‘ग्लोबल साउथ’ को आवाज़ मिल रही हैं – विदेश मंत्री एस.जयशंकर

नादी – किसी समय विकास यानी पश्चिमी देशों की नकल करना है, यह विचार कायम हुआ था। उपनिवेशवाद के दौर में कई भाषाएं और परंपराएं कुचली गईं। इन भाषाओं और परंपराओं को अब विश्व स्तर पर आवाज़ प्राप्त होने लगी है। ग्लोबल साउथ की आवाज़ वैश्विक स्तर पर गूंज रही है और विश्व बहुस्तंभिय व्यवस्था की ओर आगे बढ़ रहा है और इसकी वजह से सांस्कृतिक संतुलन निर्माण हो रहा है, ऐसा विश्वास भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने व्यक्त किया। फिजी के दौरे पर पहुंचे विदेश मंत्री जयशंकर ने ग्लोबल साउथ का इस तरह किया हुआ ज़िक्र ध्यान आकर्षित कर रहा है।

‘ग्लोबल साउथ’फिजी में १२ वें विश्व हिंदी परिषद का आयोजन किया गया है। इस परिषद को संबोधित करते हुए उपनिवेशवाद और पश्चिमी देशों के वर्चस्व के विपरीत परिणाम विश्व को भुगतने पड़े, इसका अहसास जयशंकर ने कराया। पश्चिमी देशों की नकल करना ही विकास है, यह सोच कायम हुई थी। लेकिन, अब यह विचार पीछे छूट गया है और ग्लोबल साउथ का हिस्सा होने वाले देशों को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आवाज़ मिलने लगी है, यह कहकर भारत के विदेश मंत्री ने इस पर संतोष व्यक्त किया।

वैश्वीकरण यानी एकत्रिकरण नहीं है, बल्कि विश्व की विविधता स्वीकारना ही वैश्वीकरण है। ऐसा वैश्वीकरण सच्चे मायने में लोकतंत्र की व्यवस्था का पुरस्कार करेगा, यह कहकर जयशंकर ने इस पर भारत की भूमिका बड़े ड़टकर रखी। ऐसी वैश्विक व्यवस्था की वजह से बहुस्तंभिय व्यवस्था आकार ले कर रही है और यह प्रक्रिया अधिक गतिमान हुई तो इससे सांस्कृतिक संतुलन बनेगा, ऐसा विश्वास भारत के विदेश मंत्री ने व्यक्त किया।

ऐसी स्थिति में अन्य संस्कृतियां और संभ्यताओं की जानकारी देना ज़रूरी होगा और इसके लिए विभिन्न भाषाओं का प्रसार करना अहम साबित होगा, यह दावा विदेश मंत्री जयशंकर ने किया।

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