रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर पश्चिमी ईंधन कंपनियों ने लगभग २०० अरब डॉलर्स मुनाफा पाया

लंदन – रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से अमरीका और यूरोप की जनता पर ईंधन की कीमतों में उछाल का बड़ा संकट टूटा है। पश्चिमी देशों ने इसके लिए रशिया को ज़िम्मेदार करार देकर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई की है। लेकिन, इस संघर्ष की वजह से महंगे ईंधन की कीमत से सबसे अधिक लाभ अमरीका और यूरोप की ईंधन कंपनियों को ही मिला है। पिछले साल से इन कंपनियों ने लगभग २०० अरब डॉलर्स मुनाफा कमाने की जानकारी सामने आ रही है। साथ ही इन कंपनियों से भारी कर वसुलने की मांग भी हो रही है।

रशिया-यूक्रेन युद्धरशिया ने यूक्रेन पर हमला करने से पहले अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल ८५ डॉलर थी। लेकिन, युद्ध शुरु होने के बाद मार्च में यही कीमत उछलकर प्रति बैरल १२७ डॉलर तक पहुँची थी। अधिकांश यूरोपिय देश रशिया से ईंधन वायु खरीदते हैं और इसी कारण इन देशों में ईंधन की कीमत में भारी उछाल आया था। इसका सीधे यूरोपिय जनता पर असर हुआ था। इस संघर्ष का एक साल पूरा हो रहा है और ऐसे में आम जनता को ईंधन का भुगतान करने में मुश्किलें आ रही हैं।

लेकिन, अमरीका और यूरोप की नामांकित ईंधन कंपनियों को इस साल में महंगे हुए ईंधन की कीमत से बडा मुनाफा मिलने की जानकारी सामने आ रही है। अमरीका की ‘एक्सॉन मोबील’ कंपनी ने अन्य सभी पश्चिमी कंपनियों की तुलना में भारी ५६ अरब डॉलर्स मुनाफा कमाया है। इसके बाद ब्रिटेन की शेल कंपनी ने ४० अरब डॉलर्स मुनाफा कमाया है। अमरीका की शेवरॉन, ब्रिटेन की ब्रिटिश पेट्रोलियम, फ्रान्स की टोटल एनर्जीज्‌‍ कंपनियों ने भी इस साल में भारी मुनाफा कमाने की जानकारी आर्थिक रपट से स्पष्ट हुई है।

पश्चिमी देशों की जनता ईंधन के लिए मुश्किलों का सामना कर रही हैं और ऐसे में इन देशों की ईंधन कंपनियों ने इतना भारी मुनाफा प्राप्त करने की बात स्पष्ट होने के बाद अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक और मानव अधिकार संगठन इन कंपनियों की आलोचना कर रहे हैं। पूरा विश्व आर्थिक मंदी की दहलिज पर है और ऐसे में मुनाफे का मुद्दा बनाकर इन कंपनियों से भारी कर वसुलने की मांग विश्लेषक और मानव अधिकार संगठन कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.