फेडरल रिज़र्व एवं ‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’ ने ब्याज दर आधा प्रतिशत बढ़ाएं

वॉशिंग्टन/लंदन – अमरीका के ‘फेडरल रिज़र्व’ ने ब्याज दर आधा प्रतिशत बढ़ाने का ऐलान किया है। इसके साथ ही फेडरल के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने साल २०२३ के अन्त तक अमरीका में ब्याज दर बढ़कर पांच प्रतिशत हो सकते हैं, ऐसा इशारा भी दिया। फेडरल रिज़र्व के इस ऐलान के बाद ‘बैंक ऑफ इंग्लैण्ड’ ने भी आधा प्रतिशत ब्याज दर बढ़ाने का ऐलान किया। इसके बाद अमरीका और एशियाई शेअर बाज़ार एवं ईंधन की कीमत की गिरावट हुई।

पिछले कुछ महीनों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी जैसा माहौल बना है और इसके लिए विश्व के प्रमुख देशों ने बढ़ाए ब्याज दर ही एक प्रमुख वजह बताई जा रही हैं। अमरीका, यूरोप और अन्य प्रमुख देशों ने महंगाई का उछाल रोकने की वजह बताकर ब्याज दर बढ़ोतरी का लगातार समर्थन किया है। फेडरल रिज़र्व की ओर से ब्याज दर बढ़ोतरी का ऐलान करते हुए जेरोम पॉवेल ने बुधवार को यही कारण दोहराया। पॉवेल ने उत्पाद एवं सेवा क्षेत्र के कई चीजों के कीमत की हो रही बढ़ोतरी अभी भी समस्या हैं और इसके लिए ब्याज दर बढ़ोतरी ही एक मात्र विकल्प बताया है।

बुधवार के ऐलान के बाद अमरीका में ब्याज दर बढ़कर ४.५ प्रतिशत हुआ हैं और यह पिछले १५ सालों में यह अमरीका में सबसे ज्यादा ब्याज दर बना है। आधा प्रतिशत की हुई यह बढ़ोतरी पिछले नौ महीनों में ब्याज दर की हुई सातवीं बढ़ोतरी हैं। अगले वर्ष भी यह  बढ़ोतरी जारी रहेगी, लेकिन, इस बढ़ोतरी की मात्रा कम रहेगी, ऐसे संकेत जेरोम पॉवेल ने दिए। साल २०२३ के अन्त तक अमरीका में ब्याज दर बढ़कर ५.१ प्रतिशत तक जा सकता है और इसके बाद साल २०२४ और २०२५ में इसे कम किया जाएगा, ऐसा पॉवेल ने स्पष्ट किया। महंगाई कम हो रही हैं, इसके पुख्ता सबुत प्राप्त हुए बिना ब्याज दर कम नहीं होंगे, यह इशारा भी फेडरल रिज़र्व के प्रमुख ने दिया।

फेडरल रिज़र्व के इस ऐलान के कुछ ही घंटे बाद ब्रिटेन की सेंट्रल बैंक ने भी ब्याज दर की बढ़ोतरी घोषित की। ‘बैंक ऑफ इंग्नैण्ड’ ने भी ब्याजदर आधा प्रतिशत बढ़ाया है और नया दर ३.५ प्रतिशत रहेगा। यह पिछले १४ सालों में ब्रिटेन का उच्चांकी ब्याजदर बनता है। ब्रिटेन की सेंट्रल बैंक ने लगातर नववी बार ब्याज दर बढ़ोतरी घोषित की हैं। ब्रिटेन में महंगाई दर पिछले ४० सालों के सबसे उपरी स्तर पर हैं और अर्थव्यवस्था मंदी में होने की बात कही जा रही है। ब्रिटेन की जनता को ‘कॉस्ट ऑफ लीविंग क्राइसिस’ का मुकाबला करना पड़ रहा हैं। इस पृष्ठभूमि पर ब्याजदर बढ़ोतरी होने से घरों के साथ अन्य उत्पाद का ब्याज दर बढ़ने से आम नागरिकों की मुश्किलें बढ़ेगी, ऐसी चिंता विश्लेषकों ने जताई।

अमरीका और ब्रिटेन ने घोषित किए ब्याज दर बढ़ोतरी का असर अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में देखा गया। अमरीका एवं एशियाई शेअर बाज़ार के निर्देशांक की बड़ी गिरावट हुई। कच्चे तेल एवं सोने की कीमते भी फिसलती देखी गई और येन, युरो समेत कुछ प्रमुख मुद्राओं का मूल्य अमरिकी डॉलर के सामने फिसला हैं।

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