अमरीका-ईरान परमाणु समझौते की चर्चा असफल

दोहा/वॉशिंग्टन/तेहरान – साल २०१५ के परमाणु समझौते को सुरक्षित करने के लिए अमरीका और ईरान की नए से शुरू हुई बातचीत असफल हुई है। परमाणु समझौते के मुद्दे पर ईरान ने साथ ना देने से यह चर्चा असफल हुई, ऐसा ठिकरा अमरीका ने फोड़ा है। लेकिन, किसी भी स्थिति में ईरान ‘रेड लाईन्स’ का उल्लंघन करने के लिए तैयार नहीं है, ऐसे स्पष्ट शब्दों में ईरान ने परमाणु समझौते के मुद्दे पर अमरिकी माँगों के सामने झुकेंगे नहीं, ऐसा ड़टकर कहा। इस वजह से नए से परमाणु समझौता करने का आखरी अवसर भी खत्म होने का दावा किया जा रहा है।

पिछले साल ज्यो बायडेन ने अमरीका की बागड़ोर संभालने के बाद ईरान के साथ परमाणु समझौते की बातचीत शुरू की थी। वियना में तकरीबन दस महीने चली इस चर्चा से कोई पुख्ता निर्णय नहीं हो सका था। ऐसी स्थिति में पिछले हफ्ते यूरोपिय महासंघ के विदेश नीति के प्रमुख जोसेफ बोरेल ने ईरान का दौरा किया। इसके बाद मंगलवार से कतार की राजधानी दोहा में यूरोपिय महासंघ की मध्यस्थता से अमरीका और ईरान की नए से चर्चा शुरु हुई।

साल २०१५ का परमाणु समझौता सुरक्षित करने के लिए अमरीका और ईरान के सामने यह आखरी अवसर होने का दावा पश्‍चिमी माध्यमों ने किया था। इसमें ईरान के प्रतिनिधि अली बाघेरी कानी और अमरीका के विशेषदूत रॉबर्ट मैली शामिल थे। इस दौरान मध्यस्थता के तौर पर यूरोपिय महासंघ के एन्रीक मोआ इस बैठक में अमरीका और ईरान की अप्रत्यक्ष बातचीत करवा रहे थे।

दोहा में दोन दिन चली चर्चा के बाद अमरीका के विदेश मंत्रालय ने ईरान के साथ यह बातचीत असफल होने का ऐलान किया। इस अप्रत्यक्ष चर्चा के लिए यूरोपिय महासंघ की कोशिशों का अमरीका ने स्वागत किया। लेकिन, ईरान ने हमारी निराशा की, ऐसी आलोचना अमरिकी विदेश मंत्रालय ने की। परमाणु समझौता कामयाब करने के लिए ईरान ने साथ नहीं दिया, ऐसी शिकायत अमरीका कर रही है।

ऐसे में ईरान के विदेशमंत्री हुसेन आमिर अब्दोल्लाहियान ने हमारा देश इस बातचीत को लेकर काफी सकारात्मक था, ऐसा कहा। साथ ही इस परमाणु समझौते के लिए अमरीका के उद्देश्‍य वास्तववादी नहीं थे, ऐसा आरोप भी ईरान के विदेशमंत्री ने लगाया। इसके साथ ही अमरीका के साथ परमाणु समझौता करने के लिए ईरान अपनी रेड लाईन्स को पार नहीं करेगा, यह बयान भी उन्होंने किया।

परमाणु समझौते के लिए ईरान पर लगाए गए सभी प्रतिबंध अमरीका हटाए। साथ ही रिवोल्युशनरी गार्डस्‌ को अमरीका की आतंकवादी संगठनों की सूचि से हटाए और इस परमाणु समझौते से अमरीका भविष्य में पीछे नहीं हटेगी, इसकी गारंटी दे, ऐसी माँगें ईरान ने अमरीका के सामने रखी थीं। इन माँगों पर अमरीका और ईरान के बीच मतभेद होने का दावा किया जा रहा है।

इसी बीच, परमाणु समझौते का आखरी अवसर खत्म होने की वजह से आनेवाले समय में अमरीका अब ईरान के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपना सकती है। इस्रायल और सौदी अरब इसके लिए बायडेन प्रशासन पर दबाव बना सकते हैं।

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