरशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से यूरोपिय देश एवं यूएई और बहरीन ने इस्रायल से शस्त्र खरीद बढ़ाई है। वर्ष २०२१ में यूएई और बहरीन ने इस्रायल से लगभग ८.५ करोड़ डॉलर के हथियार खरीदे थे। पिछले वर्ष अब्रहम समझौते का हिस्सा हुए देशों ने इस्रायल से २९ करोड़ डॉलर से भी अधिक कीमत के हथियार खरीदे हैं। इस्रायल ने यूएई, बहरीन, मोरोक्को और सूड़ान इन देशों से अब्राहम समझौता किया है, फिर भी यूएई और बहरीन यह दो देश ही इस्रायल से शस्त्र सहयोग कर रहे हैं।

रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस्रायल के गश्ती एवं हमलावर ड्रोन की मांग बढ़ने के मुद्दे पर ‘सिबात’ के प्रमुख ब्रिगेडिअर जनरल क्लॉस ने ध्यान आकर्षित किया। इस युद्ध से पहले इस्रायली ड्रोन की मांग नौ प्रतिशत तक थी। लेकिन, रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से इस्रायली ड्रोन की मांग बढ़कर २१ प्रतिशत तक जा पहुंची हैं। पिछले साल यूएई ने इस्रायल की राफेल कंपनी के साथ ‘स्पाइडर’ नामक हवाई सुरक्षा यंत्रणा की खरीद करने के लिए समझौता किया था। इसके बाद इस्रायील राड़ार यंत्रणा, मिसाइल और रॉकेटस्‌‍ की मांग बढ़ने की जानकारी इस रपट से सामने आयी है। 

पिछले साल दुबई में आयोजित एअर शो में इस्रायल ने पहली बार अपना ‘स्टॉल’ लगाया था। यूएई की सुरक्षा यंत्रणा के साथ ही अन्य कंपनियों ने इस्रायल के इस ‘स्टॉल’ को बड़ा रिस्पान्स दिया। इस वर्ष इस्रायल की ३० से अधिक शस्त्र निर्माती कंपनियां दुबई के एअर शो में शामिल हुई थी। अब्राहम समझौते के कारण ही यह मुमकिन हुआ, ऐसा सिबात ने कहा हैं। आगे के समय में अब्राहम समझौते का हिस्सा बने अरब देश इस्रायल से अधिक मात्रा में शस्त्र खरीद करेंगे, यह दावा किया जा रहा हैं। 

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