जॉर्डन की मध्स्थता से शुरू हुई इस्रायल और पैलेस्टिन की चर्चा

जेरूसलम – जॉर्डन की मध्यस्थता से इस्रायल और पैलेस्टिन के प्रतिनिधियों के बीच चर्चा शुरू हुई है। वेस्ट बैंक से इस्रायल पर हो रहे हमले बढ़ रहे हैं और इन हमलों को रोकने के लिए इस्रायल ने अधिक सख्त निर्णय लेना शुरू किया है। इसमें आतंकवादियों पर हवाई हमले करने के साथ ही जेरूसलम में यहूदियों के लिए होने वाले हज़ारों निर्माण कार्य वैध करार देने के निर्णय का भी समावेश है। पैलेस्टिन के नेता इस्रायल का यह निर्णय हम पर अतिक्रमण है, यह कहकर इसके खिलाफ अंत तक लड़ने के बयान करने लगे हैं। अमरीका और यूरोपिय देशों ने भी इस पर गंभीर चिंता जताई है और इसके परिणाम बुरे होंगे, ऐसी चेतावनी भी दी थी। इस पृष्ठभूमि पर जॉर्डन की मध्यस्थता से शुरू हुई यह चर्चा बड़ी अहिमयत रखती है।

इस वर्ष की शुरूआत से इस्रायल ने अब तक की हुई कार्रवाई में 62 पैलेस्टिनी मारे गए हैं और इनमें महिलाओं और बच्चों का भी समावेश होने की बात कही जा रही है। दूसरी ओर पैलेस्टिन की जहाल संगठन इस्रायल में हमले कर रही है और इन आतंकवादी हमलों में हमारे निर्दोश नागरिक मारे जा रहे हैं, ऐसा आरोप इस्रायल की सरकार लगा रही है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेत्यान्याहू ने आतंकवाद को जड़ों से उखाड़कर फैंकने के अलावा यह समस्या नहीं मिटेगी, ऐसा स्पष्ट किया था।

इसके लिए इस्रायल जरुरी कदम उठाने में नहीं हिचकिचाएगा, ऐसा इशारा प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने दिया था। साथ ही इस्रायल को क्या करना चाहिए इसके लिए अन्य देशों की सूचनाओं का आगे से हमारा देश पालन नहीं करेगा, यह चेतावनी भी प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने दी थी।

अमरीका और यूरोप के प्रमुख देश पूर्व जेरूसलम में इस्रायल द्वारा जारी निर्माण कार्य पर नाराज़गी व्यक्त कर रहे हैं। इसकी वजह से इस्रायल और पैलेस्टिन की समस्या का हल निकालने के लिए पेश किए गए द्विपराष्ट्रवाद के सिद्धांत को नुकसान पहुंच रहा है, ऐसा इशारा अमरीका और यूरोपिय देशों ने दिया था। लेकिन, फिलहाल इस्रायल इन देशों की परवाह करने के लिए तैयार नहीं है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने पैलेस्टिनियों के पक्ष में परित किए प्रस्ताव का भी प्रधानमंत्री नेत्यान्याहू ने बड़ी तीव्रता से विरोध किया था। ऐसे में पैलेस्टिन की जहाल संगठन अब इस्रायल को जमीन दोह करने के बयान कर रहे हैं।

ऐसी स्थिति में जॉर्डन की मध्यस्थता से शुरू हुई इस चर्चा की ओर खाड़ी क्षेत्र के देशों के साथ दुनियाभर के अन्य प्रमुख देशों का भी ध्यान लगा हुआ है।

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