अमरीका-चीन की स्पर्धा से ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा – ऑस्ट्रेलियन गुप्तचर यंत्रणा के प्रमुख की चेतावनी

सिडनी – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पिछले कुछ सालों से अमरीका और चीन इन दो महाशक्तियों की जारी स्पर्धा में कुचला जा रहा है। गोपनीय जानकारी पाने की कोशिश में यह दोनों देश ऑस्ट्रेलिया में दखलअंदाज़ी बढ़ा रहे हैं। इस वजह से इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ होगा, उतनी बड़ी संख्या में ऑस्ट्रेलियाई जनता को लक्ष्य किया जा रहा हैं’, ऐसी चेतावनी ऑस्ट्रेलियन गुप्तचर यंत्रणा के प्रमुख माईक बर्गिस ने दी। ऑस्ट्रेलियाई न्यायाधीश, पत्रकार और पूर्व सेना अधिकारी इस जासूसी का शिकार हो रहे हैं, ऐसा दावा भी बर्गिस ने किया।

ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षाऑस्ट्रेलिया की राजनीतिक एवं शिक्षा व्यवस्था में चीन के ज़ासूसों ने भारी मात्रा में घुसपैठ की है, ऐसा आरोप चीन पर पहले भी लगाए गए थे। चीन की यह घुसपैठ हमारे देश की सुरक्षा के लिए खतरा होने का आरोप ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने लगाया था। इसके लिए चीन विरोधी सख्त कदम भी उठाए थे। लेकिन, इससे चीन के जासूसों का बना खतरा कम नहीं हुआ है, इसकी कबुली ऑस्ट्रेलियाई यंत्रणाओं ने दी थी।

‘ऑस्ट्रेलियन सिक्युरिटी इंटेलिजन्स ऑर्गनाइजेश’ (एएसआईओ) नामक गुप्तचर यंत्रणा के संचालक माईक बर्गिस ने मंगलवार को सालाना रपट के साथ अमरीका और चीन की स्पर्धा से बढ़ रहा खतरा माध्यमों के सामने बयान किया। ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख सहयोगी देश अमरीका से चीन हर स्तर पर स्पर्धा कर रहा हैं, ऐसा बर्गिस ने कहा है। साउथ चाइना सी, ताइवान की खाड़ी और कोरियन पेनिन्सूला क्षेत्र में चीन लगातार अमरीका के वर्चस्व को चुनौती दे रहा हैं, इसकी याद भी बर्गिस ने ताज़ा की।

ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षाइस क्षेत्र में एक-दूसरे पर हावी होने के लिए अमरीका और चीन की स्पर्धा शुरू हुई है। इसके लिए यह दोनों देश ऑस्ट्रेलिया का इस्तेमाल कर रहे हैं, ऐसा दावा बर्गिस ने किया। ऑस्ट्रेलिया अमरीका का मित्रदेश होने की वजह से अमरीका की जानकारी पाने के लिए चीन ने ऑस्ट्रेलिया में बड़ी घुसपैठ की है। ऐसे में चीन पर नज़र रखने के लिए अमरीका ने भी ऑस्ट्रेलिया का ही चयन किया है, इसपर बर्गिस ने ध्यान आकर्षित किया। एक-दूसरे की जासूसी करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के न्यायाधीश, पत्रकार और पूर्व सेना अधिकारियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, ऐसा दावा बर्गिस ने किया।

ऑस्ट्रेलिया में इससे पहले कभी भी इतनी बड़ी मात्रा में जासूसी नहीं हुई थी। लेकिन, पिछले कुछसालों से इसकी तीव्रता प्रचंड़ बढ़ने की बात बर्गिस ने स्पष्ट की। पैसों के लिए तानाशाही हुकूमत को अपना ईमान बेच रहे ऑस्ट्रेलिया के पूर्व सेना अधिकारियों की भी बर्गिस ने आलोचना की। सीधे ज़िक्र किए बिना बर्गिस चीन को लक्ष्य करते दिख रहे हैं। इस जासूसी की वजह से ऑस्ट्रेलिया की सुरक्षा के लिए खतरा बन रहा है, ऐसा बर्गिस ने कहा।

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