भारत मानव केंद्रित वैश्वीकरण का पुरस्कार करेगा – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गवाही

नई दिल्ली – अभाव और संघर्ष निर्माण करने वाली पहले के जमाने की आत्मकेंद्रित व्यवस्था पीछे छोड़रक अध्यात्म पर आधारित एकजूट की भावना स्थापित करनी होगी। इसके ज़रिये हम सबको अंतरराष्ट्रीय स्तर की चुनौतियों को अधिक समर्थ तरिके से पराजित करना मुमकिन होगा, यह संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया है। गुरुवार से ‘जी २०’ की अध्यक्षता भारत को प्राप्त हुई हैं इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने ‘जी २०’ के सदस्य देशों के साथ विश्व को ‘वसुधैव कुटुंबकम्‌‍’ का संदेश दिया। सिर्फ ‘जी २०’ के सदस्य देश ही नहीं, बल्कि ग्लोबल साउथ में  समाविष्ट एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरिकी देशों को भी शामिल करने के लिए भारत ‘जी २०’ का इस्तेमाल करेगा, यह प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया।

वैश्वीकरण की कल्पना बदलने की आवश्यकता  प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान स्पष्ट की। अभाव और संघर्ष भड़काने की आत्मकेंद्रित वैश्वीकरण की प्रक्रिया के बजाय मानव केंद्रित वैश्वीकरण की प्रक्रिया को गति देना आवश्यक होने का बयान प्रधानमंत्री मोदी ने किया है। भारत अपनी ‘जी २०’ की अध्यक्षता का इस्तेमाल मानव केंद्रित वैश्वीकरण के लिए करेगा, ऐसी गवाही प्रधानमंत्री ने दी है।

भारत को प्राप्त हुई ‘जी २०’ की अध्यक्षता यानी आम राजनीतिक बात नहीं है। बल्कि, कोरोना की महामारी और यूक्रेन युद्ध होने के बीच निर्माण हुई चुनौतियों से भरी स्थिति में भारत को यह अध्यक्षता प्राप्त हो रही है। साथ ही भारत की आज़ादी के ७५ वर्ष पूरे हो रहे हैं, यह काफी बड़ी घटना है। ऐसी स्थिति में भारत की यह अध्यक्षता सर्वसमावेशक और महत्वाकांक्षी साबित होती है। भारत सभी की सहायता से अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों को पराजित करने की कोशिश करेगा, यह विश्वास विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने व्यक्त किया। प्रधानमंत्री मोदी और विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने किए इस बयान का दाखिला देकर पश्चिमी माध्यमों ने फिर एक बार भारत ने यूक्रेन युद्ध शुरू करने वाली रशिया के खिलाफ भूमिका अपनाई होने के दावे किए हैं।

‘जी २०’ परिषद में रशिया शामिल हो, यह आवाहन भारत कर रहा हैं। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने रशिया इस परिषद में पुरी तरह से शामिल हो और हर एक सत्र में भारत को रशिया के योगदान की उम्मीद होने का बयान किया है। पहले के दौर में आयोजित ‘जी २०’ परिषद में रशिया को दूर रखने की मांग हुई थी। यूक्रेन युद्ध की वजह से ऐसा निर्णय करने की आवश्यकता निर्माण होने का दावा कुछ देशों ने किया था। लेकिन, पश्चिमी देशों ने कितने भी दावे किए तो भी भारत-रशिया संबंधों पर इसका असर नहीं होगा, यह भारत के विदेश मंत्रालय ने दिखा दिया है। ‘जी २०’ में भारत को रशिया के पुरी तरह से शामिल होने की उम्मीद हैं, यह स्पष्ट करके दोनों देशों के ताल्लुकात पर किसी भी तरह का असर नहीं हुआ है, यह संदेश ही भारत दे रहा हैं।

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