सेंट्रल बैंकों की गलत नीतिओं के कारण २००७ से भी खराब मंदी आ सकती है – संयुक्त राष्ट्र संगठन की रपट

जिनेवा – अमरीका के साथ विश्व के प्रमुख बैंक कर रहें ब्याजदर बढ़ोतरी के निर्णयों की वजह से साल २००७ से भी अधिक खराब मंदी का सामना करना होगा, ऐसी चेतावनी संयुक्त राष्ट्र संगठन की रपट में दी गई हैं। अमरीका की ‘फेडरल रिज़र्व’ ने अबतक किए ब्याजदर बढ़ोतरी की वजह से अविकसित देशों की जीडीपी को ३६० अरब डॉलर्स से भी अधिक नुकसान पहुँचने की आलोचना ‘यूएन कान्फरन्स ऑन ट्रेड ॲण्ड डेवलपमेंट’ ने की हैं। आनेवाले समय में अमरीका की सेंट्रल बैंक ने यही नीति आगे जारी रकी तो वैश्विक अर्थव्यवस्था को ०.५ से ०.८ प्रतिशत गिरावट का सामना करना होगा, ऐसी चेतावनी भी संयुक्त राष्ट्रसंगठन ने दी। ‘वर्ल्ड बैंक’ एवं वैश्विक व्यापार संगठन ने पिछले हफ्ते ही अर्थव्यवस्था मंदी के घेरे में धकेली जाने पर बयान किया था।

रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से उछलें ईंधन के दर एवं चीन की ‘ज़ीरो कोविड पॉलिसी’ की वजह से बिगड़ी सप्लाई चेन की वजह से पूरे विश्व में महंगाई का विस्फोट हुआ हैं। अमरीका और यूरोपिय देशों के साथ कई प्रगत देशों में महंगाई पिछले तीन से चार दशकों के विक्रमी स्तर पर पहुँची हैं। इसे काबू करने के लिए अधिकांश देशों की सेंट्रल बैंकों ने ब्याजदर बढ़ाने की नीति अपनाई हैं। इसमें अमरिकी सेंट्रल बैंक ‘फेडरल रिज़र्व’ सबसे आगे हैं।

‘फेडरल रिज़र्व’ ने पिछले सात महीनों में पांच बार ब्याजदर बढ़ाए हैं। मार्च से सितंबर के दौरान अमरिकी बैंक ने ब्याजदर तीन प्रतिशत बढ़ाएं हैं। इस बढ़ोतरी की वजह से अमरिकी मुद्रा डॉलर मज़बूत हो रहा हैं और इससे विश्व के अन्य मुद्राओं को नुकसान पहुँचा हैं। युरो, येन, युआन, पौंड समेत कई मुद्राओं के मुल्य की गिरावट हुई हैं। साथ ही अंतरराष्ट्रीय शेअर बाज़ारों को भी बड़ा नुकसान पहुँचा हैं और अरबों डॉलर्स का नुकसान होने की बात कही जा रही हैं। इस पृष्ठभूमि पर संयुक्त राष्ट्र संगठन ने ‘फेडरल रिज़र्व’ को सीधे लक्ष्य करके संभावित मंदी के लिए ज़िम्मेदार बताना ध्यान आकर्िषत कर रहा हैं।

‘फेडरल रिज़र्व’ ने फिर से ब्याजदर बढ़ोतरी का निर्णय किया तो अविकसित देशों के साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँच सकता हैं। आर्थिक मंदी की दहलिज से पीछे हटना मुमकिन हैं। महंगाई कम करके कमज़ोर गुटों की सहायता करने के लिए अन्य विकल्प मौजूद हैं। लेकिन, मौजूदा नीति विकसनसील देशों के साथ कमज़ोर वर्ग का बड़ा नुकसान करनेवाली हैं। इस नीति के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी में जा सकती हैं’, ऐसा गंभीर इशारा ‘यूएन कान्फरन्स ऑन ट्रेड ॲण्ड डेवलपमेंट’ ने दिया। यह मंदी साल २००७-०९ से भी खराब रहेगी, ऐसा इशारा संयुक्त राष्ट्र संगठन ने दिया हैं।

साल २०२२ में वैश्विक अर्थव्यवस्था की २.५ प्रतिशत तक गिरावट हो सकती हैं और कुल उत्पादकता में १७ ट्रिलियन डॉलर्स से भी अधिक गिरावट देखी जा सकती हैं, ऐसा ‘यूएन कान्फरन्स ऑन ट्रेड ॲण्ड डेवलपमेंट’ ने कहा हैं।

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