अफ़गानिस्तान का इस्तेमाल करके चीन भारत के खिलाफ पाकिस्तान को बल प्रदान करेगा – अमरीका की पूर्व राजनीतिक अधिकारी निक्की हैले

वॉशिंग्टन – अमरीका की सेना वापसी के बाद अफ़गानिस्तान का बगराम हवाई अड्डा चीन के हवाले करने की गतिविधियाँ शुरू हुई हैं। इस अड्डे का इस्तेमाल करके चीन पाकिस्तान को अफ़गानिस्तान में अधिक बल प्रदान करेगा और इसका भारत के खिलाफ इस्तेमाल करेगा, ऐसा इशारा अमरीका की पूर्व राजनीतिक अधिकारी निक्की हैले ने दिया है। साथ ही अमरीका ने अफ़गानिस्तान से वापसी करने के बाद आतंकी संगठनों का जोश बढ़ा है और इस वजह से आतंकी हमलों का खतरा भी काफी बढ़ा हैं, इस ओर निक्की हैले ने ध्यान आकर्षित किया। अमरिकी समाचार चैनल से बात करते समय हैले ने बायडेन ने गैर-ज़िम्मेदाराना ढ़ंग से की हुई सेना वापसी के यह भयंकर परिणाम होने की फटकार भी लगाई।

अफ़गानिस्तान में पाकिस्तान और चीन का आतंकवाद विरोधी सहयोग बढ़ाएँगे, यह ऐलान चीन में नियुक्त पाकिस्तान के राजदूत मोईन उल हक ने किया। लेकिन, आतंकियों के यह समर्थक देश बिल्कुल इस ऐलान के खिलाफ ही कार्रवाई करने की उम्मीद है। आतंकवाद का पुरस्कार करनेवाला पाकिस्तान और इसे हर तरह की सहायता प्रदान करनेवाला चीन आतंकियों के खिलाफ नहीं बल्कि, भारत के खिलाफ आतंकियों को आवश्‍यक सभी सहायता प्रदान करने के लिए उत्सुक होने की संभावना ही अधिक है। अमरीका की पूर्व राजनीतिक अधिकारी निक्की हैले ने इसी खतरे को रेखांकित किया है।

अफ़गानिस्तान के बगराम हवाई अड्डे को चीन के हाथों में सौंपने की गतिविधियाँ जारी हैं। अमरीका का यह बड़ा अहम अड्डा वहां पर रखे हथियार, लष्करी गाड़ियाँ एवं रक्षा सामान के साथ तालिबान के हाथ लगा है। चीन इस अड्डे पर कब्ज़ा करने के लिए विशेष उत्सुकता दिखा रहा है। अफ़गानिस्तान का कारोबार करने के लिए तालिबान को फिलहाल निधी की आवश्‍यकता है। तालिबान को आवश्‍यक आर्थिक सहायता प्रदान करने का ऐलान चीन ने पहले ही किया था। इसके बदले में चीन तलिबान के सामने कुछ माँगें रख सकता है। इसमें बगराम हवाई अड्डा पाने की माँग का भी समावेश हो सकता है।

बगराम हवाई अड्डा चीन के कब्ज़े में जाएगा और वहां पर चीन पाकिस्तान को स्थापित करेगा। इस तरह से अफ़गानिस्तान में पाकिस्तान को अधिक ताकत प्रदान करके चीन पाकिस्तान का भी भारत के खिलाफ इस्तेमाल करेगा, यह इशारा निक्की हैले ने दिया। संयुक्त राष्ट्रसंघ में अमरीका की पूर्व राजदूत रही हैले ने इसके खिलाफ बायडेन प्रशासन को सावधान किया है। साथ ही अमरीका की सेना वापसी की वजह से निर्माण हुई स्थिति का अहसास भी हैले ने बायडेन प्रशासन को कराया।

अमरिकी सेना की वापसी से अपनी जीत होने की सोच आतंकी संगठन की है। इस वजह से आतंकी संगठनों के जोश में भी बढ़ोतरी हुई है और जल्द ही यह संगठन बड़ी संख्या में आतंकियों को भरती करेगा। साथ ही अकेले आतंकियों के हमलों की भी बड़ी संभावना है। तो, अमरीका का जवाबी हमला होने के आसार खत्म होने की वजह से रशिया जैसा देश अमरीका पर सायबर हमले कर सकेगी। चीन की हरकतों पर भी बारिकी से नज़र रखनी पड़ेगी, ऐसे इशारें भी निक्की हैले ने दिए। साथ ही ताइवान, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत को आवश्‍यकता महसूस होने पर अमरीका सहायता के लिए खड़ी रहेगी, यह विश्वास दिलाना काफी ज़रूरी है। अपने सहयोगी देशों में यह विश्‍वास स्थापित करने के लिए बायडेन प्रशासन तेज़ कदम उठाएगा, यह उम्मीद हैले ने व्यक्त की है।

इसी बीच, पाकिस्तान और चीन अफ़गानिस्तान का भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने की कड़ी संभावना है। अफ़गानिस्तान की भूमि का भारत एवं अन्य देशों के खिलाफ इस्तेमाल होने नहीं देंगे, यह वादा तालिबान ने किया है। लेकिन, तालिबान की जुबान पर भरोसा नहीं किया जा सकता, यह इशारा पूर्व सेना अधिकारी एवं सामरिक विश्‍लेषक भारत सरकार को दे रहे हैं। साथ ही तालिबान पूरी तरह से चीन और पाकिस्तान प्रभावित ना हो, इसके लिए भारत को तालिबान के साथ कम से कम चर्चा जारी रखनी पड़ेगी, यह सलाह भी कुछ सामरिक विश्‍लेषक दे रहे हैं।

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