‘जी 20’ बैठक में यूक्रेन युद्ध की गूंज सुनाई देगी

नई दिल्ली – रशिया और यूक्रेन के युद्ध की पृष्ठभूमि पर गुरुवार को ‘जी 20’ सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की नई दिल्ली में बैठक होगी। रशिया और यूक्रेन के युद्ध की गूंज इस बैठक में सुनाई देने के स्पष्ट आसार दिखाई देने लगे हैं। इस बैठक में भारत रशिया विरोधी कठोर भूमिका नहीं लेगा, यह स्पष्ट होने के बाद जापान और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री इससे पीछे हट रहे हैं। इसी बीच नई दिल्ली पहुंचे रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैवरोव ने रशिया और भारत यह नव-वसाहतवाद का विरोध करनेवाले देश होने का बयान करके भारत की सराहना की हैं।

बेंगलुरू में आयोजित ‘जी 20’ वित्त मंत्री और सेंट्रल बैंक के गवर्नर की बैठक में ही रशिया और यूक्रेन युद्ध पर मतभेद होने की चर्चा हो रही थी। इस पृष्ठभूमि पर गुरूवार को आयोजित हो रही ‘जी 20’ के विदेश मंत्रियों की चर्चा में तीव्र मतभेद होने की बात स्पष्ट हो रही हैं। एक ही समय पर अमरीका और अन्य यूरोपिय देशों के साथ ही रशिया ने यूक्रेन पर हमला करने का कड़ा विरोध कर रहे जापान और दक्षिण कोरिया भी इस बैठक में शामिल हो रहे हैं। इन देशों की नीति पर अमरीका का बना प्रभाव छिपा नहीं हैं। इस वजह से विदेश मंत्रियों की इस बैठक में जापान और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों की अनुपस्थिति के ज़रिये अमरीका ही इस बैठक को नियंत्रित करने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

इसके बावजूद भारत के साथ अपने संबंधों पर इसका असर नहीं पडेगा, इसका ध्यान अमरीका रख रही है। अमरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन भी नई दिल्ली की इस परिषद में शामिल हो रहे हैं। भारत यह अमरीका का काफी करीबी साथी देश होने की गवाही अमरिकी राजनीतिक अधिकारी और नेता लगातार दे रहे हैं। साथ ही रशिया के साथ भारत के सहयोग को अमरीका विरोध नहीं कर रही, यह मुद्दा भी बड़ी तीव्रता से बयान किया जा रहा हैं। लेकिन, जापान और दक्षिण कोरिया पर अमरीका के बने प्रभाव के मद्देनज़र इन दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की अनुपस्थिति के ज़रिये अमरीका ने ‘जी 20’ की बैठक में रशिया विरोधी अनी नाराज़गी अप्रत्यक्ष ढ़ंग से जताई दिख रही हैं।

इसी बीच, जी 20 की इस परिषद में यूक्रेन युद्ध पर मतभेद होने की कड़ी संभावना देखी जा रही हैं और इसी बीच भारत के विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कल क्या होगा, यह हम आज कह नहीं सकते, ऐसा कहा हैं। ‘जी 20’ के देश यूक्रेन युद्ध की वजह से उभरी समस्याओं पर अधिक ध्यान केंद्रीत करें और इसे प्राथमिकता दे। खास तौर पर ग्लोबल साउथ पर इसके हो रहे दुष्परिणामों का विचार इस परिषद में हो, यही भारत की उम्मदी होने की बात विदेश सचिव क्वात्रा ने स्पष्ट की।

भारत ने यह भूमिका रखी हो, फिर भी अमरीका, ब्रिटेन और यूरोपिय महासंघ ने यूक्रेन युद्ध का निषेध करने की मांग उठाही हैं। ऐसे में रशिया और चीन जैसे देश यह मुद्दा स्वीकारना मुमकिन ही नहीं। ऐसे में दूसरी ओर रशिया और जर्मनी की ईंधन पाइपलाइन ‘नॉर्ड स्ट्रीम-2’ अमरीका ने साज़िश करके ध्वस्त की, यह मुद्दा रशिया इस बैठक में उपस्थित करेगी, ऐसी खबरे प्राप्त हो रही हैं। इसकी वजह से गुरुवार की जी 20 बैठक में बड़े संघर्ष और विवाद की उम्मीद हैं। ऐसी स्थिति में इसका बड़ा दबाव दबाव मेजबान भारत पर बन सकता हैं।

‘यह समय युद्ध का नहीं  हैं’, ऐसा भारत के प्रधानमंत्री ने रशिया के राष्ट्राध्यक्ष के सामने ही एससीओ की बैठक में स्पष्ट किया था। यही भारत की भूमिका कायम हैं और इसके आगे भारत जाएगा नहीं, ऐसा विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बुधवार के पत्रकार परिषद में कहा। नई दिल्ली में दाखल रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैव्हरोव्ह ने रशिया और भारत यह दोनों देश उपनिवेशवाद की प्रवृत्ति का विरोध कर रहे देश है, यह कहकर लैव्हरोव्ह ने भारत की सराहना की। एकतरफा प्रतिबंध, सार्वभौम देशों को धमकाना और ब्लैकमेल करके दबाव में लाने ली कोशिशों की भारत और रशिया ने कभी भी परवाह नहीं की, ऐसा लैव्हरोव्ह ने कहा। इस बैठक में भी भारत से ऐसी ही उम्मीद होने का संदेश रशिया के विदेश मंत्री अपने इस बयान से दे रहे हैं।

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