पाकिस्तान के परमाणु हथियार तालिबान से सुरक्षित रखने की योजना तैयार है क्या? – अमरिकी जनप्रतिनिधि का राष्ट्राध्यक्ष बायडेन से सवाल

वॉशिंग्टन – अमरीका की सेना वापसी के बाद अफ़गानिस्तान की सत्ता हथियानेवाली तालिबान के हाथ पाकिस्तान के परमाणु हथियार ना लगें, क्या इस बात का ध्यान बायडेन प्रशासन ने रखा है? ऐसा सवाल अमरिकी सांसदों ने किया है। अमरिकी संसद के दोनो सदनों के ६८ सांसदों ने राष्ट्राध्यक्ष बायडेन को खत लिखकर पाकिस्तान के परमाणु अस्त्रों की सुरक्षा के साथ ही तालिबान से होनेवाले अन्य खतरों को लेकर गंभीर चिंता जताई है। इन खतरों का विचार करके क्या इसके खिलाफ बायडेन प्रशासन ने योजना तैयार की है, यह सवाल भी इस खत में पूछा गया है।

अफ़गानिस्तान में तालिबान की हुकूमत स्थापित होते समय अमरीका मूक निदर्शक बनकर तालिबान की हरकतें देख रही है। यह बात महासत्ता अमरीका के लिए अशोभनीय साबित होती है, ऐसी तीखी आलोचना भी हो रही है। लेकिन, अमरिकी संसद के दोनों सदनों के तकरीबन ६८ सदस्यों ने राष्ट्राध्यक्ष बायडेन को लिखे खत में सुरक्षा के नज़रिये से काफी संवेदनशील मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया। अफ़गानिस्तान में अपनी हुकूमत स्थापित करने के बाद तालिबान परमाणु से पाकिस्तान में अस्थिरता फैलाएगी और इसके ज़रिये पाकिस्तान के परमाणु अस्त्रों पर कब्ज़ा करेगी, ऐसी गंभीर चिंता इस खत में जताई गई है।

क्या इस खतरे की ओर बायडेन प्रशासन ने गौर किया है, इसका जवाब सकारात्मक है तो बायडेन प्रशासन ने कौनसी योजना तैयार रखी है? यह सवाल भी इस खत के माध्यम से लोकप्रतिनिधियों ने किया है। साथ ही अमरीका ने अफ़गानिस्तान से सेना वापसी करने के कारण निर्माण हुआ खालीपन चीन दूर करता है तो, अमरीका के हितों का क्या? क्या अफ़गानिस्तान से सेना वापसी करने का खाड़ी क्षेत्र पर पड़नेवाले असर पर बायडेन प्रशासन ने ध्यान दिया है, यह सवाल भी वर्णित खत में किया गया है।

‘आज नहीं को कल, पाकिस्तान के परमाणु हथियार आतंकी संगठनों के हाथों में जाए बगैर नहीं रहेंगे। यह पत्थर की लकीर है’, ऐसा इशारा विशेषज्ञों ने काफी पहले ही दिया था। तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा करने के बाद यह खतरा काफी बढ़ गया है। दो दिन पहले ही तालिबान के प्रवक्ता ने पाकिस्तान को अपना दूसरा घर कहा था। इसके माध्यम से तालिबान ने पाकिस्तान पर अपना अधिकार सार्वजनिक तौर पर जताया है, यह चर्चा भी शुरू हुई है। इसी के साथ पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रही ‘तेहरिक ए तालिबान’ के अफ़गानिस्तान में मौजूद सदस्यों को पाकिस्तान के हाथों में सौंपने से तालिबान ने स्पष्ट इन्कार किया है ।

अब तक अफ़गानिस्तान के तालिबानी हमारे मित्र हैं और पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहें तालिबानी हमारे शत्रु हैं, यही पाकिस्तान की सोच थी। साथ ही पाकिस्तान के सेना अधिकारी एवं चरमपंथी अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के तालिबान में फरक होने की बात ड़टकर कह रहे थे। लेकिन, यह दोनों संगठन तालिबान का ही अंग हैं, वह एक ही सिक्के के दो अंग हैं, इस बात का अहसास पाकिस्तान को होने लगा है। तालिबान ने अपने ही एक गुट को ‘तेहरिक ए तालिबान’ नाम देकर पाकिस्तान को बंधक बनाने की रणनीतिक साज़िश रची थी, यह बात अब पाकिस्तान के ज़िम्मेदार विश्‍लेषक और पत्रकार स्वीकारने लगे हैं।

अफ़गानिस्तान में तालिबान को हासिल हुई सफलता हमारे लिए प्रेरणादायी होने का बयान करके पाकिस्तान में भी ऐसा ही होगा, ऐसा बयान ‘तेहरिक ए तालिबान’ के नेता कर रहे हैं। अगले दिनों में इस आतंकी संगठनों के हमलों का भयंकर सत्र पाकिस्तान में शुरू होगा और पाकिस्तान को जोरदार झटके लगेंगे, यह ड़र इस देश के माध्यम व्यक्त कर रहे हैं। पाकिस्तान के ज्येष्ठ पत्रकार नजम सेठी ने तो अफ़गानिस्तान की तालिबान यदि ‘तेहरिक’ पर कार्रवाई नहीं करती है तो, पाकिस्तानी सेना अफ़गानिस्तान में ‘सर्जिकल स्ट्राईक’ करे, ऐसी सलाह भी दी है।

‘तेहरिक’ पाकिस्तान की सत्ता हथियाने के लिए आतंकवाद का इस्तेमाल करेगा। अफ़गानिस्तान की तालिबान से तेहरिक को जरुरी सहायता प्राप्त होगी, ऐसी ड़रावनी संभावना सच साबित होने के संकेत अभी से दिखाई देने लगे हैं। पाकिस्तान में आतंकी हमले बढ़े हैं। इससे पाकिस्तान की व्यवस्था कमज़ोर होने लगी है। तालिबान ने अफ़गानिस्तान में पाई हुई जीत की वजह से पाकिस्तान के चरमपंथियों का आत्मविश्‍वास अधिक बढ़ा है और इससे तेहरिक जैसे आतंकी संगठनों को प्राप्त हो रहा समर्थन भी इसी तरह बढ़ रहा है। परमाणु अस्त्र धारक देश होने का दिखावा कर रहे पाकिस्तान को क्या अपने ही परमाणु हथियारों की सुरक्षा करना मुमकिन हो पाएगा, यह अमरिकी लोकप्रतिनिधियों का सवाल अहमियत रखता है।

इस बात का गंभीरता के साथ संज्ञान लेने के अलावा बायडेन प्रशासन के सामने अन्य विकल्प ना होने की बात दिख रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.