इटली के प्रधानमंत्री ने की चीन की आलोचना

इटली के प्रधानमंत्रीलंदन – एकाधिकारशाही जतानेवाला चीन लोकतंत्रवादी देशों ने अपनाए बहुपक्षीय नियमों की परवाह करने के लिए तैयार नहीं, ऐसी फटकार इटली के प्रधानमंत्री मारिओ द्राघी ने लगाई। साथ ही, चीन की ‘बीआरआय-बेल्ट अँड रोड इनिशिएटीव्ह’ परियोजना में सहभागी हुआ इटली, अब उसके समझौते पर अधिक बारीकी से गौर करके उसपर पुनर्विचार करेगा, ऐसी महत्वपूर्ण घोषणा प्रधानमंत्री द्राघी ने की।

लंदन में आयोजित की गई ‘जी७’ की बैठक में कोरोना के उद्गम स्थान की जाँच और चीन के आर्थिक वर्चस्ववाद का मुद्दा चर्चा में था। जी७ के सदस्य देशों ने इस पर आक्रामक भूमिका अपनाकर चीन पर दबाव भारी मात्रा में बढ़ाया है। चीन की ‘बीआरआय’ परियोजना में सबसे पहले सहभागी होनेवाला युरोपीय देश इटली था। इटली ने चीन का ज़ोरदार समर्थन किया था और चीन से १९.२५ अरब डॉलर्स का निवेश प्राप्त किया था। लेकिन इटली में कोरोना की महामारी फैलने के बाद, इस देश की चीनविषयक भूमिका में बदलाव आया है।

शुरू शुरू में, कोरोना का वायरस अपने देश से नहीं, बल्कि इटली से ही सर्वत्र फैला, ऐसा झूठा प्रचार चीन ने शुरू किया था। इसका परिणाम इटली पर हुआ होकर, अब जी७ परिषद में इटली ने चीन के विरोध में जहाल भूमिका अपनाई है। जी७ परिषद ने चीन की बीआरआय परियोजना को चुनौती देने के लिए ‘बी३डब्ल्यू’ परियोजना का ऐलान करके, उसके लिए चार ट्रिलियन डॉलर्स की घोषणा की है। इससे चीन की इस महत्वकांक्षी परियोजना को दुनियाभर में चुनौती मिलेगी और इटली की बदली हुई भूमिका इसके संकेत दे रही है।

‘एकाधिकारशाही जतानेवाला चीन, लोकतंत्रवादी देशों द्वारा अपनाए गए बहुपक्षीय नियमों की परवाह नहीं करता। सभी देशों ने सहयोग को प्राथमिकता देनी चाहिए यह सच है। लेकिन उसी समय, हम सत्य की ओर अनदेखा नहीं कर सकते’, ऐसे शब्दों में इटली के प्रधानमंत्री ने चीन को फटकार लगाई। चीन की ऐसी हरकतें जारी रहते समय शांत रहना यानी चीन का साथ देने जैसा है, ऐसा अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने कहा था। उनके दावे की इटली के प्रधानमंत्री ने पुष्टि की।

इसी बीच, कोरोना की महामारी के कारण निर्माण हुई भयंकर परिस्थिति के लिए चीन ज़िम्मेदार होने के आरोपों को अधिक से अधिक बल मिल रहा है। इससे जागतिक जनमत चीन के विरोध में गया है और प्रमुख देशों की चीन के संदर्भ में बदली भूमिका से यह बात अधोरेखांकित हो रही है। इटली के प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक रूप में की हुई चीन की आलोचना यही दर्शा रही है।

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