‘नैशनल मोनेटाइज़ेशन पाईपलाईन मिशन’ का केंद्रीय अर्थमंत्री के हाथों शुभारंभ

  • इस्तेमाल ना हो रहीं या कम इस्तेमाल की सरकारी संपत्ति भाड़े पर देकर सरकार बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए छह लाख करोड़ रुपयों का प्रावधान करेगी

नई दिल्ली – केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने ‘नैशनल मोनेटाइज़ेशन पाईपलाईन’ (एनएमपी) योजना का सोमवार के दिन शुभारंभ किया। इसके अनुसार सरकार कम इस्तेमाल कर रही एवं बिना इस्तेमाल की पड़ी हुई अलग अलग विभाग एवं क्षेत्र की सरकारी संपत्ति लंबे समय के लिए लीज़ पर दे रही है। वर्ष २०२२ से २०२५ के चार वर्षों में ऐसी संपत्ति को सरकार भाड़े पर उपलब्ध कराएगी और इसके माध्यम से छह लाख करोड़ रुपयों का प्रावधान कर रही है। इससे देश की बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए बड़ी मात्रा में निधी उपलब्ध होगी, यह दावा किया जा रहा है। ‘एनएमपी’ के तहत सरकार अपनी संपत्ति की बिक्री नहीं करेगी, बल्कि इसका उचित इस्तेमाल करेगी। मोनेटाइज़ेशन हो रही सरकारी संपत्ति का मालिकाना हक सरकार के पास ही रहेगा, यह बात वित्तमंत्री सीतारामन ने रेखांकित की।

‘नैशनल मोनेटाइज़ेशन पाईपलाईन मिशन’ का चरण एक और दो का केंद्रीय वित्तमंत्री के ज़रिये ऐलान करने के साथ नीति आयोग के उपाध्यक्ष एवं कार्यकारी अधिकारियों के साथ अलग अलग विभाग के सचिव उपस्थित थे। सड़कें, राजमार्ग, रेल्वे, नागरी उड्डयन, बंदरगाह, खदान, दूरसंचार, पॉवरग्रीड, स्टेडियम, पाईपलाइन समेत अलग अलग विभागों की सरकारी संपत्ति का मोनेटाइज़ेशन यानी इसे बेचकर या भाड़े पर देकर सरकार आवश्‍यक बुनियादी सुविधाओं का निर्माण करने के लिए निधी का प्रावधान करेगी।

अगले चार वर्षों में इस ‘एनएमपी’ मिशन का अमल किया जाएगा। इस्तेमाल ना हो रही और भाड़े पर दी जा रही सरकारी संपत्ति की सूचि जल्द तैयार की जाएगी। वर्तमान वर्ष के केंद्रीय बजट में निर्मला सीतारामन ने किए भाषण में ‘एनएमपी’ मिशन का ज़िक्र किया था। सरकार अपनी संपत्ति बेच नहीं रही है बल्कि इसका अधिक उचित तरीके से इस्तेमाल करने का प्लैन कर रही है, ऐसा केंद्रीय वित्तमंत्री ने कहा है। इस्तेमाल ना हो रही संपत्ति आम कीमत में बेचने के बजाय अच्छी तरह से समझौता करके निधी उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है। इससे प्राप्त होनेवाले निधी से बुनियादी सुविधाओं का निर्माण होगा। इससे देश में निवेश और रोजगार भी बढ़ेगा, यह विश्‍वास सीतारामन ने जताया है।

भारत में बुनियादी सुविधाओं को विश्व स्तर का बनाने की दिशा में ‘एनएमपी’ को ऐतिहासिक कदम मानना चाहिए, यह बयान नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने किया है। ‘एनएमपी’ को सिर्फ सरकार ने निधी उपलब्ध करने की कोशिशों के नज़रिये से देखना नहीं चाहिये बल्कि, अपनी क्षमता और अर्थव्यवस्था को अधिक गतिमान करने के नज़रिये से हो रही कोशिशों के तौर पर इसे देखना होगा, यह बयान भी नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने किया है।

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