असम में एनआरसी की अंतिम सूची प्रसिद्ध, ४० लाख से अधिक लोग अपात्र

गुवाहाटी – असम राज्य के मूल निवासी एवं घुसपैठ की पहचान देनेवाले नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन ‘एनआरसी’ की अंतिम सूची प्रसिद्ध की गई है। इस सूची में २ करोड़ ८९ लाख नागरिकों की पहचान हुई है और ४० लाख से अधिक लोग इस सूची में प्रवेश मिलने के लिए लगने वाले नागरिकत्व के सबूत नहीं दे सके है। दौरान एनआरसी की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय की नजर में शुरू थी, इस का दाखिला देकर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यह प्रक्रिया निष्पक्ष थी ऐसी गवाही दी है।

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असम में बांगलादेशी घुसपैठ की संख्या बड़ी तादाद में बढने के बाद नागरिक एवं घुसपैठ की पहचान करने की मांग पिछले अनेक वर्षों से की जा रही थी। उसके अनुसार सन २०१५ वर्ष के मई महीने से नागरिकत्व के जांच की प्रक्रिया शुरू हुई थी। उसके लिए पूर्व तैयारी का काम सन २०१३ वर्ष शुरू हुआ है। आसाम में लगभग ६८.२७ लाख परिवारों ने एनआरसी के ६.५ करोड़ कागजात नागरिकत्व के सबूत के तौर पर प्रस्तुत किए थे। उसकी ५५००० कर्मचारियों ने जांच-पड़ताल की थी।

इन सारे कर्मचारियों ने लगातार किए परिश्रम का असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने प्रशंसा की है। उस समय इस सूची में समावेश ना होनेवाले लगभग ४०.०७ लाख लोग नागरिकत्व सिद्ध नहीं कर सके और उनका आगे क्या करना है, यह प्रश्न अब देश के सामने निर्माण हुआ है। अनेक वर्ष भारत में रहनेवाले इन व्यक्तियों को छोड़ा नहीं जा सकता, ऐसा सुर कई लोगों ने लगाया है और इस प्रश्न की तरफ मानवीय दृष्टिकोण से देखने का आवाहन किया जा रहा है। उस समय देश के साधन संपत्ती पर पहला अधिकार देश के नागरिकों का है विदेशी घुसपैठि उसपर हक नहीं जता सकता, ऐसा प्रत्युत्तर भी दिया जा रहा है।

दौरान एनआरसी की प्रक्रिया विशिष्ट समाज गट को लक्ष्य करनेवाली थी, ऐसी आलोचना कई लोगों ने की है। उसे उत्तर देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस प्रक्रिया निष्पक्ष एवं सर्वोच्च न्यायालय के निगरानी में पुरी हुई है, ऐसा स्पष्ट किया। कई लोग इस संदर्भ में निष्कारण डर का वातावरण तैयार कर रहे है, ऐसी नाराजगी केंद्रीय गृहमंत्री ने व्यक्त की है। इस प्रश्न पर असम में परिस्थिति बिगड़ सकती है, ऐसी आशंका जताई जा रही है। इस पृष्ठभूमि पर आसाम में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई है तथा सुरक्षा के लिए अतिरिक्त बंदोबस्त भी किया गया है।

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