रशिया और मध्य एशियाई देशों को तालिबान से खतरा – नॉर्दन अलायन्स के कमांडर की चेतावनी

मॉस्को – ‘तालिबान के आतंकवाद से मध्य एशियाई देश और रशिया भी सुरक्षित नहीं रह सकते। इसी कारण तालिबान की ओर बहुत ही सतर्कता से देखना रशिया के लिए जरूरी है। क्योंकि तालिबान से मध्य एशिया और रशिया को भी बहुत बड़ा खतरा संभव है’, ऐसी चेतावनी नॉर्दन अलायन्स के कमांडर ने दी। एक तरफ रशिया तालिबान को मान्यता देने की सोच रहा होने के संकेत मिल रहे हैं; वहीं, दूसरी तरफ नॉर्दन अलायन्स के कमांडर ने रशिया को इस खतरे का अहसास करा दिया।

रशियन न्यूज़ एजेंसी को दिए इंटरव्यू में नॉर्दन अलायन्स के कमांडर ‘फहीम दाश्ती’ ने तालिबान का खतरा अधूरी खान की किया। नॉर्दन अलायन्स के नेता अहमद शहा मसूद के विश्‍वासार्ह सहयोगी के रुप में दाश्ती पहचाने जाते हैं। तालिबान पर भरोसा ना रखें, ऐसा रसिया को जताने वाले इस कमांडर ने तालिबान से मध्य एशियाई देशों को संभव होने वाले खतरे की जानकारी दी। तालिबान की हुकूमत में गाने स्थान आतंकवादियों का केंद्र बना। यहीं से पूरी दुनिया में आतंकवादियों की निर्यात शुरू होगी। इसे तालिबान पूरी दुनिया के लिए खतरनाक साबित होगा ही। लेकिन अफगानिस्तान से सटकर होने वाली मध्य एशियाई देशों में आतंकवाद का फायदा बड़ी तेजी से होगा, ऐसा दश्ती ने डटकर कहा।

मध्य एशियाई देशों के साथ ही रसिया को भी इस आतंकवाद की लहर का सामना करना होगा कमा ऐसा दश्ती ने आगे कहा। फिलहाल रसिया ने अपनी तालिबानी विशेष भूमिका सौम्य की दिख रही है। तालिबान को मान्यता देने के लिए उत्सुक होने वाले देशों में चीन के साथ रशिया का भी समावेश होने की चर्चा शुरू हुई है। ऐसी परिस्थिति में तालिबान से रसिया को होने वाले खतरे की चेतावनी देकर दश्ती ने, रशिया तथा मध्य एशियाई देशों को भी सचेत करने की कोशिश की है। इससे पहले ही ताजिकिस्तान ने यह घोषित कर दिया है कि वे तालिबान के आतंकवादी हुकूमत को मान्यता नहीं देंगे। अन्य मध्य एशियाई देशों ने हालांकि इतनी स्पष्ट भूमिका नहीं अपनाई है, फिर भी ये देश तालिबान की ओर शक की निगाह से देखते नजर आ रहे हैं।

इस पृष्ठभूमि पर, अफगानिस्तान में स्थिरता स्थापित करने के लिए तालिबान का इस्तेमाल किया जा सकता है, ऐसे दावे कर रहे रशिया को अपनी भूमिका पर पुनर्विचार करने का मशवरा नॉर्दन अलायन्स द्वारा दिया जा रहा है। आनेवाले समय में अगर तालिबान की आतंकवादी नीतियों को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर से विरोध बढ़ा , तो नॉर्दन अलायन्स का महत्व अधिक ही बढ़ सकता है। साथ ही, अगर अफगानी जनता नॉर्दन अलायन्स के साथ खड़ी रही, तो तालिबान को अफगानिस्तान पर राज करना संभव ही नहीं होगा। इस कारण आज के दौर में नॉर्दन अलायन्स को अनदेखा करना रशिया तथा मध्य एशियाई देशों के लिए अच्छा नहीं साबित होगा, ऐसा दिख रहा है।

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